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भुगतेगा गद्दार बांग्लादेश! जान लें भारत से व्यापारिक संबंध का इतिहास, क्या महंगा पड़ेगा इस देश को
India Bangladesh Tension: क्या आप जानते हैं कि भारत और बांग्लादेश के व्यापारिक संबंध का इतिहास क्या है और बांग्लादेश को भारत सरकार से गद्दारी करना कितना नुकसान पंहुचा सकता है। आइये विस्तार से समझते हैं।
History of Trade Relations Between India Bangladesh
Bharat aur Bangladesh Trade Relation: भारत और बांग्लादेश के व्यापारिक संबंध ऐतिहासिक, भौगोलिक और राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। दोनों देशों की सीमाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं और सांस्कृतिक रूप से भी इनका आपसी जुड़ाव गहरा है। 1971 में बांग्लादेश की आजादी में भारत ने जो भूमिका निभाई, उसने इन दोनों देशों के बीच एक विशेष प्रकार का रिश्ता निर्मित किया। स्वतंत्रता के बाद से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों ने निरंतर प्रगति की है, हालांकि कुछ उतार-चढ़ाव भी सामने आए हैं।
भारत, बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार
भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार का मुख्य आधार परस्पर लाभ और सहयोग रहा है। भारत, बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और दक्षिण एशिया में भारत के सबसे बड़े निर्यात गंतव्यों में बांग्लादेश प्रमुख है। 2022-23 के आंकड़ों के अनुसार भारत और बांग्लादेश के बीच कुल व्यापार लगभग 18 अरब डॉलर तक पहुँच गया था। इस व्यापार में भारत का निर्यात लगभग 13.7 अरब डॉलर था जबकि बांग्लादेश से भारत को आयात लगभग 4.3 अरब डॉलर रहा। इस प्रकार भारत के पक्ष में व्यापार अधिशेष बना हुआ है।
भारत बांग्लादेश को जो मुख्य वस्तुएं निर्यात करता है, उनमें पेट्रोलियम उत्पाद, मशीनरी, वाहन, कपड़ा, खाद्य पदार्थ, बिजली और औद्योगिक कच्चा माल शामिल हैं। दूसरी ओर, बांग्लादेश से भारत को जो वस्तुएं प्राप्त होती हैं, उनमें तैयार कपड़े (रेडीमेड गारमेंट्स), चमड़े के उत्पाद, जूट, फर्नीचर, समुद्री खाद्य पदार्थ, और कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामान शामिल हैं। बांग्लादेश का रेडीमेड गारमेंट उद्योग पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है और भारत इसके लिए एक बड़ा बाजार रहा है।
भारत ने प्रतिबंध लगाया
हाल के समय में भारत ने बांग्लादेश से आयातित कुछ वस्तुओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसमें खासतौर पर रेडीमेड गारमेंट्स, फर्नीचर, जूट से बने उत्पाद और कुछ अन्य वस्तुएं शामिल हैं। यह निर्णय भारत सरकार ने घरेलू उद्योगों को सस्ते आयात से बचाने और स्थानीय बाजार को संरक्षण देने के उद्देश्य से लिया है। इसके अतिरिक्त यह भी देखा गया है कि कई बार इन उत्पादों की गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरती, जिससे उपभोक्ताओं को नुकसान होता है। कुछ मामलों में बांग्लादेशी सामानों का अवैध रूप से भारत में प्रवेश होना भी चिंता का विषय रहा है।
बांग्लादेश की चिंता
भारत के इस कदम से बांग्लादेश की चिंता बढ़ गई है। बांग्लादेश के लिए रेडीमेड गारमेंट्स का भारत में निर्यात एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत है। भारत द्वारा लगाए गए आयात प्रतिबंध से बांग्लादेश के उद्योगों और श्रमिकों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। इससे बांग्लादेश में बेरोजगारी की समस्या और अधिक गंभीर हो सकती है। बांग्लादेश इस मामले को विश्व व्यापार संगठन (WTO) में उठाने की संभावना पर भी विचार कर सकता है।पहले बांग्लादेश से कपड़े ज़मीन के रास्ते महज़ दो-तीन दिनों में भारत पहुंच जाते थे। लेकिन अब इन्हें समुद्री मार्ग से कोलकाता या मुंबई बंदरगाह लाया जाएगा, जहाँ से कस्टम क्लियरेंस के बाद ट्रकों द्वारा गोदामों तक भेजा जाएगा। इस प्रक्रिया में अधिक समय और लागत दोनों लगेंगे।
