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दादी मां का नुस्खा साबित हुआ कारगर! पैरासिटामोल से ज्यादा असरदार है ये देसी जड़ी-बूटी
Ayurvedic Herb: नारी दमदमी एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो बुखार खासकर चिकनगुनिया में पैरासिटामोल से भी तेज असर दिखाती है और शरीर को तेजी से राहत देती है।
Nari Damdami Benefits
Nari Damdami Benefits: आयुर्वेद में कई जड़ी‑बूटियाँ ऐसी बताई गई हैं, जो सामान्य दवाइयों की तुलना में भी तेज असर करती हैं। ऐसी ही एक अद्भुत औषधि है नारी दमदमी। पारंपरिक कथाओं और अनुभवों के अनुसार, यह विशेषकर चिकनगुनिया और अन्य तेज बुखारों में बेहद प्रभावशाली है। जिन लोगों ने इसका उपयोग किया है, वे दावा करते हैं कि यह पैरासिटामोल जैसी दवा से भी अधिक तीव्र राहत देती है और शरीर को शीघ्र स्फूर्ति प्रदान करती है।
नारी दमदमी क्या है?
नारी दमदमी एक जड़ी-बूटी है, जो आमतौर पर गांवों और खेतों के किनारे पाई जाती है। इसे पहचानना और उपयोग करना पारंपरिक रूप से सरल माना जाता है। पारंपरिक विधि के अनुसार, लगभग 5 ग्राम ताजा पौधा, मूल सहित, थोड़ा कठोर रूप से कूट लिया जाता है। इसके बाद इसमें 3 काली मिर्च मिलाकर चार कप पानी में डाल दिया जाता है और धीमी आंच पर उबालते हैं। जब उबलते-उबलते पानी घटकर एक कप रह जाए, तो उसे छानकर पिया जाता है। यह काढ़ा यदि सुबह खाली पेट पीया जाए, तो बुखार जल्द उतरता है और शरीर को ताकत भी मिलती है।
सेवन अवधि और सावधानियां
नारी दमदमी का सेवन अधिकतम सात दिन से अधिक नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसका गुण अत्यधिक सशक्त माना जाता है। सात दिन की खुराक अधिकांश मामलों में शरीर को पूरी तरह स्वस्थ करने के लिए पर्याप्त पाई जाती है। इसके अधिक उपयोग से शरीर में अनियंत्रित गर्मी बढ़ सकती है या अन्य अपरियोजित प्रभाव हो सकते हैं।
यह किन समस्याओं में लाभदायक है?
बुखार और दर्द: नारी दमदमी बुखार के दौरान होने वाले सर्दी, जोड़ों में दर्द एवं थकान को कम करती है। विशेषकर चिकनगुनिया जैसी स्थितियों में, जब जोड़ों में तेज दर्द हो, यह औषधि राहत देती है।
शरीर की शक्ति: बुखार या संक्रमण के बाद शरीर में कमजोरी आती है। यह जड़ी-बूटी उन विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने और डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करती है।
पाचन एवं प्रतिरक्षा प्रणाली: यह पाचन तंत्र को सुधारने में सहायक होती है और शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है।
घी का सेवन क्यों जरूरी?
आयुर्वेदीय सिद्धांतों के अनुसार, नारी दमदमी की प्रकृति उष्ण होती है। इसे संतुलित करने के लिए भोजन में घी का समावेश जरूरी माना जाता है। अधिक घी का सेवन न केवल इस जड़ी-बूटी की गर्मी को नियंत्रित करता है, बल्कि शरीर को स्निग्धता (लुब्रिकेशन) और शक्ति भी प्रदान करता है। घी की मौजूदगी से इसके प्रभावों का समुचित संचलन होता है और बुखार के बाद कमजोरी नहीं आती।
Disclaimer: यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है। हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है। NEWSTRACK इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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