TRENDING TAGS :
RBI रिपोर्ट 2025: बढ़ सकते हैं NPAs, लेकिन बैंकों की हालत अभी मजबूत
RBI Report 2025: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 30 जून 2025 को अपनी छमाही रिपोर्ट ‘Financial Stability Report’ जारी की, जिसमें बैंकिंग क्षेत्र की सेहत और चुनौतियों का विश्लेषण किया गया है।
RBI Report 2025 Check Report NPA May Rise But Banks Remain Resilient
RBI Report 2025: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 30 जून 2025 को अपनी छमाही रिपोर्ट ‘Financial Stability Report’ जारी की, जिसमें बैंकिंग क्षेत्र की सेहत और चुनौतियों का विश्लेषण किया गया है।
एनपीए में थोड़ी बढ़ोतरी, पर रिकॉर्ड स्तर से अभी भी दूर
• मार्च 2025 में बैंकिंग प्रणाली की ग्रॉस एनपीए दर (GNPA) केवल 2.3% थी, जो कई दशकों में सबसे कम स्तर है।
• RBI के अनुमान के अनुसार यह दर सामान्य स्थिति में मार्च 2027 तक 2.5% हो सकती है। लेकिन, अगर वैश्विक आर्थिक मंदी गहराती है, तो ये आंकड़े 5.3 - यदि स्थितियाँ बिगड़ती हैं, तो एनपीए 5.6% तक हो सकते हैं - जो स्थिरता के लिए खतरा बन सकते हैं।
बैंक पूंजी पर्याप्तता में मजबूती
• 46 प्रमुख बैंकों का Capital to Risk Weighted Assets Ratio (CRAR) मार्च 2025 में 17.2% था - यह अब तक का उच्चतम स्तर है।
• तटस्थ (baseline) स्थिति में मार्च 2027 तक यह लगभग 17.0% पर रहेगा, जबकि जबरदस्त वैश्विक तनाव से यह गिर कर 14.2% तक भी जा सकता है। सारे बैंक न्यूनतम नियामक सीमा 9% को पार कर जाएंगे।
CET1 और LCR: तनाव सहने की क्षमता
• Common Equity Tier 1 (CET1) पूंजी सामान्य परिस्थिति में मार्च 2027 तक 15.2% तक उठने की संभावना है, और तनाव की स्थिति में यह 12.5 - 12.9% तक जा सकता है, जो नियामक रूप से तय 5.5% की न्यूनतम सीमा से काफी अधिक है।
• Liquidity Coverage Ratio (LCR) यानी नकदी उपलब्धता की दर भी उच्च बनी हुई है - बीस से अधिक बैंकों में न्यूनतम 100% की सीमा आसानी से पूरी हुई, यहां तक कि दबाव की स्थिति में भी। संपूर्ण LCR दबाव में 117.9% तक गिरा, जबकि औसत 132.1% था।
समूह-व्यापी कमजोरी (Contagion) विश्लेषण
RBI ने यह विश्लेषण भी किया कि अगर कोई बैंक या NBFC डूबता है, तो क्या प्रभाव होगा -
• एक बैंक की विफलता से बैंकिंग प्रणाली की Tier 1 पूंजी केवल 3.4% तक क्षतिग्रस्त हो सकती है, और नकदी आपूर्ति सिर्फ 0.3% तक कम होगी।
• एक NBFC या HFC की विफलता से पूंजी हानि लगभग 2.9 - 3.7% तक हो सकती है, पर इससे कोई बैंक दिवालिया नहीं होगा।
वैश्विक जोखिम और घरेलू मजबूती
RBI का कहना है कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता, व्यापार युद्ध, और भू राजनीतिक तनाव चिंता का कारण हैं। उदाहरण के लिए, यदि दुनिया की आर्थिक वृद्धि में एक प्रतिशत की गिरावट आती है, तो भारत की वृद्धि लगभग 0.3% कम हो सकती है।
लेकिन घरेलू मोर्चे पर, मजबूत मांग, मौद्रिक नीति का संतुलन और कॉर्पोरेट सेक्टर की स्थिरता ने वित्तीय प्रणाली को इस तरह के झटकों को सहने लायक बनाया है।
वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के संकेतक :
• मार्च 2025 में बैंकों की कुल ग्रॉस एनपीए दर (GNPA) 2.3% थी।
• सामान्य परिस्थिति में यह मार्च 2027 तक 2.5% तक जा सकती है।
• अगर वैश्विक स्तर पर आर्थिक गिरावट आती है, तो एनपीए का स्तर बढ़कर 5.6% तक पहुँच सकता है।
• मार्च 2025 तक बैंकों का पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CRAR) 17.2% दर्ज किया गया।
• यदि आर्थिक परिस्थितियाँ सामान्य बनी रहती हैं, तो यह अनुपात लगभग 17% पर बना रह सकता है।
• अत्यधिक दबाव या जोखिम के हालात में यह घटकर 14.2% तक जा सकता है, जो फिर भी नियामक सीमा 9% से कहीं अधिक है।
• Common Equity Tier 1 (CET1) पूंजी सामान्य स्थिति में 15.2% तक बनी रह सकती है।
• गंभीर हालात में CET1 अनुपात 12.5% से 12.9% के दायरे में आ सकता है।
• बैंकों का Liquidity Coverage Ratio (LCR) सामान्य स्थिति में औसतन 132.1% रहा।
• जबकि चुनौतीपूर्ण स्थितियों में यह घटकर 117.9% तक आ सकता है, जो कि फिर भी नियामक न्यूनतम 100% से अधिक है।
Start Quiz
This Quiz helps us to increase our knowledge