भारत की ओर से यह तर्क दिया जा रहा है कि यह प्रतिबंध घरेलू सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (MSME) की रक्षा के लिए आवश्यक है। सरकार का मानना है कि बांग्लादेश से आने वाला सस्ता और बिना मानक वाला सामान भारतीय उत्पादकों को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा रहा है। इसके अलावा 'मेक इन इंडिया' और 'वोकल फॉर लोकल' जैसे अभियानों को भी इससे बल मिलेगा।
भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक संबंध
भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक संबंधों को और मजबूती देने के लिए कई समझौते भी हुए हैं। दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) के अंतर्गत दोनों देशों को एक-दूसरे के लिए शुल्क में छूट मिलती है। इसके अतिरिक्त दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) पर भी बातचीत चल रही है, जिससे आने वाले समय में द्विपक्षीय व्यापार को नई दिशा मिल सकती है।
हालांकि, इन संबंधों में कुछ विवाद भी समय-समय पर उत्पन्न होते रहे हैं। भारत द्वारा प्याज के निर्यात पर रोक लगाने से बांग्लादेश में महंगाई बढ़ी है और जनता में असंतोष देखा गया है। इसके अलावा, सीमा विवाद, जल बंटवारा, और अवैध व्यापार जैसे मुद्दे भी व्यापारिक रिश्तों में तनाव उत्पन्न करते हैं।
फिर भी, दोनों देशों के लिए आपसी सहयोग और संवाद से समस्याओं का समाधान निकालना आवश्यक है। भारत को चाहिए कि वह अपने घरेलू उद्योगों की रक्षा करते हुए पड़ोसी देशों के साथ व्यापारिक रिश्ते भी संतुलित रूप से बनाए रखे। बांग्लादेश को भी अपने उत्पादों की गुणवत्ता सुधारने, प्रमाणीकरण सुनिश्चित करने और नियमों का पालन करने पर ध्यान देना होगा।
भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक रिश्ते केवल आर्थिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। यदि दोनों देश पारदर्शिता, विश्वास और संतुलन के साथ व्यापारिक नीतियों को आगे बढ़ाते हैं, तो यह समूचे दक्षिण एशिया में विकास और स्थिरता की ओर एक बड़ा कदम होगा।
बांग्लादेश के लिए भारत की भूमिका क्यों महत्त्वपूर्ण है
भारत, बांग्लादेश का प्राकृतिक पड़ोसी ही नहीं, बल्कि रणनीतिक व्यापारिक भागीदार भी है। ढाका के लिए भारतीय बाजार न केवल विशाल है बल्कि भौगोलिक रूप से भी सुलभ है। खासकर उत्तर-पूर्वी भारत में बांग्लादेशी वस्त्र, खाद्य उत्पाद, जूते और जूट जैसे पारंपरिक उत्पादों की खपत अच्छी खासी है। नीचे कुछ कारण दिए गए हैं कि क्यों बांग्लादेश, भारत से व्यापार में निरंतरता बनाए रखना चाहता है:
1. भौगोलिक समीपता और लागत लाभ
भारत से निकटता के कारण कम लॉजिस्टिक्स लागत।नेपाल और भूटान जैसे देशों में बांग्लादेशी सामान भारत के माध्यम से ही भेजे जाते हैं।
2. प्रवेश द्वार की भूमिका
भारत, बांग्लादेश के लिए दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के बाजारों तक पहुंच का प्रवेश द्वार है।
3. अस्थिर वैश्विक अर्थव्यवस्था में भरोसेमंद बाजार
अमेरिका और यूरोप जैसे बाजारों में मंदी और संरक्षणवाद की स्थिति में भारत एक स्थिर बाजार बना हुआ है।
भारत की रणनीति के संभावित कारण
भारत द्वारा आयात प्रतिबंध सीधे तौर पर टैरिफ नहीं हैं, बल्कि “बंदरगाह प्रतिबंध” के रूप में लागू किए गए हैं, जो तकनीकी रूप से WTO के नियमों के तहत वैध हैं। इसके संभावित कारण निम्न हो सकते हैं:
