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'मोंथा' या 'मेलिसा' कौन ज्यादा खतरनाक? जानिए कितनी तबाही मचा सकते है ये तूफान, कैसे पड़ा इनका नाम
साल 2025 में बंगाल की खाड़ी में उठे साइक्लोन 'मोंथा' और अटलांटिक महासागर के हरिकेन 'मेलिसा' दोनों ही बेहद खतरनाक समुद्री तूफान हैं। जानिए इनकी ताकत, तबाही की क्षमता, नामकरण का इतिहास और किन देशों पर मंडरा रहा है विनाश का खतरा।
Cyclone Montha and Hurricane Melissa: साल 2025 में दुनिया के दो अलग-अलग महासागरों में इस समय दो शक्तिशाली समुद्री तूफान सक्रिय हैं, जिन्होंने कई देशों में दहशत फैला दी है। एक तरफ भारत के लिए बंगाल की खाड़ी में साइक्लोन 'मोंथा' कहर बरपाने को तैयार है, तो वहीं दूसरी ओर अटलांटिक महासागर में हरिकेन 'मेलिसा' कैरिबियन द्वीपों की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। ये दोनों ही घूमते हुए समुद्री तूफान हैं जो तेज हवाओं, भारी बारिश और बाढ़ लाते हैं, लेकिन भौगोलिक स्थिति, नामकरण और ताकत के मामले में ये एक दूसरे से काफी अलग हैं। आइए जानते हैं इन दो तूफानों से जुड़े सवालों के जवाब, और यह भी समझते हैं कि क्यों एक को 'चक्रवात' और दूसरे को 'हरिकेन' कहा जाता है।
चक्रवात बनाम हरिकेन: नाम और जगह का फर्क
चक्रवात (साइक्लोन) एक बड़ा घूमता हुआ तूफान है जो गर्म समुद्री पानी से बनता है। ये तूफान अक्सर उत्तरी हिंद महासागर (जैसे बंगाल की खाड़ी) में बनते हैं और इनमें हवाएं 63 किमी/घंटा से ज्यादा तेज चलती हैं। वहीं, हरिकेन (Hurricane) भी वैसा ही शक्तिशाली तूफान है, लेकिन ये अटलांटिक महासागर या पूर्वी प्रशांत में बनता है। मुख्य फर्क केवल नामकरण का है। अलग-अलग क्षेत्रों में इन्हें अलग नाम दिए गए हैं—भारत/बंगाल में इसे 'चक्रवात' (Cyclone) कहते हैं, जबकि अमेरिका/अटलांटिक क्षेत्र में इसे 'हरिकेन' कहा जाता है। इनकी ताकत मापने का पैमाना भी थोड़ा अलग है: चक्रवात को 'वेरिकेल' (V1 से V5) पर मापा जाता है, जबकि हरिकेन को अमेरिकी 'सैफिर-सिंपसन स्केल' (Cat 1 से Cat 5) पर मापा जाता है। दोनों ही अपने रास्ते में भयंकर तबाही, बाढ़ और समुद्री लहरें लाते हैं।
साइक्लोन 'मोंथा': आंध्र प्रदेश की ओर बढ़ता संकट
साइक्लोन मोंथा 2025 में बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्वी हिस्से से उठा। अक्टूबर के अंत में एक कम दबाव का क्षेत्र (Low-Pressure Area) बना, जो गर्म समुद्री पानी (28-30°C) और नम हवा की अनुकूल परिस्थितियों के कारण तेजी से एक 'सीवियर साइक्लोनिक स्टॉर्म' में बदल गया। भारतीय मौसम विभाग (IMD) द्वारा ट्रैक किया गया यह तूफान, 28 अक्टूबर की शाम या रात को आंध्र प्रदेश के काकीनाडा के पास टकराने वाला है। मोंथा की चरम ताकत में हवाएं 90-100 किमी/घंटा तक पहुंच चुकी हैं, और Gust हवाएं 110 किमी/घंटा तक हैं। इसके टकराने के कारण 10-15 फीट ऊंची समुद्री लहरें उठने और 10-20 इंच तक भारी बारिश होने की आशंका है, जिससे आंध्र प्रदेश और ओडिशा में भारी तबाही की चेतावनी जारी की गई है।
हरिकेन 'मेलिसा': कैरेबियाई द्वीपों पर कैटेगरी 5 का वार
हरिकेन मेलिसा 2025 के अटलांटिक तूफान सीजन का सबसे खतरनाक तूफान बनकर उभरा है। यह अक्टूबर की शुरुआत में पश्चिम अफ्रीका तट से निकली 'ट्रॉपिकल वेव' (एक लहर जैसी हवा) से बना, लेकिन 25-26 अक्टूबर को इसने तेजी से ताकत पकड़ी और कैटेगरी 5 हरिकेन बन गया। मेलिसा इस समय (28 अक्टूबर 2025) कैरिबियन की तरफ बढ़ रहा है और जमैका में 29 अक्टूबर को टकराने वाला है। इसकी हवाएं अविश्वसनीय रूप से 282 किमी/घंटा तेज हैं, जो इसे 2025 का सबसे ताकतवर तूफान बनाती है। इसकी धीमी गति (5-10 मील/घंटा) के कारण नुकसान और भी भयानक होने की आशंका है, खासकर हैती, क्यूबा और जमैका जैसे गरीब द्वीपीय देशों में। अनुमान है कि यह तूफान $50-100 बिलियन तक का नुकसान कर सकता है।
नामकरण की राजनीति: फूल और अंग्रेजी नाम
तूफानों के नाम रखने से लोग आसानी से उन्हें पहचानते हैं और चेतावनी फैलानी आसान हो जाती है।
साइक्लोन (भारतीय महासागर): विश्व मौसम संगठन (WMO) के 13 सदस्य देश (जैसे भारत, थाईलैंड, बांग्लादेश) बारी-बारी से नाम सुझाते हैं। 'मोंथा' नाम थाईलैंड ने सुझाया था, जिसका थाई भाषा में अर्थ 'सुगंधित फूल' या 'सुंदर फूल' होता है। नाम छोटे, आसान और सांस्कृतिक होते हैं।
हरिकेन (अटलांटिक): WMO की हरिकेन कमेटी हर 6 साल में नामों की लिस्ट बनाती है, जिसमें पुरुष/महिला नाम बारी-बारी से रखे जाते हैं। 'मेलिसा' 2025 की अटलांटिक नाम लिस्ट का 13वां नाम है। अगर कोई तूफान बहुत तबाही मचाता है (जैसे कैटरीना), तो उसका नाम हमेशा के लिए रिटायर कर दिया जाता है।
दोनों तूफान मानवता के लिए खतरा हैं, और प्रशासन इन इलाकों में जीरो मौत का लक्ष्य लेकर एनडीआरएफ की टीमें तैनात कर रहा है।
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