Gujarat Cabinet Reshuffle: गुजरात में बड़े फेरबदल से 2027 चुनाव की तैयारी, भाजपा की नई रणनीति

Gujarat BJP Cabinet Reshuffle: भूपेंद्र पटेल कैबिनेट में अभी तक 17 मंत्री थे, अब इनकी संख्या का विस्तार करके 22 या 23 सदस्य शामिल किए जाने की संभावना है।

Neel Mani Lal
Published on: 16 Oct 2025 5:42 PM IST
Gujarat BJP Cabinet Reshuffle 2025 Bhupendra Patel Strategy 2027 Elections
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Gujarat BJP Cabinet Reshuffle 2025 Bhupendra Patel Strategy 2027 Elections 

Gujarat BJP Cabinet Reshuffle 2025: गुजरात में भाजपा एक बड़ा सफाई अभियान करने जा रही है जिसके तहत मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के कैबिनेट में व्यापक छंटनी होगी। भाजपा राज्य कैबिनेट में नए चेहरों को लेकर जातिगत प्रतिनिधित्व, क्षेत्रीय अपेक्षाओं और पार्टी निष्ठा के बीच सही संतुलन बनाने का प्रयास करेगी। गुजरात में 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में भाजपा का ये बड़ा रणनीतिक बदलाव होने जा रहा है। 2027 में अन्य राज्यों के अलावा यूपी, उत्तराखंड में भी चुनाव होने हैं, सो ये भी मुमकिन है कि भाजपा वहां भी कोई बड़ा रणनीतिक कदम उठाए।

भूपेंद्र पटेल कैबिनेट

भूपेंद्र पटेल कैबिनेट में अभी तक 17 मंत्री थे, अब इनकी संख्या का विस्तार करके 22 या 23 सदस्य शामिल किए जाने की संभावना है। वर्तमान कैबिनेट में, आठ मंत्री कैबिनेट स्तर के हैं जबकि अन्य राज्य मंत्री हैं।

पटेल कैबिनेट का विस्तार या पुनर्गठन कल 17 अक्टूबर को होना है जिसमें करीब करीब सभी मौजूदा मंत्रियों को बदला जा सकता है। विवादित या नॉन परफॉर्मेंस वाले मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।

क्या है वजह

यह फेरबदल गुजरात में महीनों की राजनीतिक उठापटक का नतीजा है। आंतरिक जोड़तोड़, जातिगत गणित से लेकर "आप" की बढ़ती चुनौती तक कई फैक्टर हैं जिसके चलते बड़ा बदलाव जरूरी हो गया था। स्थानीय निकाय चुनावों के नज़दीक आने और आप नेता गोपाल इटालिया की पाटीदारों के बीच बढ़ती लोकप्रियता के साथ, भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने गुजरात के राजनीतिक परिदृश्य को नए सिरे से गढ़ने का फैसला किया है।

गुजरात में 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनावों से पहले भाजपा पूरी नई तैयारी कर रही है। पार्टी अब एक युवा और अनुभवी मिक्स कैबिनेट ला कर जनता के बीच मैसेज भी देना चाहती है।

कैसा होगा नया कैबिनेट

फेरबदल में जयेश रादडिया (धोराजी), उदय कांगड़ (राजकोट) और रीवाबा जडेजा (जामनगर उत्तर) जैसे युवा विधायक पदों के प्रबल दावेदार हैं। सौराष्ट्र जो राजनीतिक रूप से अस्थिर और वर्तमान में आप के बढ़ते प्रभाव का गढ़ है, उसपर विशेष ध्यान दिए जाने की उम्मीद है। गोपाल इटालिया के प्रभाव को कम करने के लिए अमरेली या जूनागढ़ से एक लेउवा पाटीदार समुदाय के नेता को कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।

भाजपा को जाति संतुलन सिर्फ सौराष्ट्र ही नहीं बल्कि गुजरात भर में साधना है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल पाटीदार चेहरे का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और जगदीश विश्वकर्मा ओबीसी प्रदेश अध्यक्ष हैं। इनसे पार्टी अपने सामाजिक समीकरणों को दुरुस्त कर रही है। दक्षिण गुजरात से एक आदिवासी या महिला विधायक को शामिल किया जा सकता है, जबकि उत्तर गुजरात से अल्पेश ठाकोर संभावित हैं।

खतरे और जोखिम भी

यह फेरबदल जोखिम से खाली भी नहीं है। अगर दलबदलुओं को पुराने भाजपा वफादारों की जगह तरजीह दी गई तो आंतरिक असंतोष भड़क सकता है। ऐसे में पूर्व कांग्रेसी नेता साइडलाइन ही होंगे क्योंकि पार्टी अपने जमीनी कार्यकर्ताओं के इर्द-गिर्द फिर से संगठित होने की कोशिश कर रही है।

रणनीतिक बदलाव

संघ प्रमुख मोहन भागवत का गुजरात दौरा, दिल्ली में विचार-विमर्श और संघ - भाजपा के बीच तालमेल से पता चलता है कि यह फेरबदल एक व्यापक रणनीतिक बदलाव का हिस्सा है। ये न केवल आगामी स्थानीय चुनावों के लिए भाजपा की रणनीति को आकार देगा, बल्कि 2027 और उसके बाद के लिए भी दिशा तय करेगा।

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