सिर्फ इतना कर लीजिये... धमनियों से पानी की तरह बह जाएगा हार्ट अटैक लाने वाला फैट और कोलेस्ट्रॉल!

Heart Attack Prevention: देश में हार्ट अटैक के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। इसके पीछे कई बड़े कारण हैं लेकिन इसका मुख्य कारण है आर्टरी में प्लाक जजम जाना, जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है। चलिए आपको इस लेख में बताते इसके बारे में विस्तार से...

Priya Singh Bisen
Published on: 21 Oct 2025 12:44 PM IST
Heart Attack Prevention
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Heart Attack Prevention (photo: social media)

Heart Attack Prevention: गौर किया जाए तो हार्ट अटैक के मामले बीते कुछ सालों में बढ़ोतरी हुई हैं। इसमें से एक बड़ा कारण है आर्टरी में प्लाक जमना, जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस के नाम से जाना जाता है। आपको बता दे, यह चिपचिपी तरह से वसा, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और अन्य पदार्थों से बनती है, जिससे आर्टरी की दीवारें मोटी और संकरी हो जाती हैं और हार्ट तक खून का प्रवाह कम होना शुरू हो जाता है। लंबे वक़्त तक माना जाता रहा कि एक बार प्लाक बनने के बाद इसे घटाया नहीं जा सकता और इसका इलाज सिर्फ दवाओं, स्टेंट या सर्जरी से ही संभव हो सकता है। लेकिन... न्यूयॉर्क के बोर्ड-प्रमाणित इमरजेंसी मेडिसिन के एक डॉ. के अनुसार, प्लाक जमना हमेशा स्थायी नहीं होता। उनका मानना है कि अगर जड़ कारणों पर ठीक तरह से ध्यान दिया जाए, तो खतरे को कम किया जा सकता है और प्लाक को उल्टा भी किया जा सकता है।

क्या प्लाक रहता है हमेशा के लिए... क्या है सच?

डॉ. के मुताबिक, प्लाक एक प्रकार से स्थायी है, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। आर्टरी में जमने वाला प्लाक बिना स्टेंट और सर्जरी के भी कम किया जा सकता है। हार्ट अटैक का बड़ा कारण केवल कैल्शियम जमना नहीं होता, बल्कि सॉफ्ट प्लाक का फटना भी हो सकता है। इसमें कई बार आपका स्ट्रेस टेस्ट नॉर्मल आता है और फिर भी ख़तरा बना रहता है। सर्जरी या स्टेंटिंग तत्काल राहत तो देती है और जान भी बचा सकती है, लेकिन यह बीमारी की जड़ पर काम नहीं करती। इसी कारण से आवश्यक है कि जड़ कारण पर काम करके हार्ट अटैक से बचाव किया जाए।

कैसे कर बच सकते हैं ?

डॉ. के अनुसार, इसके लिए सबसे पहले एडवांस जान्च सबसे ज़्यादा आवश्यक है ताकि असली खतरे की पहचान हो सके। साधारण कोलेस्ट्रॉल रिपोर्ट पूरी तस्वीर नहीं बताती। इसमें सबसे पहला जो टेस्ट होता है वह है APOB टेस्ट, जो असली लिपिड पार्टिकल लोड की जानकारी प्रदान करता है। इसके बाद दूसरे नंबर पर आता है हाई सेंसिटिव CRP और LP-PLA2, जिसमें सूजन के वे मार्कर दिखते हैं जो प्लाक को बढ़ाने का काम करते हैं। तीसरे नंबर पर CCTA स्कैन से इसके बारे में पता लगाया जाता है, जो यह दिखाता है कि प्लाक कहां बन रहा है। इस तरह आप किसी बड़े समस्या से बच सकते हैं। वहीं, यदि आप इसको नज़रअंदाज़ करने की भूल करते हैं तो, तो आपको बड़ी दिक्कत हो सकती है।

Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है। इसकी पुष्टि Newstrack.com नहीं करता। किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।

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