Shahrukh Khan Bollywood Career: शाहरुख खान कैसे बने रोमांस के बादशाह, आइए जानें पूरी कहानी

Shahrukh Khan Bollywood Career: शाहरुख़ खान आखिर कैसे बने रोमांस के प्रतीक? यह कहानी उनकी फिल्मों की सफलता, उनके व्यक्तित्व, मेहनत और दर्शकों के दिलों में जगह बनाने की कला की है।

Akshita Pidiha
Published on: 2 Aug 2025 7:03 PM IST
Shahrukh Khan Bollywood Career
X

Shahrukh Khan Bollywood Career (Image Credit-Social Media)

Shahrukh Khan Bollywood Career: हाल ही में शाहरुख खान को 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवॉर्ड मिला, जिसने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे न केवल बॉलीवुड के सुपरस्टार हैं, बल्कि प्यार और रोमांस के बेताज बादशाह भी हैं। 'किंग ऑफ रोमांस' की उपाधि उनके नाम के साथ इस तरह जुड़ गई है जैसे कोई ताज उनके सिर पर सजा हो। लेकिन यह उपाधि उन्हें कब से मिली? 1995 में 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' की रिलीज के बाद से शाहरुख को धीरे-धीरे इस नाम से जाना जाने लगा, और 1998 तक 'कुछ कुछ होता है' की सफलता के बाद यह उपाधि उनके साथ पूरी तरह चिपक गई। आखिर कैसे बने शाहरुख रोमांस के प्रतीक? यह कहानी उनकी फिल्मों की सफलता, उनके व्यक्तित्व, मेहनत और दर्शकों के दिलों में जगह बनाने की कला की है।

एक साधारण लड़के का सपना

शाहरुख खान का जन्म 2 नवंबर 1965 को दिल्ली में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता मीर ताज मोहम्मद खान एक बिजनेसमैन थे और मां लतीफ फातिमा एक मैजिस्ट्रेट। शाहरुख की जिंदगी में कोई फिल्मी बैकग्राउंड नहीं था। लेकिन बचपन से ही उनके अंदर एक जुनून था, कुछ बड़ा करने का। स्कूल और कॉलेज के दिनों में वे थिएटर और नाटकों में हिस्सा लेते थे। दिल्ली के बैरी जॉन थिएटर ग्रुप में उनकी अदाकारी की शुरुआत हुई, जहां उन्होंने अपने अभिनय को निखारा। 1980 के दशक में शाहरुख ने टेलीविजन से अपने करियर की शुरुआत की।


सीरियल 'फौजी' में कर्नल अभिमन्यु राय का किरदार निभाकर उन्होंने लोगों का ध्यान खींचा। इसके बाद 'सर्कस' और 'दिल दरिया' जैसे सीरियल्स में भी वे नजर आए। लेकिन यह टेलीविजन का छोटा पर्दा था, और शाहरुख का सपना था सिल्वर स्क्रीन पर छा जाना। उनकी यह चाहत उन्हें मुंबई ले आई, जहां बॉलीवुड की चमकती दुनिया में उनका पहला कदम 1992 में फिल्म 'दीवाना' के साथ पड़ा। इस फिल्म में उनके रोमांटिक अंदाज ने दर्शकों को पहली बार उनके जादू का एहसास कराया।

नकारात्मक किरदारों से रोमांटिक हीरो तक

शाहरुख की शुरुआती फिल्में उनकी रोमांटिक छवि से बिल्कुल उलट थीं। 1993 में आई 'बाजीगर' और 'डर' में उन्होंने नकारात्मक किरदार निभाए। 'बाजीगर' में वे एक बदला लेने वाले प्रेमी थे, जिसने काजोल को प्यार में धोखा दिया, और 'डर' में वे एक सनकी आशिक थे, जो जूही चावला के पीछे पागल था। इन किरदारों ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया। लेकिन यह रोमांस का जादू नहीं था। लोग उनके अभिनय से प्रभावित थे, पर उनकी छवि एक खलनायक की बन रही थी। फिर आया 1995 का वह मोड़, जिसने शाहरुख को रोमांस का बादशाह बना दिया, 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे'।

DDLJ: रोमांस की नई परिभाषा

'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' (DDLJ) न सिर्फ एक फिल्म थी, बल्कि एक सांस्कृतिक क्रांति थी। आदित्य चोपड़ा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में शाहरुख ने राज मल्होत्रा का किरदार निभाया, जो एक लापरवाह, मजाकिया और दिल से सच्चा प्रेमी था। काजोल के साथ उनकी जोड़ी ने पर्दे पर ऐसा जादू चलाया कि दर्शक सिनेमाघरों में तालियां बजाने लगे। इस फिल्म का 'पलट...पलट' सीन और डायलॉग "बड़े बड़े शहरों में ऐसी छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं, सिनोरिटा" आज भी लोगों के जेहन में बसे हैं।


