GST Reforms May Ease Inflation Pressure: GST सुधार से महंगाई घट सकती है, लेकिन RBI जल्दी दरें नहीं घटाएगा

GST Reforms May Ease Inflation Pressure: GST सुधार महंगाई कम कर सकता है और खपत बढ़ा सकता है, लेकिन RBI ब्याज दरों में तुरंत बदलाव नहीं करेगी।

Sonal Girhepunje
Published on: 22 Aug 2025 10:11 AM IST
Saugata Bhattacharya
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Saugata Bhattacharya (Photo - Social Media)

GST Reforms May Ease Inflation Pressure: सरकार ने हाल ही में GST सुधार का प्रस्ताव पेश किया है। इसका मकसद है कि देश में महंगाई पर काबू पाया जा सके और लोगों की खरीददारी बढ़े। इन सुधारों से कई सामान और सेवाओं की कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद है, जिससे आम जनता की जेब पर बोझ कम होगा और बाजार में मांग बढ़ेगी। हालांकि, इस बीच भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) तुरंत ब्याज दरों में कटौती करने की स्थिति में नहीं है। RBI की नीति समिति के सदस्य साउगता भट्टाचार्य का कहना है कि बैंक पहले यह देखेगी कि GST सुधार का पूरी अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ता है। उसके बाद ही RBI किसी निर्णय पर पहुंचेगी। इसका मतलब यह है कि ब्याज दरों में बदलाव धीरे और सोच-समझकर ही होगा।

महंगाई 2% से कम होने पर

RBI को कोई चिंता नहीं होगी अगर महंगाई (CPI) 2% से कम रहती है। भट्टाचार्य के अनुसार, यह अल्पकालिक होगा और आने वाली तिमाहियों में महंगाई फिर बढ़ सकती है। RBI के निर्णय हमेशा आर्थिक वृद्धि और कीमतों के मिलेजुले प्रभाव को देखकर किए जाते हैं।

आयात शुल्क और आर्थिक वृद्धि

अगर भारत पर 50% आयात शुल्क जारी रहता है, तो देश की विकास दर (GDP) पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इससे अगले साल आर्थिक वृद्धि के अनुमान में बदलाव की जरूरत पड़ सकती है। असर का पैमाना इस बात पर निर्भर करेगा कि इसका अर्थव्यवस्था पर क्या प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक प्रभाव पड़ेगा।

GST सुधार और सरकारी खजाना

GST में बदलाव से सरकारी कर संग्रह घट सकता है, जिससे वित्तीय घाटा बढ़ सकता है। इससे सरकारी बॉन्ड की यील्ड पर भी असर पड़ सकता है। लेकिन लंबे समय में घरेलू और व्यावसायिक आय बढ़ने से लोगों की खपत, उत्पादन और निवेश में वृद्धि होगी। इससे अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और महंगाई पर भी असर पड़ेगा।

ब्याज दरों में कटौती की संभावना

भट्टाचार्य के अनुसार, GST सुधार के पूर्ण असर का आंकलन किए बिना RBI ब्याज दरें नहीं घटाएगी। शुरू में सामान और सेवाओं की कीमतें कम होंगी। लेकिन लोग ज्यादा खर्च करेंगे, जिससे कुछ वस्तुओं की कीमतें फिर बढ़ सकती हैं। इसलिए RBI धीरे-धीरे और सोच-समझ कर ही निर्णय लेगी।

अक्टूबर में MPC बैठक

RBI अगली MPC बैठक तक नए डेटा का इंतजार करेगी। इसमें महंगाई, आर्थिक वृद्धि, मानसून और विदेशी व्यापार के असर शामिल होंगे। तभी RBI ब्याज दरों पर निर्णय लेगी।

विदेशी निवेश और रेटिंग अपग्रेड

S&P ग्लोबल की भारत की रेटिंग बढ़ाने से विदेशी निवेशक खुश हैं। इससे कुछ नकारात्मक असर कम हुआ है। लेकिन अभी भी निजी निवेश और विदेशी पूंजी को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। साथ ही, वैश्विक केंद्रीय बैंकों और अमेरिकी डॉलर की नीतियां भी भारतीय रुपए पर असर डाल सकती हैं।

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