कांग्रेस के 'पोस्टर ब्वॉय' भाजपा के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार! NDA की बैठक के बाद होगी घोषणा; चल रहीं गुपचुप मुलाकातें

NDA Vice President Candidate: भाजपा ने उपराष्ट्रपति पद के लिए वह नाम तय किया है, जो न केवल विपक्ष को झटका देंगे, बल्कि भाजपा की सबको साथ नीति का नया चेहरा भी होंगे।

Snigdha Singh
Published on: 4 Aug 2025 5:09 PM IST (Updated on: 4 Aug 2025 5:53 PM IST)
कांग्रेस के पोस्टर ब्वॉय भाजपा के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार! NDA की बैठक के बाद होगी घोषणा; चल रहीं गुपचुप मुलाकातें
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NDA Vice President Candidate: दिल्ली की सियासी रसोई में इन दिनों फिर एक पुराना मसाला नए तरीके से पकाया जा रहा है और वह हैं गुलाम नबी आज़ाद, कांग्रेस के पूर्व बुज़ुर्ग रणनीतिकार और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, अब भाजपा की नजरों में उपराष्ट्रपति बनने लायक बताए जा रहे हैं या यूं कहें कि नाम तय हो गया। कभी कांग्रेस के पोस्टर बॉय रह चुके आजाद साहब अब इंडिया गठबंधन के लिए बेवफाई का प्रतीक और भाजपा के लिए अनुभव का खजाना बन चुके हैं। भाजपा के सूत्रों के मुताबिक नाम तय मानिए। अब तो केवल NDA में हाथ मिलाने की औपचारिकता शेष है।

50 साल की कांग्रेस यात्रा, लेकिन टिकट कटते ही 'आज़ादी' याद आई

गुलाम नबी आज़ाद का कांग्रेस से मोहभंग तब शुरू हुआ जब उन्हें संकेत मिला कि 2021 की अगली राज्यसभा यात्रा टिकटविहीन हो सकती है। पांच दशक तक पार्टी में सेवा देने के बाद जब उनका राज्यसभा का सीजन पास कटने को आया, तो उन्होंने भी पाँच पन्नों का वो ऐतिहासिक पत्र लिख मारा जो पार्टी में 'लोकतंत्र की हत्या' से लेकर 'यूथ कांग्रेस के अयोग्य राजकुमारों' तक सबका पोस्टमार्टम कर गया। और फिर 2022 में उन्होंने 'डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी' नामक एक ऐसी पार्टी बनाई, जिसे सुनकर ही कुछ लोग पूछने लगे ये डेमोक्रेसी की बात कर रहे हैं या शब्दों की जुगाली?

भाजपा के लिए ‘सॉफ्ट टारगेट’ नहीं, सॉफ्ट कार्नर थे आज़ाद

अब गुलाम नबी आज़ाद भाजपा की उस रणनीति का हिस्सा बन सकते हैं, जिसमें विपक्ष के अनुभवी चेहरों को सज्जनता का प्रतीक बनाकर संवैधानिक पदों पर बिठाया जाता है। वैसे भी जब मोदी जी ने आज़ाद की विदाई पर आँखों में आंसू लिए तारीफ़ की थी, तभी से संकेत साफ थे भाजपा उन्हें राजनीति के पारंपरिक रास्ते से संवैधानिक गलियारों तक पहुंचाना चाहती है। 2022 में पद्मविभूषण का तमगा भी शायद उसी सम्मान का पहला अध्याय था, जिसकी 'परिणति' अब उपराष्ट्रपति पद पर देखी जा सकती है।

नीतीश की गुपचुप बैठक और NDA की अंदरूनी शांति

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो आजकल गुपचुप ज्यादा करते हैं और बोलते कम वह गुलाम नबी आज़ाद से मिल चुके हैं। चंद्रबाबू नायडू को भी फॉर्मेलिटी के तौर पर मनाने की तैयारी है। वैसे भी, दोनों नेताओं को कांग्रेस से जितना लगाव है, उतना ही जलन भी और गुलाम नबी आज़ाद उनके लिए इंडिया गठबंधन का तगड़ा तमाचा बन सकते हैं।

INDIA गठबंधन को ‘बूढ़े आज़ाद’ से चिढ़ क्यों है?

गुलाम नबी आज़ाद कांग्रेस छोड़ने वाले अकेले नेता नहीं हैं, लेकिन उन्होंने जो पांच पन्नों की चिट्ठी छोड़ी थी, वह आज भी कांग्रेस की फाइलों में जलन का कारण है। राहुल गांधी के नेतृत्व पर आज़ाद की तीखी टिप्पणी ने उन नेताओं को भी असहज कर दिया था, जो दिखते साथ हैं लेकिन सोचते कुछ और हैं। अब अगर भाजपा उन्हें उपराष्ट्रपति बना देती है, तो कांग्रेस के लिए यह नैतिक हार होगी, और INDIA गठबंधन के लिए एक और संकेत हर बुज़ुर्ग आपके खेमे में नहीं रहेगा अगर आप उन्हें सिर्फ अतीत समझें।

आज़ाद नाम है, पर अब बंदोबस्त भाजपा का

गुलाम नबी आज़ाद अब भाजपा के लिए वह अनुभवी मोहरा बन सकते हैं, जो न केवल विपक्ष को झटका देंगे, बल्कि भाजपा की सबको साथ नीति का नया चेहरा भी होंगे। और INDIA गठबंधन? वे शायद फिर से अपनी बैठक में तय करेंगे कि ये कोई मुद्दा नहीं है, लेकिन अंदरखाने सब समझेंगे। जो कल तक अपने थे, वो आज सामने खड़े हैं। और जिनकी आँखें नम थीं, अब वो पद्मविभूषण और उपराष्ट्रपति पद के साथ मुस्कुरा रहे हैं।

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