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जहां बोलेंगे, वहीं... संजय सिन्हा के ऐसे शब्द, बिहार में बेलगाम जुबान पर चुप क्यों लालू और राबड़ी
Bihar Politics: बिहार की राजनीति में तलवारें खिंच चुकी हैं और चुनावी रणभूमि में शब्दों के ये वार आने वाले तूफान की आहट हैं।
Bihar Politics: बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमाई हुई है और इस बार आग में घी डाला है एनडीए नेता और मंत्री संजय सिन्हा ने। उन्होंने तेजस्वी यादव पर उम्र और डिग्री को लेकर ऐसा हमला बोला कि शब्दों की तलवार सीधे निशाने पर जा लगी। कटाक्ष भी ऐसा कि विपक्ष की बोलती बंद हो जाए।
संजय सिन्हा ने कहा कि जिनके राज में ग्रेजुएशन छह साल में पूरी होती थी, वे हमारी डिग्री पर सवाल उठा रहे हैं। सिन्हा ने तेजस्वी की डिग्री पर कटाक्ष करते हुए अपना हाई स्कूल सर्टिफिकेट हवा में लहराया और चुनौती दी कि हिम्मत है तो तेजस्वी भी अपना प्रमाणपत्र दिखाएं। सिन्हा ने ये भी साफ किया कि 2024 में उनकी उम्र 57 साल थी फिर सवाल उठाया कि राबड़ी देवी और लालू यादव अपने बेटों की उम्र और डिग्री पर क्यों चुप हैं? उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि 2015 में चुनाव से पहले छोटे भाई को बड़ा बना दिया गया और यह सब राजनीतिक खेल का हिस्सा था।
कांग्रेस को भी नहीं छोड़ा
तेजस्वी यादव को अनुकंपा की राजनीति से निकले जंगलराज के युवराज करार देते हुए उन्होंने कांग्रेस को भी लपेटा और बोले भ्रष्टाचार में पले-बढ़े लोग हमें क्या नैतिकता सिखाएंगे? जब भीखूभाई दलसानिया के नाम पर सवाल उठा तो सिन्हा ने सीधे कहा कि अब ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की बात हो रही है। कोई भी कहीं से वोट डाल सकता है। इन्हें नियम-कानून की जानकारी है नहीं, बस आरोप लगाने आते हैं।
खुद को एनडीए का हनुमान बताते हुए उन्होंने ताल ठोक दी और कहा कि जब तक मैं हूं, एनडीए को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता। मैं शिक्षक का बेटा हूं, शालीनता मेरी पहचान है लेकिन लोकतंत्र को हल्के में लेने वालों को जवाब देना भी आता है।
भागने में माहिर तेजस्वी!
तेजस्वी यादव पर सीधा हमला करते हुए बोले – जो लोकतंत्र में भरोसा रखते हैं वो चुनाव बहिष्कार की बात नहीं करते। तेजस्वी जैसे लोग दरअसल लोकतंत्र से भागते हैं। पहले खेल के मैदान से भागे और अब चुनावी मैदान से भागने की तैयारी कर रहे। अगर लड़ेंगे तो जनता सबक सिखाएगी।
अंत में सिन्हा ने संकेतों में ही विपक्ष को चेताया कि संविधान पर विश्वास न करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। इतनी आजादी भी ठीक नहीं। अब समय आ गया है कि शकुनि और दुर्योधन जैसे लोगों को उनकी भाषा में समझाया जाए। जहां बोलोगे, वहीं जवाब मिलेगा। बिहार की राजनीति में तलवारें खिंच चुकी हैं और चुनावी रणभूमि में शब्दों के ये वार आने वाले तूफान की आहट हैं।
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