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चीन से फ़ैल रहा 'महासंकट'? चमगादड़ों से पनप रहे 'कोरोना के 20 बाप'! दुनिया को सताने लगा नया डर
22 New Corona Like Viruses: अब चीन से आई एक नई रिपोर्ट ने पूरी दुनिया को एक बार फिर से हैरान कर दिया है।
22 New Corona Like Viruses (photo credit: social media)
22 New Corona Like Viruses: कोरोना वायरस की तबाही को भले कुछ ही साल बीते हों, लेकिन इसका डर आज भी लोगों के ज़हन में है। अब चीन से आई एक नई रिपोर्ट ने पूरी दुनिया को एक बार फिर से हैरान कर दिया है। हाल में हुए एक शोध के मुताबिक, चीन के युन्नान प्रांत में चमगादड़ों की किडनी से कम से कम 20 नए खतरनाक वायरस की पहचान हुई है, जिनमें से कई इंसानों और जानवरों में गंभीर रूप से बीमारियां फैला सकते हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक, इन वायरसों में से दो की प्रकृति बहुत खतरनाक हेनिपा वायरस जैसी है, जो इंसानों को संक्रमित कर दिमाग तक को गम्भीरी रूप से प्रभावित कर सकते हैं और मौत का कारण भी बन सकते हैं। यही नहीं, रिसर्च में एक रहस्यमयी बैक्टीरिया और एक परजीवी (क्लोसिएला युन्नानेंसिस) की भी मौजूदगी दर्ज की गई है।
कैसे फैल सकता है ये संक्रमण?
रिपोर्ट के मुताबिक, ये चमगादड़ फल के बागों और ग्रामीण क्षेत्र के आस पास रहते हैं, जिससे उनके मूत्र या लार के माध्यम से फल और पानी बहुत सरलता से संक्रमित हो सकते हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि इंसानों ने ऐसे दूषित फलों या पानी का सेवन किया, तो ये वायरस तेजी से फैल सकता है।
वायरस का जेनेटिक मटेरियल भी है बेहद खतरनाक
इन वायरसों का जेनेटिक मटेरियल हेनिपा वायरस फैमिली से लगभग 52-57% तक मिलता-जुलता है, जो इन्हें और भी घातक बनाता है। इससे शरीर में गंभीर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के साथ-साथ ब्रेन इनफ्लेमेशन (मस्तिष्क में सूजन) भी हो सकती है, जिससे मरीज मानसिक रूप से असंतुलित हो सकता है या जान भी जा सकती है।
महामारी का खतरा फिर से.. ?
फिलहाल वैज्ञानिकों ने इसे महामारी घोषित नहीं किया है, लेकिन इससे जुड़े खतरे को बहुत गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। साल 2017 से 2021 के बीच हुए इस अध्ययन में सपष्ट हुआ है कि यदि समय रहते सतर्कता नहीं बरती गई, तो यह वायरस भविष्य की बड़ी त्रासदी का कारण बन सकते हैं।
क्या है समाधान?
विशेषज्ञों के मुताबिक, लोगों को अब भी सतर्क रहने की बेहद आवश्यकता है, विशेषकर फलों और पानी के सेवन करते समय उनकी स्वच्छता का ध्यान रखें। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वायरस रिसर्च और निगरानी को तेज़ करने की आवश्यता है ताकि समय रहते इन्हें रोका जा सके।
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