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भारत बना दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्यातक: एक क्रांतिकारी बदलाव की कहानी
India Mobile Export Report: भारत कैसे बना मोबाइल फोन का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक, जानें वैल्यू एडिशन, रोजगार और नीति का पूरा विश्लेषण।
Third Largest Mobile Exporter - India (Photo - Social Media)
India Mobile Export Report: एक समय था जब भारत मोबाइल फोन के लिए आयात पर निर्भर रहता था, लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। 2024 में भारत ने 20.5 अरब डॉलर के मोबाइल फोन का निर्यात कर दुनिया में तीसरा स्थान हासिल किया है, जो देश की बड़ी सफलता मानी जा रही है।
यह आश्चर्यजनक परिवर्तन सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज़ (CDS) की एक नई रिपोर्ट में सामने आया है, जिसे प्रो. सी. वीरमणि के नेतृत्व में तैयार किया गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की यह सफलता न केवल नीतिगत बदलावों का परिणाम है, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन में प्रभावशाली भागीदारी की वजह से भी संभव हो सकी है।
आयात पर निर्भरता से लेकर निर्यात में अग्रणी बनने तक :
2014-15 में भारत मोबाइल फोन की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर था। लेकिन 2024-25 तक भारत ने 24.1 अरब डॉलर के मोबाइल फोन निर्यात किए, जो 2017-18 में हुए केवल 0.2 अरब डॉलर के निर्यात से 11,950% अधिक है।
CDS की रिपोर्ट इस परिवर्तन को “संरचनात्मक बदलाव” कहती है - एक ऐसा बदलाव जो यह दर्शाता है कि अब भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता केवल घरेलू मांग पूरी करने तक सीमित नहीं रही, बल्कि वह वैश्विक बाज़ार में अपनी पहचान बना रही है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2018-19 से ही भारत मोबाइल फोन के क्षेत्र में लगातार शुद्ध निर्यातक (net exporter) बना हुआ है। यह विकास ज्यादातर उन नीतियों की वजह से संभव हुआ है जो सरकार ने उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहनों (PLI स्कीम) के रूप में 2020 से लागू की थीं।
घरेलू वैल्यू एडिशन में उछाल :
भारत की इस निर्यात सफलता के पीछे एक और महत्वपूर्ण बदलाव है - घरेलू मूल्य संवर्धन यानी Domestic Value Addition (DVA) का तेज़ी से बढ़ना।
रिपोर्ट के अनुसार:
• कुल DVA (डायरेक्ट और इनडायरेक्ट) 2022-23 में उत्पादन मूल्य का 23% रहा, जिसकी कीमत 10 अरब डॉलर से अधिक थी।
• डायरेक्ट DVA, जो सीधे मोबाइल निर्माताओं से आता है, 2016-17 से 2018-19 के बीच 1.2 अरब डॉलर था, जो 2019-20 से 2022-23 के बीच 4.6 अरब डॉलर हो गया - यानी 283% की वृद्धि।
• इनडायरेक्ट DVA, जिसमें कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सपोर्ट शामिल है, 470 मिलियन डॉलर से बढ़कर 3.3 अरब डॉलर हो गया - यानी 604% की वृद्धि।
यह संकेत करता है कि भारत में न केवल मोबाइल बनाए जा रहे हैं, बल्कि उनके निर्माण में स्थानीय कंपनियों और आपूर्तिकर्ताओं की भी बड़ी भूमिका बन रही है।
रोज़गार और मज़दूरी में सुधार :
मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग बूम का असर भारत के श्रम बाज़ार पर भी स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है।
ASI (Annual Survey of Industries) के अनुसार, 2022-23 तक मोबाइल फोन क्षेत्र (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) में कुल 17 लाख से अधिक लोगों को रोज़गार मिला है। और सबसे दिलचस्प बात यह है कि निर्यात से जुड़े रोजगार में इस अवधि में 33 गुना तक बढ़ोतरी हुई है।
इन नौकरियों में वेतन भी अच्छा मिल रहा है, खासकर उन लोगों को जो निर्यात से जुड़े क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि मोबाइल निर्यात में आई तेजी से न केवल रोजगार बढ़ा है, बल्कि मज़दूरी भी सुधरी है।
नीतिगत समर्थन और उद्योग की भूमिका :
रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए ICEA (India Cellular & Electronics Association) के चेयरमैन पंकज महिंद्रू ने कहा कि यह अध्ययन ICEA की उस पुरानी सोच को मजबूती देता है कि वैश्विक मूल्य श्रृंखला (Global Value Chain) में भागीदारी करना भारत के लिए आवश्यक है।
उनका कहना था, “इस अध्ययन से यह सिद्ध होता है कि भारत ने बैकवर्ड लिंक्ड ग्लोबल वैल्यू चेन में भाग लेकर देश के लिए बड़े पैमाने पर लाभ अर्जित किया है - जैसे कि निर्यात में वृद्धि, घरेलू वैल्यू एडिशन और रोजगार सृजन।”
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