1. घरेलू परिधान उद्योग की रक्षा-
तमिलनाडु, कर्नाटक जैसे राज्यों में परिधान उद्योग खासकर इनरवियर और बुने हुए वस्त्र बनाने वाले एमएसएमई इकाइयाँ बांग्लादेशी आयात से प्रभावित हो रही थीं।
2. राजनीतिक संदेश-
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भारत के साथ रिश्तों में चीन की बढ़ती भूमिका और सुरक्षा साझेदारी भारत को असहज कर रही है।
3. चुनिंदा बंदरगाह नीति-
भारत चाहता है कि बांग्लादेश से व्यापार नियंत्रित और संगठित बंदरगाहों के माध्यम से हो, जिससे निगरानी आसान हो।
बांग्लादेश: सस्ता उत्पादन केंद्र-
कई भारतीय कंपनियों ने बांग्लादेश में फैक्ट्रियाँ लगा रखी हैं क्योंकि वहाँ उत्पादन लागत कम है। वहाँ मजदूरी कम, बिजली पर सब्सिडी, और कम विकसित देश (LDC) का टैक्स लाभ मिलता है। हालांकि अब बांग्लादेश 'मध्यम आय वाले देशों' की श्रेणी में आ गया है, जिससे इन टैक्स छूटों पर असर पड़ सकता है।
भारतीय और बांग्लादेशी कंपनियों में कर व्यवस्था का अंतर-
ट्रेड एक्सपर्ट अजय श्रीवास्तव के अनुसार, भारत में बने कपड़ों पर 5% GST लगता है जबकि बांग्लादेशी कंपनियाँ चीन से टैक्स-मुक्त कच्चा माल लेकर भारत में माल बेचती हैं। साथ ही उन्हें एक्सपोर्ट इंसेंटिव भी मिलता है, जिससे उन्हें 10-15% तक का मूल्य लाभ हो जाता है।
बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर कपड़ा उत्पादन होता है, जो भारत में कम देखने को मिलता है। भारतीय रिटेलर्स और ग्लोबल चेन के लिए बांग्लादेश से माल मंगवाना अधिक फायदेमंद और आसान होता है। एक रिटेलर के CEO ने कहा, “बांग्लादेश के एक ही निर्माता से मेरी पूरी ज़रूरत पूरी हो जाती है, वो भी समय पर।”
पाबंदियों के पीछे बांग्लादेश की नीति जवाबदेही-
भारत ने यह कदम बांग्लादेश द्वारा भारत से आने वाले सामानों पर लगाई गई पाबंदियों के जवाब में उठाया है। बांग्लादेश ने भारत से आने वाले धागे, पेपर, तंबाकू, मछली और मिल्क पाउडर जैसे उत्पादों पर रोक लगाई थी।
बांग्लादेश ने लगाया ट्रांजिट शुल्क
इसके अतिरिक्त, बांग्लादेश ने भारत से होकर गुजरने वाले सामानों पर 1.8 टका (लगभग 1.25 रुपये) प्रति टन प्रति किलोमीटर ट्रांजिट शुल्क भी लगाया है, जो व्यापार की लागत बढ़ाता है।
बांग्लादेश-चीन समीपता पर भारत की चिंता
बांग्लादेश और चीन के बीच बढ़ती नजदीकियां भी भारत के लिए रणनीतिक चिंता का विषय हैं। यह व्यापारिक और राजनीतिक दोनों दृष्टिकोणों से भारत को सतर्क कर रहा है।
छोटे स्तर के निर्यातक जो ज़मीनी सीमा से व्यापार करते हैं, उन्हें अधिक लॉजिस्टिक्स लागत और नए बंदरगाह से जुड़ने की चुनौतियाँ झेलनी पड़ सकती हैं। भारत ने यह स्पष्ट किया कि बांग्लादेश से नेपाल और भूटान जाने वाले ट्रांजिट को इस प्रतिबंध से अलग रखा गया है, जिससे तीसरे देशों को राहत मिली है।यदि भारत-बांग्लादेश व्यापार में तनाव बढ़ता है, तो चीन इस खाली जगह को भरने की कोशिश करेगा, जिससे क्षेत्रीय कूटनीतिक समीकरण और बिगड़ सकते हैं।भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक संबंध लाभकारी लेकिन संवेदनशील हैं। भारत द्वारा बंदरगाह प्रतिबंधों का उपयोग एक मौन कूटनीतिक दबाव के रूप में हुआ है, जिसे ढाका समझ रहा है और टकराव से बचने की रणनीति अपना रहा है।
अगर बांग्लादेश भारत की रणनीतिक चिंताओं (चीन से नजदीकी) को तवज्जो देता है, तो बातचीत से समाधान निकल सकता है।संयुक्त व्यापार समिति या वाणिज्य सचिव स्तर की वार्ता द्वारा राहत की संभावना बन सकती है।भारत भी नहीं चाहेगा कि बांग्लादेश पूरी तरह चीन की ओर झुके, इसलिए संतुलन बनाए रखना उसकी भी जरूरत है।
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