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चौंकाने वाला खुलासा: फाइज़र की कोविड वैक्सीन से जुड़ी गंभीर आंखों की बीमारी का खतरा
Shocking Revelation of Covid Vaccine: भारत में कोविड टीकाकरण का बड़ा हिस्सा Covishield और Covaxin पर आधारित रहा है। लेकिन Pfizer की mRNA वैक्सीन अब भी निजी अस्पतालों में दी जाती है।
नई दिल्ली | हाल ही में सामने आई एक अध्ययन रिपोर्ट ने Pfizer-BioNTech की कोविड-19 वैक्सीन को लेकर नई चिंताएं खड़ी कर दी हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि यह वैक्सीन दुर्लभ लेकिन संभावित रूप से गंभीर नेत्र संबंधी जटिलताओं को जन्म दे सकती है।
यह अध्ययन प्रतिष्ठित ‘Vaccines’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है और इसका नेतृत्व इज़राइल की तेल अवीव यूनिवर्सिटी और Clalit Health Services के शोधकर्ताओं ने किया। अध्ययन के दौरान लगभग 7.39 लाख मरीजों के डाटाबेस का विश्लेषण किया गया ताकि यह समझा जा सके कि वैक्सीनेशन के बाद स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ते हैं।
अध्ययन में Pfizer की mRNA वैक्सीन (BNT162b2) और तीन प्रकार की नेत्र-ज्वलन (inflammatory) स्थितियों के बीच सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण संबंध पाया गया:
1. यूवाइटिस (Uveitis): यह आंख की मध्य परत (यूवीआ) में सूजन है, जिससे आंखों में लालपन, दर्द, धुंधलापन और रोशनी के प्रति संवेदनशीलता हो सकती है।
2. स्क्लेरेटिस (Scleritis): आंख के बाहरी सफेद भाग (स्क्लेरा) में होने वाली दर्दनाक सूजन, जो अगर अनदेखी की जाए तो दृष्टि को नुकसान पहुँचा सकती है।
3. एपिस्क्लेरेटिस (Episcleritis): स्क्लेरा की सबसे बाहरी परतों में हल्की सूजन, जो सामान्यतः खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है, लेकिन असुविधाजनक होती है।
हालांकि ये स्थितियां दुर्लभ हैं, अध्ययन में यह देखा गया कि पहली खुराक के कुछ ही समय बाद इन मामलों की संख्या में स्पष्ट वृद्धि हुई। शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि भले ही कुल मामले कम हों, पर आंकड़ों के लिहाज़ से यह वृद्धि महत्वपूर्ण और चिंताजनक है।
जोखिम को कैसे समझें?
मानव आंख प्रणालीगत सूजन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि mRNA वैक्सीन से उत्पन्न इम्यून रिस्पॉन्स कुछ दुर्लभ मामलों में ऑटोइम्यून या इन्फ्लेमेटरी प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर कर सकता है — विशेष रूप से उन लोगों में जो पहले से ही आंखों या प्रतिरक्षा तंत्र की बीमारियों से पीड़ित हैं।
यह पहली बार नहीं है जब कोविड वैक्सीन के बाद आंखों की समस्याएं दर्ज की गई हों। पिछले तीन वर्षों में, दुनिया भर के नेत्र विशेषज्ञों ने कभी-कभी रेटिनल वेन ऑक्लूज़न (Retinal Vein Occlusion), ऑप्टिक न्यूराइटिस (Optic Neuritis), और कॉर्नियल ग्राफ्ट रिजेक्शन (Corneal Graft Rejection) जैसे दुर्लभ मामलों की रिपोर्ट की है। हालांकि इनमें से किसी का भी कारण स्पष्ट रूप से साबित नहीं हुआ है।
इस अध्ययन के लेखक डॉ. ज़ीव ज़्लोटोर्स्की ने स्पष्ट किया, “हम डर फैलाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, बल्कि संभावित जोखिमों पर प्रकाश डाल रहे हैं ताकि मरीज़ और डॉक्टर सूचित निर्णय ले सकें।”
यह कैसे होता है? संभावित कारण
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इन स्थितियों का कारण वैक्सीन है या नहीं, पर वैज्ञानिकों ने कुछ संभावित जैविक प्रक्रियाएं प्रस्तावित की हैं:
• मॉलेक्यूलर मिमिक्री (Molecular Mimicry): वैक्सीन से उत्पन्न स्पाइक प्रोटीन एंटीबॉडी गलती से आंखों की ऊतकों पर हमला कर सकते हैं।
• हाइपरइम्यून रिएक्शन: अत्यधिक इम्यून रिस्पॉन्स अस्थायी सूजन का कारण बन सकता है।
• इम्यून कॉम्प्लेक्स डिपॉजिशन: आंखों में स्थानीय ऑटोइम्यून प्रतिक्रियाएं पैदा हो सकती हैं।
ये प्रतिक्रियाएं उन लोगों में अधिक सामान्य हो सकती हैं जिन्हें पहले से ऑटोइम्यून बीमारी है या जिनके परिवार में नेत्र रोगों का इतिहास रहा है।
भारत और वैश्विक संदर्भ में असर
भारत में कोविड टीकाकरण का बड़ा हिस्सा Covishield (AstraZeneca) और Covaxin पर आधारित रहा है। लेकिन Pfizer की mRNA वैक्सीन अब भी निजी अस्पतालों में, खासकर अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने वाले लोगों के लिए दी जाती है।
जैसे-जैसे वैश्विक यात्रा फिर से शुरू हुई है, कई भारतीयों ने Pfizer की बूस्टर डोज विदेश में लगवाई है। इस अध्ययन के निष्कर्ष भारत में स्वास्थ्य नियामकों और चिकित्सकों को उच्च जोखिम वाले समूहों जैसे बुजुर्गों, मधुमेह रोगियों और प्रतिरक्षा-समस्याओं से जूझ रहे व्यक्तियों की वैक्सीनेशन के बाद अधिक निगरानी करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
आपको क्या करना चाहिए?
विशेषज्ञों का मानना है कि इन नेत्र समस्याओं का जोखिम बेहद दुर्लभ है और सामान्य जनसंख्या के लिए वैक्सीनेशन के फायदे इसके जोखिमों से कहीं अधिक हैं।
हालांकि, अगर टीकाकरण के कुछ दिनों या हफ्तों बाद आप में ये लक्षण नजर आएं:
• धुंधली दृष्टि,
• आंखों में दर्द या लालपन,
• रोशनी के प्रति असहजता,
• अचानक दृष्टि में बदलाव,
तो तुरंत किसी नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करें।
फाइज़र की mRNA कोविड वैक्सीन को लेकर सामने आया यह शोध आंखों के स्वास्थ्य के प्रति सजगता और सतर्कता की आवश्यकता को रेखांकित करता है। डर की नहीं, जानकारी और सही निर्णय की ज़रूरत है।
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