दलित जाति की वजह से CJI पर फेंका जूता... SC में हुई जूते वाली हरकत पर बड़ा ट्विस्ट, सियासी पारा चढ़ा

Ramdas Athawale: CJI बी. आर. गवई पर जूता फेंकने के प्रयास से सियासी हलचल मची है। केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने इस हमले को जातिगत भेदभाव से जोड़ा और आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। जानें पूरा मामला, न्यायपालिका की सुरक्षा और सामाजिक समानता पर बहस।

Harsh Sharma
Published on: 10 Oct 2025 9:49 AM IST (Updated on: 10 Oct 2025 9:55 AM IST)
दलित जाति की वजह से CJI पर फेंका जूता... SC में हुई जूते वाली हरकत पर बड़ा ट्विस्ट, सियासी पारा चढ़ा
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Ramdas Athawale: देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी. आर. गवई पर सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान हुए हमले ने राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक बहस छेड़ दी है। इस घटना में एक वकील ने कथित तौर पर उन पर जूता फेंकने की कोशिश की, जिसने न्यायपालिका की सुरक्षा और सामाजिक समानता के मुद्दों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

केंद्रीय मंत्री आठवले का तीखा आरोप

इस घटना पर केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इसे सीधे तौर पर जातिगत भेदभाव से जोड़ा है। पणजी में पत्रकारों से बात करते हुए आठवले ने कहा कि यह हमला बेहद निंदनीय है और यह इसलिए हुआ क्योंकि CJI गवई दलित समुदाय से आते हैं। आठवले ने कहा, "भारत के मुख्य न्यायाधीश पर ऐसा हमला पहली बार हुआ है। गवई साहब ने अपने कड़ी मेहनत और संघर्ष के दम पर बॉम्बे हाई कोर्ट से लेकर देश के सर्वोच्च पद तक का सफर तय किया। उनके पिता भी राज्यपाल रहे। लेकिन सवर्ण समाज के कुछ लोग एक दलित व्यक्ति की इतनी बड़ी सफलता को हजम नहीं कर पाए।"

उन्होंने मांग की है कि आरोपी वकील राकेश किशोर के खिलाफ केवल सामान्य धाराओं में नहीं, बल्कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

क्या है पूरा मामला?

यह पूरी घटना तब हुई जब 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने सुप्रीम कोर्ट में CJI बी. आर. गवई पर जूता फेंकने का प्रयास किया। इस गंभीर कृत्य के बाद, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने तुरंत उनकी अस्थायी सदस्यता रद्द कर दी और इसे 'गंभीर कदाचार' करार दिया। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी उन्हें वकालत (लीगल प्रैक्टिस) से निलंबित कर दिया। हालांकि, घटना के एक दिन बाद, आरोपी राकेश किशोर ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि उन्हें यह काम करने के लिए 'दिव्य शक्तियों' ने निर्देश दिया था। दिल्ली पुलिस ने उन्हें तीन घंटे की पूछताछ के बाद छोड़ दिया, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने उनके खिलाफ आरोप लगाने से इनकार कर दिया था।

न्यायपालिका की सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न

CJI जैसे देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर बैठे व्यक्ति पर इस तरह का हमला होना न्यायपालिका की सुरक्षा पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है। इस घटना ने देश में सामाजिक समानता और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर एक नई बहस शुरू कर दी है, जहां एक केंद्रीय मंत्री खुले तौर पर इस हमले को जातिगत द्वेष का परिणाम बता रहे हैं। प्रधानमंत्री ने भी इस घटना की निंदा की है, जिससे इसकी गंभीरता साफ जाहिर होती है।

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