बिना दवा के काबू में रहेगा ब्लड प्रेशर! आयुर्वेद के ये सीक्रेट टिप्स रखेंगे दिल को फिट और टेंशन फ्री

High Blood Pressure: आयुर्वेद में हाई ब्लड प्रेशर को वात दोष का असंतुलन माना गया है। प्राकृतिक उपायों और जीवनशैली सुधार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

Akriti Pandey
Published on: 11 Oct 2025 11:56 AM IST
High Blood Pressure Ayurvedic remedies
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High Blood Pressure 

High Blood Pressure: आजकल की बदलती जीवनशैली और खानपान की गलत आदतों ने मानव शरीर को कई प्रकार की बीमारियों से जूझना पड़ रहा है। खासकर युवा वर्ग में भी उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)जैसी गंभीर समस्या तेजी से बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 30 प्रतिशत युवा उच्च रक्तचाप की समस्या से पीड़ित हैं। हालांकि, कई लोग इसे गंभीर बीमारी नहीं समझते या इसके बारे में जानकारी ही नहीं रखते कि यह "साइलेंट किलर" यानी चुपचाप शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली बीमारी है।

उच्च रक्तचाप और आयुर्वेद की दृष्टि

आयुर्वेद में उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) को वात दोष के असंतुलन से जोड़ा गया है। जब शरीर में वात दोष बढ़ जाता है, तो धीरे-धीरे उच्च रक्तचाप की समस्या उत्पन्न होती है। इस स्थिति में व्यक्ति को बेचैनी, घबराहट, सिरदर्द जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। लेकिन अक्सर लोग इन लक्षणों को अनदेखा कर देते हैं, जबकि यह बीमारी पूरे शरीर को प्रभावित करती है। उच्च रक्तचाप के कारण ब्रेन हेमरेज, किडनी फेलियर, आंखों की रोशनी में कमी, नाक से बार-बार खून आना और हार्ट अटैक जैसी जानलेवा स्थितियां हो सकती हैं। इसलिए रक्तचाप को सामान्य स्तर पर बनाए रखना बेहद जरूरी है।

आयुर्वेदिक उपचार और उपाय

आयुर्वेद में उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के कई प्रभावी उपाय बताए गए हैं। इनमें से कुछ सरल घरेलू नुस्खे हैं जो रोग को काफी हद तक नियंत्रण में रखने में मदद करते हैं।

लौकी और तुलसी का जूस: आधा कप लौकी का जूस लें और उसमें पांच-छह तुलसी की पत्तियां मिलाएं। इसे सुबह खाली पेट पीना चाहिए। यह मिश्रण वात और कफ दोष को नियंत्रित करता है और दिल व पेट को ठंडक पहुंचाता है।

सर्पगंधा की जड़: रात में सर्पगंधा की जड़ को पानी में भिगोकर रख दें और सुबह उसे उबालकर पिएं। यह उच्च रक्तचाप को बढ़ने से रोकने में मदद करता है। बाजार में उपलब्ध सर्पगंधा का चूर्ण भी उपयोगी होता है।

आंवला और शहद: रोजाना एक चम्मच आंवले का चूर्ण शहद के साथ लें। यह दिल को मजबूत करता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

जीवनशैली में सुधार है जरूरी

उच्च रक्तचाप से बचाव के लिए जीवनशैली में भी सुधार करना आवश्यक है। तनाव को कम करें, क्योंकि तनाव उच्च रक्तचाप बढ़ाने में एक बड़ा कारण है। साथ ही, सिगरेट, शराब और कैफीन का सेवन पूरी तरह से छोड़ देना चाहिए। नींद पूरी लेना भी बहुत जरूरी है क्योंकि नींद की कमी से रक्तचाप अनियंत्रित हो सकता है। आयुर्वेद में शोधन क्रिया (डिटॉक्सिफिकेशन) भी उच्च रक्तचाप के इलाज में सहायक मानी जाती है। यह प्रक्रिया शरीर की गंदगी और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर स्वस्थ रखती है और बीमारियों से बचाव करती है।

IANS इनपुट के साथ

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