DDLJ ने शाहरुख को एक ऐसे प्रेमी के रूप में पेश किया, जो परिवार की मर्यादा को समझता है, लेकिन अपने प्यार के लिए लड़ने से भी नहीं हिचकता। इस फिल्म की रिलीज के बाद से ही शाहरुख को 'किंग ऑफ रोमांस' की उपाधि मिलनी शुरू हुई। फिल्म ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़े, बल्कि शाहरुख को रोमांटिक हीरो की नई पहचान दी। मुंबई के मराठा मंदिर में यह फिल्म आज भी चल रही है, जो इसकी लोकप्रियता का सबूत है।

यश चोपड़ा और करण जौहर: रोमांस के गुरु

शाहरुख की रोमांटिक छवि को मजबूत करने में यश चोपड़ा और करण जौहर जैसे निर्देशकों का बड़ा योगदान रहा। यश चोपड़ा की फिल्मों जैसे 'दिल तो पागल है' (1997), 'वीर-जारा' (2004) और 'जब तक है जान' (2012) में शाहरुख ने प्यार की ऐसी परिभाषा गढ़ी, जो दर्शकों के दिलों में उतर गई। 'दिल तो पागल है' में राहुल के किरदार ने दिखाया कि प्यार दोस्ती से शुरू हो सकता है, और 'वीर-जारा' में वीर प्रताप सिंह ने सिखाया कि सच्चा प्यार बलिदान मांगता है।

करण जौहर की 'कुछ कुछ होता है' (1998) ने शाहरुख की रोमांटिक छवि को और पक्का कर दिया। इस फिल्म की रिलीज के बाद 'किंग ऑफ रोमांस' की उपाधि पूरी तरह से उनके साथ जुड़ गई। फिल्म का डायलॉग "हम एक बार जीते हैं, एक बार मरते हैं, शादी भी एक बार होती है... और प्यार भी एक बार होता है" आज भी लोगों की जुबान पर है। 'कभी खुशी कभी गम' (2001) में भी शाहरुख का रोमांटिक अंदाज दर्शकों को भाया। इन फिल्मों में उनका किरदार न सिर्फ प्रेमी था, बल्कि एक ऐसा दोस्त भी, जो अपने प्यार के लिए कुछ भी कर सकता था।

शाहरुख का जादू: क्या बनाता है उन्हें खास?


शाहरुख को 'किंग ऑफ रोमांस' बनाने में उनकी फिल्मों के अलावा उनके व्यक्तित्व का भी बड़ा हाथ है। आइए, कुछ पहलुओं पर नजर डालें:

1. अभिनय की गहराई

शाहरुख की सबसे बड़ी खासियत है उनकी आंखों से भावनाएं व्यक्त करने की कला। चाहे 'देवदास' में प्यार में डूबा हुआ टूटा दिल हो या 'कल हो ना हो' में मरने से पहले अपने प्यार को खुश देखने की चाहत, शाहरुख की आंखें हर बार कहानी कहती हैं। उनकी डायलॉग डिलीवरी में एक ऐसी ईमानदारी है, जो दर्शकों को उनके किरदार से जोड़ देती है।

2. सिग्नेचर स्टाइल

शाहरुख का बाहें फैलाकर प्यार का इजहार करना उनका ट्रेडमार्क बन गया। यह पोज DDLJ से शुरू हुआ और उनकी हर रोमांटिक फिल्म में नजर आया। इस सादगी भरे अंदाज ने न जाने कितनी लड़कियों को उनका दीवाना बना दिया। लेकिन मजेदार बात यह है कि शाहरुख ने खुद कहा है कि वे असल जिंदगी में बिल्कुल रोमांटिक नहीं हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया, "मैं असल में शर्मीला हूं। मुझे औरतों से बात करने में झिझक होती है।"

3. गीत और संगीत

शाहरुख की फिल्मों में संगीत का अहम रोल रहा है। 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' का "तुझे देखा तो ये जाना सनम" हो या 'वीर-जारा' का "तेरे लिए", इन गानों ने उनके रोमांटिक किरदारों को और गहराई दी। यश चोपड़ा की फिल्मों में संगीत और शाहरुख की जोड़ी ने प्यार को पर्दे पर अमर कर दिया।

