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जिम जाने से पहले कराएं ये 7 टेस्ट… वरना हो सकता है अचानक कार्डियक अरेस्ट ख़तरा
Gym Health Checkup Before Workout: कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि जिम या किसी भी तरह की हैवी वर्कआउट रूटीन शुरू करने से पहले कुछ आवश्यक हेल्थ टेस्ट करना अनिवार्य है। इससे न केवल हार्ट की सेहत का पता चलेगा बल्कि यह भी सामने आ जाएगा कि आपका शरीर इतनी फिजिकल एक्टिविटी के लिए तैयार है या नहीं।
Gym Health Checkup Before Workout
Gym Health Checkup Before Workout: अगर आज के समय में सबसे ट्रेंडिंग चीज़ की बात करें तो आपके मन में सबसे पहले क्या आएगा...? ज़रूर खान-पान या फैशन से जुड़े विषय दिमाग में आएंगे। लेकिन ट्रेंडिंग ये नहीं... बल्कि फिटनेस है। अगर आप मार्केट जाए तो एक बार नज़र ज़रूर घूमाइएगा। आपको हर 2 कदम पर जिम मिल जायेंगे।
आज सबसे ज्यादा क्रेज़ फिटनेस का बना हुआ है, जो कि युवा से लेकर कई उम्रदराज के लोगों में भी देखा जा रहा है। पहले लोगों में 40 से ऊपर के उम्र वाले लोगों को हार्ट अटैक होता था, लेकिन कोरोना महम्मारी के बाद आपने देखा होगा कि हार्ट अटैक के मामले युवाओं में तेज़ी से बढ़े हैं। आज कोई व्यक्ति देखने में कितना भी फिट लगे, लेकिन अंदर से कितना फिट है... कुछ कहा नहीं जा सकता।
आजकल फिटनेस और जिम का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। लेकिन कई बार पूरी तरह से स्वस्थ्य दिखने वाले लोग भी अचानक कार्डियक अरेस्ट का शिकार हो जाते हैं। इसका कारण अंनजानी और छिपी हुई हार्ट दिक्कतें होती है जो समय रहते पकड़ में नहीं आतीं। ऐसे में कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि जिम या किसी भी तरह की हैवी वर्कआउट रूटीन शुरू करने से पहले कुछ आवश्यक हेल्थ टेस्ट करना अनिवार्य है। इससे न केवल हार्ट की सेहत का पता चलेगा बल्कि यह भी सामने आ जाएगा कि आपका शरीर इतनी फिजिकल एक्टिविटी के लिए तैयार है या नहीं।
30 की उम्र के बाद और अधिक आवश्यक
कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह टेस्ट विशेषकर 30 साल से ऊपर की उम्र वालों के लिए आवश्यक होता है। इसके साथ ही विशेषकर जिनके परिवार में दिल की बीमारी का इतिहास है या जो लंबे समय बाद फिर से वर्कआउट शुरू करने जा रहे हैं उनके लिए बहुत आवश्यक है। वहीं अन्य कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन टेस्ट से हार्ट की छिपी हुई बीमारियां सामने आ सकती है जिन्हें समय पर पकड़ कर बड़ा खतरा टाला जा सकता है।
ये टेस्ट जरूरी हैं
1. ECG - दिल की इलेक्ट्रिक एक्टिविटी रिकॉर्ड कर यह जांच हार्ट रिद्म में दिक्कत, कंडक्शन ब्लॉक या पुराने साइलेंट हार्ट अटैक के संकेत पकड़ सकती है।
2. 2D इको - अल्ट्रासाउंड के माध्यम से हार्ट की बनावट और काम करने के तरीके को देखने वाली यह जांच होती है। इससे हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी जैसी गंभीर बीमारी के बारे में पता लगाया जाता है, जो कई बार अचानक हार्ट अरेस्ट का कारण बनती है।
3. TMT - कंट्रोल्ड सेटिंग्स में एक्सरसाइज के दौरान दिल का कामकाज चेक किया जाता है। हार्ट इंटेंसिटी वर्कआउट करने वालों के लिए यह टेस्ट बहुत कारगर होता है।
4. कार्डियक बायोमार्कर्स - इससे खून की जांच से दिल की मसल्स पर पड़े दबाव या हल्के नुकसान के बारे में चलता है जो बिना लक्षण के भी हो सकता है।
5. इन्फ्लेमेटरी मार्कर्स - इससे शरीर में सूजन का स्तर की जांच की जाती है। जिससे धमनियों में प्लाक बनने का खतरा गहनता से समझा जा सकता है।
6. लिपिड प्रोफाइल और HbA1c- कोलेस्ट्रॉल और ट्रायग्लिसराइड्स के लेवल के साथ-साथ पिछले 3 माह का औसत ब्लड शुगर लेवल का सटीक पता लगाने वाली यह जांच होती है। यह जांच डायबिटीज और मेट्रोबोलिक सिंड्रोम के खतरों को मापने में भी सहायक होती है।
7. विटामिन जांच भी होती है आवश्यक- विटामिन डी और बी12 की कमी भी एनर्जी, हड्डियों और मसल्स के स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकती है। इसलिए इनकी जांच भी बेहद आवश्यक होती है।
एक्सपर्ट्स का क्या कहना है ?
इन सभी जांचों को किसी तरह की लक्जरी न समझें , बल्कि इन्हें जीवनरक्षक की ओर एक महत्वपूर्ण कदम समझें। जांच कराने के बाद ही जिम रूटीन शुरू करें और डॉक्टर से एक बार सलाह जरूर लें। समय रहते सावधानी बरतने से अचानक कार्डियक अरेस्ट या जानलेवा हार्ट इवेंट से खुद को सुरक्षित किया जा सकता है।
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