सेप्सिस बीमारी में समय पर इलाज न मिलने पर जा सकती है जान, विशेषज्ञ बोले लापरवाही खतरनाक

Sepsis Disease: लोहिया संस्थान के निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने बताया कि सेप्सिस तब होता है जब शरीर में बैक्टीरिया, वायरस या फफूंद की वजह से संक्रमण फैलता है।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 10 Sept 2025 8:58 PM IST
सेप्सिस बीमारी में समय पर इलाज न मिलने पर जा सकती है जान, विशेषज्ञ बोले लापरवाही खतरनाक
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Sepsis Disease: सेप्सिस बीमारी शरीर में किसी भी संक्रमण के प्रति खतरनाक प्रतिक्रिया है। इसमें हमारा शरीर संक्रमण से लड़ने के बजाय अपने ही अंगों को नुकसान पहुंचाने लगता है। विशेषज्ञों के अनुसार इसका समय पर इलाज न हो तो मरीज के अंग खराब हो सकते हैं। उसकी कुछ ही घंटों में जान जा सकती है। लोहिया संस्थान में सेप्सिस के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया, जहां विशेषज्ञों ने बीमारी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी है।

लक्षण पहचानें और तुरंत इलाज कराएं

लोहिया संस्थान के निदेशक, डॉ. सीएम सिंह ने बताया कि सेप्सिस तब होता है जब शरीर में बैक्टीरिया, वायरस या फफूंद की वजह से संक्रमण फैलता है। यह संक्रमण सबसे पहले हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर हमला करता है। जिससे शरीर के जरूरी अंग काम करना बंद कर सकते हैं। उन्होंने जोर दिया कि सेप्सिस के शुरुआती लक्षणों को पहचानना और तुरंत चिकित्सा सहायता लेना बहुत जरूरी है। संस्थान की डीन एकेडमिक्स, डॉ. विनीता मित्तल ने कहा कि सेप्सिस के इलाज में देरी मरीज को सेप्सिस शॉक में ले जा सकती है, जो स्थिति को और भी गंभीर बना देता है।

साफ सफाई का ध्यान रखना जरूरी

उन्होंने डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी पुरानी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को विशेष रूप से सतर्क रहने की सलाह दी, क्योंकि वे सेप्सिस की चपेट में आसानी से आ सकते हैं। डॉ. मित्तल ने बताया कि सेप्सिस को रोकने के लिए अच्छी साफ सफाई का ध्यान रखना, घावों की देखभाल करना और संक्रमण के लक्षणों को गंभीरता से लेना आवश्यक है। विशेषज्ञों ने चेतावनी देकर बताया कि यदि आपको ये लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और सेप्सिस के इलाज में कोई देरी न करें। समय पर पहचान और उपचार से जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।

सेप्सिस के शुरुआती लक्षण

-शरीर में तेज दर्द होना।

-दिमाग में भ्रम या उलझन महसूस होना।

-तेजी से सांस लेना।

-चक्कर आना।

-शरीर के तापमान में अचानक बदलाव (बहुत तेज बुखार या बहुत ठंडा)।

-दिल की धड़कन का तेज होना।

-शरीर के अंगों का ठीक से काम न करना।

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