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PMJDY Accounts Inactive Across India: 23% पीएम जन धन खाते निष्क्रिय - सरकार ने दी जानकारी
PMJDY Accounts Inactive Across India: जानिए कितने PMJDY खाते निष्क्रिय हैं, कौन से राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित और सरकार क्या कदम उठा रही है।
PMJDY Accounts Inactive Across India (Photo - Social Media)
PMJDY Accounts Inactive Across India: भारत की सबसे बड़ी बैंकिंग योजना प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) है। इसका उद्देश्य है कि कम आय वाले और गरीब लोग भी बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठा सकें और सरकारी योजनाओं का धन सीधे उनके खाते में आए। 31 जुलाई, 2025 तक इस योजना के तहत 56.04 करोड़ खाते खोले गए, लेकिन इनमें से लगभग 13.04 करोड़ खाते, यानी 23%, अभी भी निष्क्रिय हैं।
उत्तर प्रदेश में 2.75 करोड़ खाते निष्क्रिय हैं, बिहार में 1.39 करोड़ और मध्य प्रदेश में 1.07 करोड़ खाते बंद हैं। दो साल से अधिक समय से कोई लेन-देन नहीं होने पर यह खाते बंद किए जाते है।
निष्क्रिय खातों के नियम और जानकारी
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का कहना है कि बैंक खाता दो साल तक निष्क्रिय हो जाता है अगर कोई लेन-देन नहीं होता। बैंक बार-बार ऐसे खातों के लिए पत्र, ईमेल या एसएमएस के माध्यम से सूचना देते हैं। इसके अलावा, बैंक प्रत्येक तीन महीने में एक बार खाताधारक को सूचित करता है कि उनका खाता निष्क्रिय हो जाएगा।
सरकार के प्रयास और अभियान
सरकार ने निष्क्रिय खातों को फिर से चालू करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके तहत DBT (Direct Benefit Transfer) के जरिए लाभ निष्क्रिय खातों में भी भेजा जाता है, ताकि लोग किसी भी सरकारी योजना का फायदा न खोएँ।
हाल ही में ग्राम पंचायत स्तर पर सैचुरेशन कैंपेन चलाया गया, जिसमें निष्क्रिय खातों का री-KYC सबसे अहम काम था। इस अभियान का मकसद है कि ज्यादा से ज्यादा खाते सक्रिय हों और लोग बैंकिंग सेवाओं का पूरा लाभ उठा सकें।
UPI और डिजिटल लेन-देन
सरकार ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में UPI पर कोई लेन-देन शुल्क नहीं लगाया गया है। FY2021-22 से FY2024-25 तक UPI सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने लगभग 8,730 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया। इससे डिजिटल पेमेंट्स का दायरा बढ़ा और लोगों को सरल लेन-देन की सुविधा मिली।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की पूंजी और गोल्ड लोन स्थिति
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSBs) समय-समय पर अपनी पूंजी बढ़ाने के लिए इक्विटी और बॉन्ड्स के जरिए बाजार से पैसे जुटाते हैं। पिछले तीन वर्षों में इन बैंकों ने कुल 1,53,978 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाई। इस पैसे का इस्तेमाल बैंक लोन बढ़ाने, नियमों को पूरा करने और भविष्य की जरूरतों के लिए करते हैं।
गोल्ड लोन के मामले में SCBs में एनपीए दर 0.20% से बढ़कर 0.22% हो गई है, जबकि NBFCs में यह 1.21% से बढ़कर 2.14% हो गई है। RBI ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी और क्रिप्टो एसेट्स उनके नियमों के दायरे में नहीं आते।
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