लालू के करीबी से अनंत सिंह के विरोधी तक... कैसे खत्म हुआ 'टाल के राजा' दुलारचंद का साम्राज्य?

मोकामा में बाहुबली से नेता बने दुलारचंद यादव की कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई। दुलारचंद यादव कभी बिहार के प्रमुख राजनीतिक नेताओं जैसे लालू यादव और नीतीश कुमार के करीबी रहे हैं। यह घटना जन सूराज पार्टी के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के चुनाव प्रचार के दौरान हुई, जब जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह और दुलारचंद यादव के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हुई।

Shivam Srivastava
Published on: 1 Nov 2025 6:00 PM IST
लालू के करीबी से अनंत सिंह के विरोधी तक... कैसे खत्म हुआ टाल के राजा दुलारचंद का साम्राज्य?
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बिहार की राजनीति, जो बाहुबल और वर्चस्व की पुरानी गाथाओं के लिए जानी जाती है, आज एक बार फिर खून से लथपथ है। मोकामा, जिसे 'अपराध की राजधानी' कहा जाता है, वहाँ के सबसे कुख्यात और प्रभावशाली गैंगस्टर-राजनेता दुलारचंद यादव की चुनावी कैंपेन के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई है। कभी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू यादव के दाहिने हाथ और 'मोकामा टाल के बादशाह' कहलाने वाले दुलारचंद की नृशंस हत्या ने न सिर्फ स्थानीय राजनीति में भूचाल ला दिया है बल्कि बिहार चुनाव को सीधे तौर पर यादव बनाम भूमिहार के खूनी ट्रैक पर धकेल दिया है।

दुलारचंद यादव, जिन्हें कभी "मोकामा टाल का बादशाह" कहा जाता था, का राजनीतिक और आपराधिक इतिहास गहरा और विवादित रहा। लालू यादव और नीतीश कुमार के साथ उनके संबंध, रंगदारी, जमीन कब्जा और बाहुबली के रूप में वर्चस्व की लड़ाइयाँ उन्हें इलाके में कुख्यात बनाती थीं।

दुलारचंद यादव का राजनीतिक और आपराधिक इतिहास

दुलारचंद यादव को कभी “मोकामा टाल का बादशाह” कहा जाता था। उनका राजनीतिक और अपराधीकरण का इतिहास लंबे समय तक मोकामा और आसपास के क्षेत्रों में प्रभावशाली रहा। 1970 के दशक में उन्होंने टाल क्षेत्र में यादव समुदाय के लिए वर्चस्व स्थापित किया और भूमिहार और राजपूत समुदायों के साथ कई बार टकराव हुए।

दुलारचंद को कुख्यात बाहुबली कैलू यादव का शिष्य माना जाता था, लेकिन बाद में दोनों के बीच दुश्मनी पैदा हो गई। 1990 के दशक तक उनके खिलाफ अपहरण, रंगदारी और जमीन कब्जा के कई मुकदमे दर्ज हुए। किसानों से राइफल के बल पर जमीन लेने और फसल के लिए रंगदारी वसूलने की घटनाएँ आम थीं।

दुलारचंद को था लालू यादव का संरक्षण

90 के दशक में दुलारचंद यादव ने लालू यादव का हाथ थामा और राजद के लिए इलाके में कैडर तैयार किया। हालांकि, किसी समय पर लालू यादव से उनके संबंध बिगड़े और उन्हें मोकामा टाल वापस भेजा गया। उनके समर्थकों और लालू यादव के बीच तनाव का दौर लगातार चलता रहा।

मोकामा की राजनीति में अपराधीकरण की परंपरा 1970 के दशक से रही है। बाहुबली नेता और स्थानीय अपराधी राजनीतिक सत्ता में प्रवेश करने लगे। दुलारचंद ने कई चुनाव लड़े, लेकिन कभी विधानसभा का चुनाव जीतने में सफल नहीं रहे। धीरे-धीरे अनंत सिंह और सूरजभान सिंह के परिवार ने इलाके में प्रभुत्व स्थापित किया।

2025 के विधानसभा चुनाव में दुलारचंद यादव ने पीयूष प्रियदर्शी का समर्थन किया, जिन्हें राजद ने टिकट नहीं दिया। उन्होंने खुले तौर पर राजद और अनंत सिंह परिवार की नीतियों पर आपत्ति जताई, जिससे उनके और अनंत सिंह समर्थकों के बीच तनाव बढ़ा।

दुलारचंद की हत्या सेइलाके में हालात

30 अक्टूबर को हुई हत्या ने मोकामा को तनावग्रस्त बना दिया। दुलारचंद के परिजन और पीयूष प्रियदर्शी ने आरोप लगाया कि अनंत सिंह ने उनकी हत्या का आदेश दिया। घटना के बाद इलाके में कई गाड़ियाँ तोड़ी गई और माहौल तनावपूर्ण हो गया। पुलिस ने दुलारचंद यादव को कुख्यात अपराधी बताया, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह घटना यादव बनाम भूमिहार का नया संघर्ष बताई जा रही है।

दुलारचंद यादव की हत्या बिहार चुनाव के दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील साबित हो रही है। यह घटना चुनावी क्षेत्र में सामाजिक और जातीय संघर्ष को और भड़का सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मोकामा की राजनीति अब पहले से ज्यादा अस्थिर और विवादास्पद हो गई है।

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