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अपने ही बात में फंसे अनंत सिंह, हड़बड़ी में दिया बयान बना फांस, अब बढ़ेंगी बाहुबली की मुश्किलें
बिहार के मोकामा में आरजेडी नेता दुलारचंद यादव की हत्या केस ने बड़ा मोड़ ले लिया है। जन सुराज उम्मीदवार के समर्थन में उतरे दुलारचंद की मौत के बाद जेडीयू प्रत्याशी और बाहुबली अनंत सिंह गिरफ्तार हो गए। हड़बड़ी में दिया गया उनका बयान ही अब उनके लिए फांस बन गया है, जिससे चुनावी माहौल में हलचल मच गई है।
Mokama Murder Anant Singh: बिहार की मोकामा विधानसभा सीट एक बार फिर सियासी और आपराधिक जंग का अखाड़ा बन गई है। जन सुराज पार्टी (JSP) के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के लिए वोट मांग रहे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता दुलारचंद यादव की हत्या के मामले में, पाँच बार के विधायक और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के उम्मीदवार अनंत सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। अनंत सिंह की गिरफ्तारी ने बिहार के चुनाव आयोग और पुलिस प्रशासन में भूचाल ला दिया। यह गिरफ्तारी तब हुई जब चुनाव आयोग ने दिल्ली से प्रशासन और पुलिस का पूरा सिस्टम हिला दिया जिसके बाद पटना ग्रामीण के एसपी, मोकामा विधानसभा के रिटर्निंग अफसर (बाढ़ के एसडीओ) समेत तीन अफसर हटा दिए गए और एक एसडीपीओ सस्पेंड हो गया। अनंत सिंह की इस गिरफ्तारी में सबसे बड़ी भूमिका उनके हड़बड़ी में दिए गए एक बयान ने निभाई, जिसने घटना से पल्ला झाड़ने के बजाय उन्हें हत्या के समय घटनास्थल पर मौजूद होने के जाल में फंसा दिया।
हत्याकांड की पृष्ठभूमि: RJD के खिलाफ RJD नेता
मोकामा की यह लड़ाई इसलिए भी पेचीदा है क्योंकि मृत दुलारचंद यादव मूल रूप से आरजेडी के नेता थे। लेकिन, इस चुनाव में मोकामा सीट पर वह अपनी पार्टी के खिलाफ जाकर जन सुराज पार्टी (जेएसपी) के पीयूष प्रियदर्शी के पीछे चट्टान की तरह खड़े हो गए थे। दुलारचंद यादव की हत्या के बाद दर्ज कराई गई प्राथमिकी (FIR) में अनंत सिंह का नामजद होना उनकी गिरफ्तारी का मुख्य कारण बना। हत्या के दौरान वहाँ मौजूद लोगों के बयान भी अनंत सिंह की संलिप्तता की ओर इशारा कर रहे थे। लेकिन, सबसे बड़ा सबूत खुद अनंत सिंह ने दिया।
हड़बड़ी में दिया बयान बना 'फांस'
दुलारचंद यादव की हत्या के कुछ ही देर बाद, अनंत सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए एक हड़बड़ी भरा बयान दिया था। इस बयान ने उन्हें निर्दोष साबित करने के बजाय संदेह के घेरे में ला दिया। अनंत सिंह ने कहा था कि "दुलारचंद यादव की हत्या सूरजभान सिंह का खेला है।" मोकामा के बाहुबली सूरजभान सिंह पूर्व सांसद हैं, और उनकी पत्नी वीणा देवी इस चुनाव में तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। अनंत सिंह का बयान एक तरह से अपनी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी वीणा देवी के परिवार पर आरोप लगाने जैसा था। खुद अपने बयान में, अनंत सिंह ने अनजाने में इस बात की पुष्टि कर दी कि वह घटना के दौरान वहीं आसपास मौजूद थे। उन्होंने कहा था कि "उनके साथ की 30-40 गाड़ी आगे निकल गई थी और 10 गाड़ी पीछे रह गई थी, जिसे जन सुराज पार्टी के समर्थकों ने तोड़ दिया।" अनंत सिंह ने यह भी कहा था कि "सबसे पहले दुलारचंद यादव ने हाथ उठाया था।" घटना से पल्ला झाड़ने के लिए दिया गया यह बयान ही उनकी जांच का विषय बन गया, क्योंकि इसने उनकी घटना के दौरान उपस्थिति को जगजाहिर कर दिया।
चुनाव आयोग का 'सर्जिकल स्ट्राइक' और गिरफ्तारी
अनंत सिंह का बयान सामने आते ही विपक्ष ने प्रशासन और चुनाव आयोग पर सवाल उठाना शुरू कर दिया। अनंत की उपस्थिति सिर्फ जांच का विषय हो सकती थी, और यह बात तय करते-होते चुनाव निकल जाता, लेकिन उनके बयान ने प्रशासन पर तुरंत कार्रवाई का दबाव बना दिया। पटना के एसएसपी कार्तिकेय शर्मा ने अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद रात में मीडिया से कहा कि पुलिस की जांच में पाया गया कि अनंत सिंह वहाँ मौजूद थे और उन्हीं के सामने घटना हुई। चुनाव आयोग ने दिल्ली से सख्त रुख अख्तियार करते हुए पटना ग्रामीण के एसपी और मोकामा विधानसभा के रिटर्निंग अफसर (बाढ़ के एसडीओ) समेत तीन अफसरों को हटा दिया और एक एसडीपीओ को सस्पेंड कर दिया। एसएसपी ने बताया कि घटनास्थल पर अनंत सिंह के साथ मौजूद उनके सहयोगी मणिकांत ठाकुर और रंजीत राम की भी गिरफ्तारी हुई है। पुलिस आगे रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी। इस घटना ने साफ कर दिया है कि बिहार में बाहुबलियों का दबदबा अभी भी कायम है, लेकिन चुनाव आयोग इस बार सख्ती बरतने के मूड में है। अनंत सिंह की गिरफ्तारी मोकामा ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार के चुनाव समीकरणों को प्रभावित कर सकती है, जहाँ बाहुबलियों की राजनीति एक बड़ा मुद्दा रही है।
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