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Gazette Maratha Reservation: हैदराबाद गजट है क्या और इसका मराठा आरक्षण से क्या है कनेक्शन
Hyderabad Gazette Maratha Reservation: मराठा आंदोलनकारी, खासकर मनोज जरांगे, का कहना है कि मराठा और कुनबी एक ही समुदाय हैं।
Hyderabad Gazette Maratha Reservation: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा लंबे समय से चर्चा में रहा है। हाल ही में मराठा समुदाय के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने भूख हड़ताल खत्म की और इसके साथ ही एक नाम बार-बार सुर्खियों में आया- हैदराबाद गजट। मनोज जरांगे ने मांग की थी कि सरकार इस गजट को आधार मानकर मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के मराठा समुदाय को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र दे। इससे मराठों को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के तहत आरक्षण का फायदा मिलेगा। लेकिन यह हैदराबाद गजट है क्या और इसका मराठा आरक्षण से क्या कनेक्शन है?
हैदराबाद गजट क्या है?
हैदराबाद गजट को समझने के लिए हमें थोड़ा इतिहास में जाना होगा। गजट का मतलब होता है एक आधिकारिक दस्तावेज, जिसमें सरकार अपनी नीतियां, आदेश और महत्वपूर्ण जानकारी छापती है। आज से करीब 100 साल पहले, जब भारत आजाद नहीं हुआ था, महाराष्ट्र का मराठवाड़ा हिस्सा हैदराबाद की रियासत के अधीन था। इस रियासत को निजाम शासक चलाते थे। 1918 में निजाम सरकार ने एक आदेश जारी किया, जिसमें मराठा समुदाय को "हिंदू मराठा" के नाम से शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने की बात कही गई। इस आदेश को आधिकारिक तौर पर हैदराबाद गजट नामक दस्तावेज में दर्ज किया गया।
यह गजट न सिर्फ उस समय की जनसंख्या, जातियों और व्यवसायों की जानकारी देता था, बल्कि यह भी बताता था कि मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा माना गया था। यही वजह है कि मराठा आंदोलनकारी इस गजट को अपने आरक्षण की मांग के लिए ऐतिहासिक सबूत के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।
मराठा आरक्षण का इतिहास
मराठा समुदाय महाराष्ट्र का एक बड़ा और प्रभावशाली समुदाय है। यह समुदाय ऐतिहासिक रूप से योद्धा और किसान रहा है। लेकिन समय के साथ मराठों का एक हिस्सा आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ गया। इस वजह से मराठा समुदाय लंबे समय से आरक्षण की मांग करता रहा है, ताकि उन्हें शिक्षा और नौकरियों में बराबरी का मौका मिले।
2018 में महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को 16% आरक्षण देने का फैसला किया था। लेकिन यह आरक्षण सुप्रीम कोर्ट में टिक नहीं पाया, क्योंकि यह 50% की आरक्षण सीमा से ज्यादा था। कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताकर रद्द कर दिया। इसके बाद मराठा समुदाय ने कुनबी जाति के तहत आरक्षण की मांग शुरू की, क्योंकि कुनबी को पहले से ही ओबीसी वर्ग में आरक्षण मिला हुआ है। और यहीं से हैदराबाद गजट की कहानी शुरू होती है।
हैदराबाद गजट और कुनबी कनेक्शन
कुनबी महाराष्ट्र की एक जाति है, जो मुख्य रूप से खेती से जुड़ी है और ओबीसी वर्ग में आती है। इस वजह से कुनबी समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का फायदा मिलता है। मराठा आंदोलनकारी, खासकर मनोज जरांगे, का कहना है कि मराठा और कुनबी एक ही समुदाय हैं। हैदराबाद गजट में "मराठा-कुनबी" या "कुनबी-मराठा" के रूप में कई जगह मराठों की नोंद है। 1901 की मराठवाड़ा जनगणना में भी मराठा और कुनबी को एक ही समुदाय बताया गया है, जिसमें कहा गया कि उस समय मराठवाड़ा की 36% आबादी मराठा-कुनबी थी।
मनोज जरांगे ने मांग की कि सरकार इस गजट को सबूत मानकर मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के मराठों को कुनबी का प्रमाण पत्र दे। अगर ऐसा होता है, तो मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण का फायदा मिलेगा, बिना कुल आरक्षण सीमा को बढ़ाए।
मनोज जरांगे का आंदोलन
मनोज जरांगे पाटिल मराठा आरक्षण आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे हैं। उन्होंने कई सालों तक इस मुद्दे को उठाया और भूख हड़ताल जैसे कड़े कदम उठाए। 2023 से 2025 तक उन्होंने सात बार भूख हड़ताल की, जिसमें मराठवाड़ा और मुंबई में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हुए। उनकी सबसे बड़ी मांग थी कि हैदराबाद गजट को आधार मानकर मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र दिए जाएं। इसके अलावा, उन्होंने यह भी मांग की कि अगर किसी परिवार के एक सदस्य को कुनबी प्रमाण पत्र मिला है, तो बाकी रिश्तेदारों को भी यह मिलना चाहिए।
2025 में मुंबई के आजाद मैदान में जरांगे की भूख हड़ताल ने सरकार पर दबाव बनाया। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मानती, वे मुंबई नहीं छोड़ेंगे। आखिरकार, 2 सितंबर 2025 को महाराष्ट्र सरकार ने उनकी आठ में से छह मांगें मान लीं और हैदराबाद गजट के आधार पर कुनबी प्रमाण पत्र देने का सरकारी आदेश (GR) जारी किया। इसके बाद जरांगे ने अपनी हड़ताल खत्म की और इसे मराठा समुदाय की जीत बताया।
सरकार ने क्यों मानी मांग?
