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डायरिया से दो मरीजों की मौत, ट्रॉमा में भी इलाज से लिए अलग से डॉक्टर किये तैनात
Lucknow News: डायरिया के मरीजों के इलाज के लिए ट्रामा में डॉक्टरों की करनी पड़ी तैनाती
KGMU (File Photo)
Lucknow News: जानकीपुरम में उल्टी-दस्त से दो मरीजों की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग समेत अन्य विभाग की कोताही उजागर हुई है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि जानकीपुरम ट्रॉमा सेंटर में न तो किसी फिजिशियन की तैनाती है न ही बाल रोग विशेषज्ञ। ऐसे में उल्टी-दस्त के मरीज को हड्डी रोग व सर्जन के भरोसे भर्ती कराया था। गुरुवार को एडी मंडल ने संक्रामक रोग फैलने के कारण, इलाज के इंतजाम आदि की जांच की। जिसके बाद ट्रॉमा में फिजिशियन व बाल रोग विशेषज्ञों की तैनाती की।
ट्रॉमा सेंटर में किया भर्ती,लेकिन इलाज के लिए डॉक्टर ही नहीं, बाद में किया तैनात
जानकीपुरम में करीब एक सप्ताह से उल्टी-दस्त का प्रकोप है। बड़ी संख्या में लोग बुखार से जूझ रहे हैं। यहां उल्टी-दस्त से दो मरीजों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद अधिकारी बीमारी को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सबसे पहले गंभीर मरीजों को संसाधनविहीन ट्रॉमा सेंटर में भर्ती किया। समय पर मुकम्मल इलाज न मिलने से मरीजों की हालत गंभीर हुई। बाद में मरीजों की सांसें थम गईं। ट्रॉमा सेंटर में सात डॉक्टर तैनात हैं। इनमें हड्डी रोग विशेषज्ञ, सर्जन और दो इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर है। ट्रॉमा में बाल रोग विशेषज्ञ व फीजिशियन की तैनाती नहीं है। ऐसे में उल्टी-दस्त के गंभीर मरीजों के इलाज की व्यवस्था सवालों के घेरे में आ गई है। हालात यह है कि चिकित्सा शिविर सड़क के किनारे लगाया गया था। अफसरों ने धूप में काम कर रहे डॉक्टरों की टीम के लिए स्कूल में बात की। जिसके बाद उसे स्कूल में शिफ्ट किया गया। उच्च अधिकारियों के आदेश पर एडी मंडल डॉ. जीपी गुप्ता ने जांच की। जांच के बाद ट्रॉमा सेंटर में एक फीजिशयन डॉ. विष्णु देव व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पीके वर्मा की तैनाती की। स्थानीय लोगों ने स्वास्थ्य विभाग, जलकल व जिला प्रशासन की टीम को गंदा पानी दिखाया। अफसरों ने गंदा व बदबूदार पानी देखा। साथ ही पानी की जांच रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए।
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