'Black Box' खोलेगा मौत की पोल! 'मेडे' कॉल बनी आखिरी आवाज, जानें कैसे काम करता है ये डिवाइस

Ahmedabad plane crash: राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) ने दुर्घटनाग्रस्त विमान के ब्लैक बॉक्स (Black Box) को बरामद कर लिया है, जिससे इस बड़े हादसे के कारणों का खुलासा होने की उम्मीद है।

Priya Singh Bisen
Published on: 13 Jun 2025 1:24 PM IST (Updated on: 13 Jun 2025 1:41 PM IST)
what is black box
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what is black box

Ahmedabad plane crash:12 जून की दोपहर एक भयानक घटना ने पूरे देश को हिला दिया जब एयर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान टेक ऑफ करने के मात्र एक मिनट के अंदर अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। लंदन जा रहा यह विमान उड़ान भरते ने तुरंत बाद तकनीकी खराबी के चलते बड़े हादसे का शिकार हुआ। इस हादसे में लगभग 242 यात्रियों समेत 265 लोगों की जान चली गई, जिनमें 12 चालक दल के सदस्य भी शामिल थे। अब राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) ने दुर्घटनाग्रस्त विमान के ब्लैक बॉक्स (Black Box) को बरामद कर लिया है, जिससे इस बड़े हादसे के कारणों का खुलासा होने की उम्मीद है।

क्या होता है ब्लैक बॉक्स ?


ब्लैक बॉक्स असल में दो अहम डिवाइसेज़ से मिलकर बना होता है –

1. Cockpit Voice Recorder (CVR)

2. Flight Data Recorder (FDR)

CVR में विमान के कॉकपिट की बातचीत, पायलटों की आवाजें, अलार्म की ध्वनियां और अन्य सभी ऑडियो सिग्नल रिकॉर्ड होते हैं। दूसरी तरफ FDR में विमान से जुड़ा तकनीकी डेटा जैसे ऊंचाई, गति, दिशा, इंजन की स्थिति, थ्रस्ट स्तर आदि दर्ज होता है।

यह डिवाइस बेहद मजबूत मटेरियल से बनी होती है ताकि किसी भी दुर्घटना के बाद भी यह पूर्ण रूप से सुरक्षित रह सके। इसकी बाहरी परत टाइटेनियम या स्टील से बनी होती है और इसमें बेहद ज्यादा तापमान और दबाव सहन करने की क्षमता होती है। बड़ी बात यह है कि इसे ब्लैक बॉक्स के नाम से जाना जाता है, लेकिन यह ऑरेंज रंग का होता है, जिसे 'इंटरनेशनल ऑरेंज' कहा जाता है ताकि मलबे के बीच यह तुरंत नज़र में आ जाए।

कैसे काम करता है ब्लैक बॉक्स ?

'ब्लैक बॉक्स' में एक अंडरवॉटर लोकेटर बीकन (ULB) भी लगा होता है, जो किसी समुद्र या जलाशय में गिरने के बाद भी लगभग 30 दिन तक सिग्नल भेजता रहता है। जब कोई विमान हादसे का शिकार होता है, तो जांच एजेंसियों की सबसे पहली प्राथमिकता होती है ब्लैक बॉक्स को ढूंढना। इसी डिवाइस के माध्यम से पता चलता है कि दुर्घटना से कुछ वक़्त पहले तक क्या घटनाएं घट रही थीं। इसमें मौजूद डेटा को खास सॉफ्टवेयर के सहयोग से डीकोड किया जाता है, जिससे यह समझा जा सकता है कि तकनीकी खराबी थी, मौसम की खराबी या फिर कोई मानवीय भूल।

'ब्लैक बॉक्स' का अविष्कार ?

ब्लैक बॉक्स, जिसे फ्लाइट रिकॉर्डर के नाम से भी जाना जाता है, इसका आविष्कार साल 1930 के दशक में हुआ था। फ्रांसीसी इंजीनियर फ्रांकोइस हुसेनोट ने विमान की गति, ऊंचाई और अन्य मापदंडों को रिकॉर्ड करने के लिए एक उपकरण पर काम किया था। हालांकि, ब्लैक बॉक्स का इस्तेमाल 1950 के दशक में शुरू हुआ था, जब ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक डेविड वॉरेन ने कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर की एक सोच को उजागर किया था।

'मेडे! मेडे! मेडे!' क्या है?