महाराष्ट्र सरकार को यह मांग मानने के लिए कई कारणों ने मजबूर किया:
ऐतिहासिक सबूत: हैदराबाद गजट एक आधिकारिक दस्तावेज है, जिसमें मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा बताया गया है। यह मराठा-कुनबी की एकता का मजबूत सबूत है।
आंदोलन का दबाव: मनोज जरांगे के नेतृत्व में मराठा समुदाय ने बड़े स्तर पर प्रदर्शन किए। 2023 में जालना में हुए आंदोलन और 2025 में मुंबई में भूख हड़ताल ने सरकार को झुकने पर मजबूर किया।
कानूनी रास्ता: सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को 50% की सीमा के कारण रद्द किया था। लेकिन कुनबी के तहत ओबीसी आरक्षण देना एक ऐसा रास्ता था, जो कानूनी रूप से टिक सकता था।
चुनावी दबाव: 2024 की लोकसभा चुनाव में मराठा समुदाय की नाराजगी ने सत्ताधारी गठबंधन को नुकसान पहुंचाया था। विधानसभा चुनाव से पहले सरकार इस मुद्दे को सुलझाना चाहती थी।
शिंदे समिति की सिफारिश: सरकार ने रिटायर्ड जज संदीप शिंदे की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी, जिसने हैदराबाद गजट सहित 7000 से ज्यादा दस्तावेजों की जांच की। इस समिति ने मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र देने की सिफारिश की।
इन सबके चलते सरकार ने हैदराबाद गजट को आधार मानकर मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र देने का फैसला किया।
सातारा गजट का भी जिक्र
हैदराबाद गजट के साथ-साथ सातारा गजट का भी जिक्र हुआ। सातारा महाराष्ट्र की एक पुरानी रियासत थी, और इसके गजट में भी मराठों को "कुनबी-मराठा" के रूप में दर्ज किया गया है। मनोज जरांगे ने मांग की कि सातारा गजट को भी लागू किया जाए, ताकि पश्चिम महाराष्ट्र के मराठों को आरक्षण मिल सके। हालांकि, सरकार ने सातारा गजट पर फैसला लेने के लिए 15 दिन का समय मांगा है, क्योंकि इसमें कुछ कानूनी जटिलताएं हैं।
मराठा समुदाय को क्या फायदा?
हैदराबाद गजट लागू होने से मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र मिलेगा। इससे वे ओबीसी कोटे के तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का फायदा ले सकेंगे। सरकार ने यह भी वादा किया है कि 58 लाख कुनबी रिकॉर्ड्स को ग्राम पंचायतों में उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि प्रमाण पत्र लेना आसान हो। इसके अलावा, मराठा आंदोलन में शहीद हुए लोगों के परिवारों को 15 करोड़ रुपये की मदद और सरकारी नौकरी दी जाएगी।
क्या है चुनौतियां?
हालांकि यह फैसला मराठा समुदाय के लिए बड़ी जीत है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं. कुछ ओबीसी समुदायों का कहना है कि मराठों को कुनबी में शामिल करने से उनके आरक्षण का हिस्सा कम हो सकता है।सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने मराठा और कुनबी को अलग-अलग जातियां माना है। इसलिए सभी मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र देना मुश्किल हो सकता है।सातारा गजट को लागू करने में अभी समय लग सकता है।
हैदराबाद गजट मराठा आरक्षण की लड़ाई में एक ऐतिहासिक हथियार साबित हुआ है। यह 100 साल पुराना दस्तावेज बताता है कि मराठा और कुनबी एक ही समुदाय हैं, और इस आधार पर मराठों को ओबीसी आरक्षण का रास्ता खुल गया है। मनोज जरांगे के आंदोलन और जनता के समर्थन ने सरकार को यह मांग मानने के लिए मजबूर किया। लेकिन अभी सातारा गजट और कुछ कानूनी चुनौतियां बाकी हैं। अगर ये भी सुलझ जाएं, तो मराठा समुदाय को पूरी तरह से आरक्षण का फायदा मिलेगा। यह कहानी न सिर्फ मराठा समुदाय की जीत की है, बल्कि यह भी दिखाती है कि इतिहास के पुराने पन्ने आज भी कितने ताकतवर हो सकते हैं।
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