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Bihar Assembly Election 2025: मुकेश सहनी 2025: ‘सन ऑफ मल्लाह’ की वापसी या अस्तित्व की लड़ाई?
Bihar Assembly Election 2025 का चुनाव मुकेश सहनी और उनकी पार्टी VIP के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।
Bihar Assembly Election 2025 Mukesh Sahani VIP Party Nishad Community Son of Mallah
Mukesh Sahani: बिहार की राजनीति में अगर कोई ऐसा नेता है जिसने अपने को प्रतीक-चेहरे के रूप में पेश किया हो, तो वह मुकेश सहनी हैं। खुद को ‘सन ऑफ मल्लाह’ कहने वाले सहनी निषाद-समुदाय (मल्लाह, केवट, माझी, बिंद) को राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने की दिशा में सक्रिय रहे हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव उनके लिए सिर्फ एक वापसी नहीं, बल्कि उनकी पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के भविष्य की परीक्षा भी है।
जातीय समीकरण और सामाजिक प्रभाव
सहनी निषाद-समुदाय से आते हैं, जो बिहार में लगभग 3-8 प्रतिशत तक मतदान-शक्ति रखता है, जबकि कुछ स्थानों पर यह 15-20 प्रतिशत तक जाता है। दरभंगा, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल तथा पूर्वी चंपारण के नदी-किनारे वाले इलाकों में उन्होंने विशेष प्रभाव देखा है। लेकिन यह पकड़ स्थायी नहीं रही — कारणों में उनके बार-बार पाला बदलने का आरोप, भाजपा-जदयू-राजद सभी के साथ संबंध, और संगठनात्मक कमजोरी शामिल हैं।
पिछले चुनावों का प्रदर्शन
• 2015 विधानसभा चुनाव: VIP अस्तित्व में नहीं थी। सहनी RJD के स्टार प्रचारक बने थे।
• 2019 लोकसभा चुनाव: VIP ने NDA के साथ मिलकर तीन सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन सहनी खुद हार गए।
• 2020 विधानसभा चुनाव: VIP ने NDA के साथ मिलकर 11 सीटों पर चुनाव लड़ाया, जिसमें से 4 सीटें जीतीं। लेकिन बाद में उनके MLAs भाजपा में चले गए और VIP हाशिए पर चली गई।
2025 का एजेंडा और रणनीति
सहनी इस बार निषाद-समुदाय को “राजनीतिक भागीदारी का हक” देने के नारे के साथ मैदान में हैं। वे खुद को OBC, MBC और विशेष रूप से नाविक जातियों की आवाज के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। उनका मुख्य एजेंडा होगा:
• मछुआ समुदाय को अनुसूचित जाति की मान्यता दिलाना,
• सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का विस्तार,
• नदी-तटवर्ती विकास योजनाएँ तथा मछुआ व्यवसाय में महिलाओं को आरक्षण।
चुनौतियाँ
• निषाद-समुदाय में उनकी स्वीकार्यता पहले जैसी नहीं रही।
• VIP के पास संसाधन-बल बेहद कम है।
• भाजपा, राजद और जदयू के साथ रहने-چھटने के कारण उनका स्थायित्व खोता दिख रहा है।
• संगठन बेहद कमजोर है — बूथ-स्तर पर कार्यकर्ता-नेटवर्क बहुत सीमित।
ताज़ा स्थिति
• 23 अक्टूबर 2025 को महागठबंधन ने सहनी को अपना उपमुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया है। 
• उनकी पार्टी VIP ने महागठबंधन में शामिल होकर EBC/नाविक वोट-बैंक को शक्ति देने की रणनीति अपनायी है। 
• वहीं, VIP उम्मीदवारों का नामांकन कुछ जगहों पर रद्द भी हुआ है, जिससे गठबंधन में हलचल देखी गई। 
• सहनी ने यह भी दावा किया है कि नीतीश कुमार स्वास्थ्य कारणों से बिहार नहीं चलाने योग्य हैं, जिससे वे जागीरदार-सत्ता वाली राजनीति पर निशाना लगा रहे हैं।
निष्कर्ष
2025 का चुनाव मुकेश सहनी के लिए “करो या मरो” की स्थिति बन चुका है। अगर वे एक भी सीट जीतने में सफल होते हैं — और VIP को महागठबंधन में असर मिलता है — तो यह उनके लिए और निषाद-समुदाय के लिए एक प्रतीकात्मक जीत होगी। लेकिन हार की स्थिति में यह साबित होगा कि लोकप्रियता-छवि ही पर्याप्त नहीं है — संगठन, संसाधन और स्थिर सामाजिक आधार होना आवश्यक है।
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