भारत पर 'प्रलय' का खतरा! 2030 तक दोगुनी होगी गर्मी, 80% जिलों में आएगी 'बाढ़', कहीं आपका शहर भी तो नहीं?

Extreme weather India: एक नई रिपोर्ट ने पूरे देश को चौंका दिया है। अगले कुछ सालों में भारत को जलवायु परिवर्तन के कारण गंभीर मौसम आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है, जिसकी कल्पना भी शायद हमने नहीं की होगी। यह कोई छोटी चेतावनी नहीं, बल्कि प्रलय की आहट है, जो हमें बता रही है कि अब समय बर्बाद करने का कोई मौका नहीं है।

Ramkrishna Vajpei
Published on: 10 Jun 2025 9:48 PM IST
भारत पर प्रलय का खतरा! 2030 तक दोगुनी होगी गर्मी, 80% जिलों में आएगी बाढ़, कहीं आपका शहर भी तो नहीं?
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Extreme weather India: भारत को अगले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण गंभीर मौसम आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। एक नए शोध के अनुसार, देश में अत्यधिक बारिश की घटनाएं औसतन 43% तक बढ़ सकती हैं, वहीं देश के बड़े शहरों में हीटवेव (लू) वाले दिनों की संख्या 2030 तक दोगुनी हो सकती है। जो कि स्पष्ट चेतावनी है कि भारत को जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों का सामना करने के लिए अभी से तैयारी शुरू करनी होगी। न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि जिला और स्थानीय स्तर पर भी सतर्कता और पूर्व नियोजन की आवश्यकता है। मौसम अब केवल अनुमान की बात नहीं रहा — यह आज की सबसे बड़ी हकीकत बन चुका है। ‘वेदरिंग द स्टॉर्म: मैनेजिंग मॉनसून इन ए वार्मिंग क्लाइमेट’ नामक इस रिपोर्ट को IPE ग्लोबल और Esri India ने मिलकर तैयार किया है। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, अत्यधिक वर्षा और हीटवेव की बढ़ती तीव्रता के बीच संबंधों को स्पष्ट करना है। रिपोर्ट में 2030 और 2040 तक के संभावित परिदृश्यों का आकलन किया गया है, जिसमें भारत के विभिन्न जिलों का स्थानिक और कालानुक्रमिक विश्लेषण किया गया।

शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि मुंबई, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, पटना, सूरत, भुवनेश्वर और ठाणे जैसे प्रमुख शहरी केंद्रों में 2030 तक गर्मी के दिन दुगुने हो सकते हैं। इसके अलावा, लगातार हीटवेव की वजह से मानसून के दौरान भी बारिश का स्वरूप अधिक असामान्य, अनियमित और तीव्र हो जाएगा। अध्ययन के सह-लेखक और IPE ग्लोबल के जलवायु विशेषज्ञ अविनाश मोहंती ने बताया, “गर्मी की लहरें अब केवल मौसम की एक सामान्य विशेषता नहीं रहीं, बल्कि ये उन बारिश की घटनाओं को भी प्रभावित कर रही हैं जिन्हें हम अब तक सामान्य मानते आए हैं।”

10 में से 8 जिले होंगे प्रभावित

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 80% जिले – यानी 10 में से 8 – 2030 तक बार-बार और अनियमित भारी वर्षा की घटनाओं का सामना करेंगे। हीटवेव की आवृत्ति और तीव्रता में हाल के वर्षों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है – पिछले 30 वर्षों में गर्मी के दिनों में 15 गुना और पिछले 10 वर्षों में 19 गुना वृद्धि दर्ज की गई है। मोहंती ने कहा, “मार्च से मई और जून से सितंबर के बीच अब कई क्षेत्रों में बिना बारिश के दिन भी गर्मी से झुलसाने वाले होते जा रहे हैं। ये परिवर्तन अब सामान्य नहीं रहे।”

सबसे ज्यादा जोखिम में ये राज्य

रिपोर्ट में गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, ओडिशा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मेघालय और मणिपुर जैसे राज्यों के 75% से अधिक जिलों को जलवायु संकट से सबसे अधिक प्रभावित बताया गया है। इन जिलों में मार्च से मई के बीच हीटवेव की कम से कम एक गंभीर लहर चलने की आशंका जताई गई है।

समाधान क्या है?

अध्ययन ने देश में एक 'जलवायु जोखिम वेधशाला' (Climate Risk Observatory - CRO) की स्थापना की सिफारिश की है, जो रीयल टाइम में गर्मी और भारी वर्षा जैसे खतरों का आकलन कर सके और स्थानीय प्रशासन को समय रहते चेतावनी दे सके। इसके साथ ही, हर जिले में 'हीट-रिस्क चैंपियन' नामित करने का सुझाव दिया गया है, जो जिला आपदा प्रबंधन समितियों के साथ समन्वय में गर्मी से बचाव और अनुकूलन उपायों को लागू कर सकें।

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Harsh Srivastava

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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