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Kannappa Kon Hai: हिंदू पौराणिक कथाओं में कन्नप्पा कौन हैं? जिनपर बनी है फिल्म कन्नप्पा
Kannappa Nayanar Story: कन्नप्पा नयनार कौन हैं, जिनपर बनी है प्रभास और अक्षय कुमार की फिल्म कन्नप्पा जानिए इनकी पूरी कहानी
Kannappa Kon Hai (Image Credit- Social Media)
Kannappa Kon Hai: कन्नप्पा नयनार जिनपर अक्षय कुमार और प्रभास की फिल्म बनी है कन्नप्पा जिसमें विष्णु मांचू ने भगवान कन्नप्पा का किरदार प्ले किया है। चलिए जानते हैं कन्नप्पा नयनार के बारे में जिनको भक्त कन्नप्पन के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, विशेष रूप से तमिल शैव धर्म में एक पूजनीय व्यक्ति है। जो भगवान शिव के प्रति अपनी गहन भक्ति के लिए जाने जाते है्ं। यह एक शिकारी थे। इसके बावजूद भी अनुष्ठानों के औपचारिक ज्ञान की कमी के बावजूद अटूट समर्पण के साथ खुद को शिव को सम
कन्नप्पा नयनार की वास्तविक कहानी क्या है ( Kannappa Nayanar Real Story)-
नागन पोथापी के जंगल क्षेत्र में एक आदिवासी सरदार था। उसे और उसकी पत्नी थाथथाई को बहुत समय से कोई संतान नहीं थी और वे भगवान कार्तिकेय की पूजा कर रहे थे। उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई। जिनका नाम उन्होंने थिन्नान रखा। थिन्नान अपने कबीले में एक प्रतिष्ठित तीरंदाज थे। एक बार शिकार के दौरान उन्होंने सुअर का पीछा करते समय अपने दोस्तों से अलग हो गए। खुद को एक जंगल के एक अनजान हिस्से में पाया। बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। वह भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर के पास पहुँचे।
मंदिर छोटा था। जिसमें सिर्फ शंकर भगवान थे। काफी आकर्षित मंदिर था। जिसके बाद उनके मन में भगवान को प्रसाद चढ़ाने की इच्छचा जाग्रत हो गई। उन्हें अनुष्ठानों की जानकारी नहीं थी। वो प्रेम में इतना डूब गए कि भगवान शिव को वहीं मांस चढ़ा दिया। उस मंदिर की देखभाल एक गरीब ब्रह्मण करता था। थिन्नन के प्रसाद चढ़ाने के अगले दिन बाद एक ब्रह्माण था। माँस देखकर चौक पड़ा। उसको लगा कोई जानवर ये ले आया होगा।
एक दिन ऐसे ही जब थिन्नन मंदिर आ रहे थे तो उन्होंने रास्ते में एक सुंदर फूल देखा जिसे उन्होंने बालों में लगा लिया। क्योंकि दोनों हाँथों में फसल थी। तो वहीं एक छोटी-सी धारा बह रही थी। भगवान शिव को नहलाने के लिए मुँह में पानी भर लिया। मंदिर पहुँचे और मुहँ से पानी निकालकर भगवान को स्नान कराया। खुशी-खूशी प्रसाद चढ़ाया। भगवान से बाते की, फिर पंडित जब मंदिर आया तो उसे वहीं सब देखने को मिला। जिसके बाद वह क्रोधित हो गया। और भगवान शिव से विनती करते हुए कहा-आप खुद का ऐसे अपमान कैसे होने दे रहे हैं। जिसपर भगवान भावुक होकर बोले जिसे तुम अपमान समझ रहे हो। वो मेरे एक भक्त की भक्ति है। उसे अनुष्ठान नहीं आता। अब पंडित को उस भक्त के बारे में जानना था।
एक दिन थिन्नन पूजा करने के लिए मंदिर आए उस समय उन्होंने देखा कि भगवान की आँखों में कुछ हुआ है। जिसके बाद वो भयभीत हो गए और चढ़ी-बूटियाँ लाकर लगाने लगे। फिर शिव जी की आँखों से खून बहने लगा। जिसके बाद उन्होंने चाकू से अपनी आँखे निकाली और लगा दी। खून बंद हो गया। फिर दूसरी ाँख से भी खून निकलने लगा। जिसके बार उन्होंने जहाँ आँख लगाना था। पैर लगाया और अपनी आँखें लगा दी। जिसे देखकर शंकर जी प्रसन्न हो गए। और उनको दर्शन दिया। ये सब पंडित भी छुपकर देख रहा था। वो भी सामने आ गया। भगवान ने दोनों लोगों को आशीर्वाद दिया। वहीं थिन्नया अब कन्नप्पा नायनार के नाम से प्रसिद्ध है।
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