4. काजोल के साथ केमिस्ट्री

शाहरुख और काजोल की जोड़ी को बॉलीवुड की सबसे आइकॉनिक जोड़ियों में से एक माना जाता है। 'बाजीगर', 'DDLJ', 'कुछ कुछ होता है', 'कभी खुशी कभी गम' और 'दिलवाले' जैसी फिल्मों में उनकी केमिस्ट्री ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। काजोल की सादगी और शाहरुख का जुनून एक साथ पर्दे पर जादू बिखेरते थे।

5. जोखिम लेने की हिम्मत

शाहरुख ने अपने करियर में कई जोखिम लिए। शुरुआती दौर में नकारात्मक किरदार चुनना, फिर रोमांटिक हीरो बनना और बाद में 'चक दे! इंडिया' और 'स्वदेस' जैसे गैर-रोमांटिक किरदारों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करना उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है। लेकिन रोमांस में उनकी वापसी हमेशा धमाकेदार रही।

रोमांटिक डायलॉग्स: शाहरुख की ताकत


शाहरुख की फिल्मों के डायलॉग्स उनके रोमांटिक किरदारों की आत्मा हैं। कुछ डायलॉग्स जो आज भी लोगों के दिलों में बसे हैं:

"इतनी शिद्दत से मैंने तुम्हें पाने की कोशिश की है, कि हर ज़र्रे ने मुझे तुमसे मिलाने की साजिश की है।" – ओम शांति ओम

"सच्ची मोहब्बत को पहचानने के लिए आंखों की नहीं... दिल की जरूरत होती है।" –

"मुझे चाहिए एक ऐसी लड़की, जिसे देखते ही दिल की हर आरजू, सारे ख्वाब, सारे रंग जिंदा हो जाए।" – दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे

ये डायलॉग्स न सिर्फ प्यार की गहराई दिखाते हैं, बल्कि शाहरुख की आवाज और अंदाज में एक अलग जादू जोड़ते हैं।

कुछ अनसुने किस्से

पहला प्यार: शाहरुख ने अपनी पत्नी गौरी से कॉलेज के दिनों में प्यार किया। उनकी शादी 1991 में हुई, और गौरी के साथ उनकी प्रेम कहानी उनकी फिल्मों की तरह ही रोमांटिक रही।

रोमांस से परहेज: शाहरुख ने एक बार कहा था कि वे असल जिंदगी में उतने रोमांटिक नहीं हैं, जितने पर्दे पर दिखते हैं। फिर भी, उनकी फिल्मों ने प्यार को एक नया आयाम दिया।

देवदास का दर्द: 'देवदास' में शाहरुख का किरदार इतना गहरा था कि लोग उनके दर्द को अपना मानने लगे। संजय लीला भंसाली ने कहा था कि शाहरुख ने इस किरदार में अपनी आत्मा डाल दी।

रोमांस का नया दौर

2023 में शाहरुख ने 'पठान' और 'जवान' जैसी एक्शन फिल्मों से धमाल मचाया, जिसने उनकी छवि को एक नए रंग में पेश किया। लेकिन उनकी रोमांटिक छवि आज भी उतनी ही मजबूत है। उनकी आगामी फिल्म 'किंग' में भी रोमांटिक तत्व होने की उम्मीद है। हाल ही में एक इवेंट में शाहरुख ने कहा, "प्यार की कहानियां कभी पुरानी नहीं होतीं। मैं हमेशा ऐसी कहानियां कहना चाहूंगा जो दिल को छू लें।"

शाहरुख खान को 'किंग ऑफ रोमांस' बनाने में उनकी मेहनत, उनकी फिल्मों की कहानियां, उनके डायलॉग्स और दर्शकों का प्यार शामिल है। 1995 में DDLJ के साथ शुरू हुआ यह सफर 1998 तक 'कुछ कुछ होता है' के साथ अपने चरम पर पहुंचा, और तब से यह उपाधि उनके साथ अटूट रूप से जुड़ी है। वे न सिर्फ एक अभिनेता हैं, बल्कि एक भावना हैं, जो हर उस इंसान को छूती है जो प्यार में यकीन करता है। उनकी फिल्में हमें सिखाती हैं कि प्यार में बलिदान, दोस्ती और जुनून सब कुछ शामिल है। शाहरुख का यह सफर न सिर्फ बॉलीवुड की कहानी है, बल्कि हर उस दिल की कहानी है जो प्यार के लिए धड़कता है।

1 / 6
Your Score0/ 6
Praveen Singh

Praveen Singh

Journalist & Director - Newstrack.com

Journalist (Director) - Newstrack, I Praveen Singh Director of online Website newstrack.com. My venture of Newstrack India Pvt Ltd.

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!