इस हादसे से पहले पायलट की तरफ से एक बहुत बड़ी आपातकालीन संदेश दिया गया था 'मेडे! मेडे! मेडे!'...

यह एक प्रकार का अंतरराष्ट्रीय संकट का संकेत है जिसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब विमान या अन्य कोई भी यातायात साधन गंभीर खतरे में होता है और तत्काल मदद की आवश्यकता होती है। यह शब्द फ्रेंच शब्द 'm’aider' से आया है, जिसका अर्थ होता है 'मदद करो'.. इस संदेश को सुनते ही एयर ट्रैफिक कंट्रोल और बचाव एजेंसियां सतर्क हो जाती हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश इस मामले में विमान के पायलट को संकट का संकेत देने का समय बहुत कम मिला।

इस हादसे में बचा केवल एक व्यक्ति


इस भीषण दुर्घटना में जहां तकरीबन 265 लोगों की जान चली गई, वहीं रमेश विश्वास नामक व्यक्ति चमत्कारिक रूप से जीवित बच गए। उन्हें गंभीर चोटें आईं, लेकिन वे होश में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 13 जून शुक्रवार को घटनास्थल और अस्पताल पहुंचे। उन्होंने घायल रमेश से मुलाकात कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली और उन्हें हर संभव सहायता का विश्वास दिलाया।

पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी थे सवार


इस विमान में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी मौजूद थे, जिनका भी इस भयानक विमान हादसे में निधन हो गया। यह जानकारी सामने आते ही पूरे राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया पर पूरे देश से श्रद्धांजलि संदेश आने लगे। साथ ही अन्य कई गणमान्य व्यक्ति और डॉक्टरों का एक दल भी विमान में सवार था, जो एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में शामिल होने के लिए लंदन जा रहे थे।

प्रारंभिक जांच में क्या आया सामने?

जांच एजेंसियों ने अब तक जो जानकारी दी है उसके मुताबिक, विमान के इंजन थ्रस्ट में अचानक कमी आने की आशंका जताई गई है। इसका अर्थ है कि टेकऑफ के बाद इंजनों ने अचानक काम करना बंद कर दिया या उनकी ताकत कम हो गई, जिससे विमान को ऊंचाई लेने में समस्या हुई और वह नीचे आ गिरा। हालांकि अभी अंतिम निष्कर्ष के लिए ब्लैक बॉक्स का विश्लेषण आवश्यक है।

इस हादसे पर क्या कहना है विमानन विशेषज्ञ का ?

विमानन विशेषज्ञों के मुताबिक, 'ब्लैक बॉक्स' इस हादसे की वास्तविक वजह को सामने लाने में अहम भूमिका निभाएगा। यदि इसमें तकनीकी खराबी के सबूत मिलते हैं, तो यह विमान निर्माता और एयरलाइन दोनों के लिए बड़ी चेतावनी साबित हो सकती है। वहीं, यदि मानवीय भूल सामने आती है, तो एयर ट्रैफिक कंट्रोल और पायलट प्रशिक्षण प्रक्रियाओं की जांच होगी।

अहमदाबाद विमान हादसा ना सिर्फ एक त्रासदी है बल्कि यह एक बार फिर से एविएशन इंडस्ट्री के लिए सख्ती का संकेत भी है। 'ब्लैक बॉक्स' इस दुखद घटना की अंतिम तह तक जाने का एकमात्र सहारा है, जिससे पता चलेगा कि 265 लोगों की जान आखिर किस कारण से गई। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, उम्मीद है कि ब्लैक बॉक्स से मिले सुरागों से न सिर्फ इस हादसे के कारणों का पता चलेगा, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए भी बड़े और आश्यक कदम उठाए जाएंगे।

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