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एक कदम इस ओर... वरना वक़्त से पहले आ जाएगा बुढ़ापा! तनाव आपके DNA को करता है शॉर्ट– रिसर्च में बड़ा खुलासा

DNA Damage And Aging: यह प्रक्रिया न केवल कोशिकाओं को बूढ़ा बना रही है, बल्कि इंसान में उम्र से पहले ही बुढ़ापा (Premature Aging) आ रहा है।

Priya Singh Bisen
Published on: 11 July 2025 4:05 PM IST
DNA Damage And Aging
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DNA Damage And Aging

DNA Damage And Aging: क्या आप जानते हैं कि ज्यादा मानसिक तनाव केवल आपके बर्ताव या नींद की गुणवत्ता पर ही नहीं, बल्कि आपके डीएनए (DNA) पर भी बुरा प्रभाव डालता है? हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की हाल ही में हुई रिसर्च में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि लंबे वक़्त तक निरंतर बना रहने वाला तनाव (Chronic Stress) शरीर की कोशिकाओं में मौजूद डीएनए के सिरों पर लगे सुरक्षा कवच यानी टिलोमेर (Telomere) को छोटा कर देता है। यह प्रक्रिया न केवल कोशिकाओं को बूढ़ा बना रही है, बल्कि इंसान में उम्र से पहले ही बुढ़ापा (Premature Aging) आ रहा है।

क्या होता है 'टिलोमेर'?

'टिलोमेर' एक प्रकार का डीएनए के सिरों पर मौजूद छोटे संरचनात्मक अहम भाग होते हैं, जिनका कार्य कोशिकाओं को स्थिर और सुरक्षित रखना होता है। इन्हें आप जूते के फीते के सिरों पर लगे प्लास्टिक कवर की तरह समझ सकते हैं, जो लेस को खराब होने से सुरक्षित रखते हैं। जैसे-जैसे हमारी कोशिकाएं विभाजित होती हैं, टिलोमेर वैसे-वैसे छोटे होते जाते हैं। एक वक़्त ऐसा आता है जब टिलोमेर इतने लघु हो जाते हैं कि कोशिकाएं या तो नष्ट हो जाती हैं या फिर काम करना बंद कर देती हैं – यही प्रक्रिया 'बॉडी एजिंग'का सबसे बड़ा कारण बनती है।

तनाव और टिलोमेर की लंबाई में क्या संबंध है ?

हार्वर्ड में हुई एक स्टडी के मुताबिक, जब कोई व्यक्ति लंबे वक़्त से निरंतर तनाव में रहता है जैसे कि घरेलू कलह, आर्थिक तंगी, काम का दबाव या भावनात्मक असंतुलन – तो शरीर में 'कोर्टिसोल' जैसे तनाव हार्मोन का स्तर बढ़ने लग जाता है। इससे शरीर में 'ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस' और सूजन (Inflammation) की स्थिति जन्म ले लेती है, जो डीएनए को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाती है और टिलोमेर को तेजी से छोटा करती है।

बच्चों और युवाओं में ज्यादा खतरा

रिसर्च में इस बात पर खासतौर पर जोर दिया गया है कि तनाव का सबसे बुरा प्रभाव बच्चों और युवाओं पर देखा जा रहा है। जिन बच्चों ने बचपन में भावनात्मक या सामाजिक तनाव झेला, उन्हें न केवल मानसिक रूप से नुकसान पहुंचा है बल्कि उनके टिलोमेर की लंबाई भी साधारण से कम पाई गई। इतना ही नहीं, मेडिकल इंटर्नशिप कर रहे युवा डॉक्टरों में भी एक ही साल के अनादर डीएनए टिलोमेर में भारी गिरावट देखी गई।

क्या कहती है मेडिकल साइंस?

विशेषज्ञों के मुताबिक, है कि यह केवल जैविक एक बदलाव नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव पूरे स्वास्थ्य तंत्र पर पड़ता है। कोशिकाएं जब वक़्त से पहले बूढ़ी होने लगती हैं तो व्यक्ति में जल्दी थकावट, झुर्रियां, रोगों से लड़ने की क्षमता में कमी, और अन्य बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। यह एक तरह से शरीर के भीतर की धीमी बर्बादी है जो बिना लक्षणों के शुरू हो जाती है।

कैसे रोकें बुढ़ापा ?

रिसर्च से एक बात साफ़ होती है कि मानसिक तनाव को हल्के में लेना अब बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। उम्र से पहले बुढ़ापे को रोकने के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति अपनी मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर ध्यान दे। विशेषज्ञों के मुताबिक, कुछ आसान उपाय अपनाकर आप टिलोमेर को छोटा होने से रोक सकते हैं जैसे कि:

- ध्यान (Meditation) और योग प्रतिदिन करें

- संतुलित और पौष्टिक आहार लें

- प्रति दिन कम से कम 7-8 घंटे की नींद अवश्य लें

- नियमित व्यायाम और सैर को दिनचर्या में शामिल करें

- सोशल मीडिया और नकारात्मक विचारों से दूरी बनाकर रखें

- हंसने-हंसाने वाली गतिविधियों में शामिल हों

- आवश्यकता पड़ने पर मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह लें

एक कदम समाधान की ओर....

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की यह रिसर्च आधुनिक जीवनशैली के बीच एक बड़ी चेतावनी है कि तनाव केवल एक मानसिक स्थिति नहीं, बल्कि एक बड़ा जैविक खतरा भी है। यदि हम आज ही से अपने तनाव को पहचान कर उसे नियंत्रित करने के समाधान की ओर बढ़ाएं तो हम न सिर्फ मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं, बल्कि अपने शरीर को भी वक़्त से पहले बूढ़ा होने से बचा सकते हैं।

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