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सेना अधिकारी पर 'झूठ' बोलने का आरोप, स्वर्ण मंदिर से जुड़ा है मामला
Golden Temple: सिख धार्मिक अधिकारियों ने सेना अधिकारी ने बयान को गलत बताते हुए कहा कि उन्होंने स्वर्ण मंदिर में हथियार तैनात करने जैसी कोई अनुमति नहीं दी थी।
स्वर्ण मंदिर (फोटो- सोशल मीडिया)
Golden Temple: भारतीय सेना के वायु रक्षा प्रमुख ने दावा किया है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमृतसर में सिखों के पवित्र स्वर्ण मंदिर में हथियार तैनात करने की उन्हें अनुमति मिली थी। हालांकि, सिख धार्मिक अधिकारियों और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने मंगलवार को सेना की तरफ से आए बयान को झूठा बताते हुए कहा कि उन्होंने ऐसी कोई अनुमति नहीं दी थी। ये पूरा मामला क्या है, आइये विस्तार से समझते हैं।
पहले जानिए कि वायु रक्षा प्रमुख ने क्या कहा था?
वायु रक्षा महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी कुन्हा ने पॉडकास्ट में खुलासा किया कि अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में पाकिस्तान के हमलों का मुकाबला करने के लिए हथियार तैनात करने की अनुमति मिली थी। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने अमृतसर में कई ड्रोन हमले भी किए थे, जिन्हें भारतीय सेना ने नाकाम किया था।
उन्होंने आगे कहा, "हमने अनुमान लगाया था कि पाकिस्तान हमारी नागरिक आबादी और हमारे धार्मिक स्थलों को निशाना बनाएगा। इसके बाद हमने स्वर्ण मंदिर के पदाधिकारियों से बात करके समझाया, जिसके बाद उन्होंने हमें अंतरराष्ट्रीय ख्याति वाले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की सुरक्षा और संरक्षा के लिए हथियार तैनात करने की अनुमति दी।"
"यह बहुत अच्छा था कि स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी ने बंदूकें तैनात करने की अनुमति दी। कई सालों बाद ऐसा हुआ कि उन्होंने स्वर्ण मंदिर की लाइटें बंद कर दी, ताकि भारतीय सेना को पाकिस्तानी ड्रोन के हमले की संकेत मिल सके।"
सिख धार्मिक अधिकारियों ने क्या बताया?
इस मामले में मंगलवार को सिख धार्मिक अधिकारियों और SGPC ने बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने यह साफ किया कि ऐसी कोई अनुमति नहीं दी गई थी। मुख्य ग्रंथी ज्ञानी अमरजीत सिंह ने SGPC द्वारा जारी बयान में कहा, "यह कहना गलत है कि सेना को श्री हरमंदिर साहिब में हवाई रक्षा बंदूकें तैनात करने की अनुमति दी गई थी। ऐसी कोई अनुमति नहीं दी गई थी और ऐसी कोई तैनाती भी नहीं हुई। अमृतसर जिला प्रशासन की तरफ से जारी ब्लैकआउट के दौरान प्रबंधन ने बाहरी और ऊपरी लाइटें बंद करके सहयोग किया। लेकिन जिन जगहों पर धार्मिक आचार संहिता का पालन किया जाता है, वहां लाइटें जलती रहीं। सभी धार्मिक अनुष्ठान भी बिना किसी रुकावट के चलते रहे। इसमें कोई खलल नहीं हुआ और किसी को भी इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार भी नहीं है।"
ज्ञानी अमरजीत सिंह ने आगे सेना अधिकारी के बयान पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अधिकारी ने ऐसा दावा क्यों किया, यह हम नहीं जानते हैं, लेकिन वह यह जरूर कह सकते हैं कि ऐसी तैनाती के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई थी।
SGPC अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कही ये बात
इस मामले में SGPC अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा, "प्रशासन ने हमसे सिर्फ ब्लैकआउट प्रोटोकॉल के साथ सहयोग करने के लिए संपर्क किया था, जिसके बाद अतिरिक्त मुख्य ग्रंथी से बातचीत करके बाहरी लाइटें बंद कर दी गई थी। इसके बाद किसी भी सेना अधिकारी की तरफ से अन्य मामले में हमसे संपर्क नहीं किया गया। भारत सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि सेना अधिकारी इस तरह के बयान आखिर क्यों दे रहे हैं।"
स्वर्ण मंदिर में हथियारों की तैनाती पर है मनाही?
बता दें कि स्वर्ण मंदिर में हथियारों की तैनाती मामला काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। दरअसल, साल 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय 'ऑपरेशन ब्लूस्टार' के दौरान इसे लेकर काफी विरोध हुआ था। उस वक्त खालिस्तान समर्थक जरनैल सिंह भिंडरावाले को सैन्य अभियान चलाकर मारा गया था, जो स्वर्ण मंदिर में छिपा था।
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