India Pakistan War Update: पाकिस्तान का काल बना भारत का S-400 मिसाइल सिस्टम: जानें इसकी बेमिसाल तकनीक, मिसाइलें, और वह ताक़त जो हवा में ही दुश्मन को मिटा दे

India Pakistan War Update: 8 मई 2025 एक ऐसा दिन जिसे भारत की सैन्य रणनीति और रक्षा इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।

Harsh Srivastava
Published on: 8 May 2025 4:13 PM IST
India Pakistan War Latest Update
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India S-400 Missile: 8 मई, 2025 एक ऐसा दिन जिसे भारत की सैन्य रणनीति और रक्षा इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। सुबह के लगभग 5:40 बजे, जब देश के लोग अपने सपनों में खोए थे, भारत के हवाई सुरक्षा नेटवर्क ने पहली बार सक्रिय किया वह आयुध जो वर्षों से दुश्मनों की नींद हराम कर रहा था । रूस निर्मित S-400 ट्रायंफ एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम। यह वही घातक प्रणाली है, जिसे कभी अमेरिका ने भी अपने विरोधी देशों को देने पर आपत्ति जताई थी। और आज, इसने भारतीय वायु क्षेत्र में एक संदिग्ध मिसाइल और ड्रोन हमले को हवा में ही नष्ट कर पूरी दुनिया को संदेश दे दिया की अब भारत को छूना आसान नहीं।

इस पहली कार्रवाई की पुष्टि रक्षा मंत्रालय ने कुछ घंटों बाद की। लेकिन उससे पहले ही सोशल मीडिया और रक्षा विश्लेषकों के बीच खलबली मच चुकी थी। जम्मू-कश्मीर के उत्तरी सेक्टर में LOC के करीब एक संदिग्ध हवाई वस्तु संभावित क्रूज मिसाइल को 400 किलोमीटर दूर से ही लॉक कर, 60,000 फीट की ऊंचाई पर ध्वस्त कर दिया गया। अब सवाल यह है कि आखिर यह S-400 क्या है? कैसे काम करता है? और क्यों इसे दुनिया का सबसे खतरनाक एयर डिफेंस सिस्टम कहा जाता है?

क्या है S-400 ट्रायंफ?

S-400 ट्रायंफ (जिसे रूस में SA-21 Growler भी कहा जाता है) रूस की प्रसिद्ध अल्माज़-आंते कंपनी द्वारा विकसित किया गया है। यह प्रणाली सतह से हवा में मार करने वाली मल्टी-लेयर एयर डिफेंस मिसाइल प्रणाली है जो एक साथ कई टारगेट्स पर हमला कर सकती है चाहे वो जेट फाइटर हों, बैलिस्टिक मिसाइल्स, क्रूज मिसाइल्स या यहां तक कि ड्रोन और अचिह्नित हवाई वाहनों तक। S-400 की सबसे बड़ी ताकत इसकी रेंज और मल्टी-ट्रैकिंग क्षमता है। इसमें चार तरह की मिसाइलें होती हैं 40N6, 48N6, 9M96E2 और 9M96E। इनकी रेंज 40 किलोमीटर से लेकर 400 किलोमीटर तक होती है और यह 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक के लक्ष्यों को भेद सकती हैं। यही वजह है कि इसे "मिसाइलों के हत्यारे" की उपाधि दी जाती है। इस प्रणाली में एक अत्याधुनिक रडार सिस्टम होता है जो 600 किलोमीटर दूर तक के टारगेट को पहचान सकता है। यह एक साथ 80 से ज्यादा टारगेट को ट्रैक कर सकता है और 36 टारगेट्स पर एक ही समय में हमला कर सकता है। यह इतना संवेदनशील है कि F-22 जैसे स्टील्थ फाइटर्स को भी पहचान सकता है, जिसे आमतौर पर रडार में पकड़ना मुश्किल होता है।

कैसे काम करता है S-400

अब बात करें इसके ऑपरेशन की—S-400 एक बैटरी फॉर्मेशन में काम करता है जिसमें कमांड सेंटर, रडार, लॉन्च व्हीकल और सपोर्ट व्हीकल्स होते हैं। जैसे ही कोई दुश्मन मिसाइल या एयरक्राफ्ट भारतीय हवाई सीमा में प्रवेश करता है, सबसे पहले लंबी दूरी का रडार (91N6E) उसे ट्रैक करता है। फिर अगली परत के मल्टीफंक्शन रडार (92N6E) से पुष्टि होती है और कंप्यूटर एल्गोरिद्म टारगेट को प्राथमिकता देता है। इसके बाद मिसाइल लांचर से 400 किमी की दूरी तक मिसाइल छोड़ी जाती है, जो ध्वनि की गति से 14 गुना तेज़ यानी मैक 14 की रफ्तार से जाकर लक्ष्य को हवा में खत्म कर देती है।

भारत ने रूस से 5 S-400 यूनिट्स की डील की थी

भारत ने रूस से कुल पाँच S-400 यूनिट्स की डील की थी, जिसकी कीमत करीब 5.43 बिलियन डॉलर थी। पहला सिस्टम 2021 में भारत पहुंचा था और दिसंबर 2021 से इसकी तैनाती शुरू हो गई थी। अब ये यूनिट्स पश्चिमी, उत्तरी और पूर्वी मोर्चों पर तैनात हैं यानी पाकिस्तान और चीन दोनों से लगी सीमाओं की हिफाज़त के लिए। भारतीय वायुसेना (IAF) के विशेषज्ञों को रूस में ट्रेनिंग दी गई और भारत में इसे पूरी तरह से स्वदेशी सैन्य नेटवर्क में इंटीग्रेट किया गया है।

S-400 ने बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप दुश्मन को मार गिराया

आज की कार्रवाई ने सिर्फ भारत की सैन्य शक्ति ही नहीं, बल्कि उसकी तकनीकी कुशलता और रणनीतिक चतुराई को भी उजागर किया है। सबसे बड़ी बात यह है कि S-400 ने किसी भी मानवीय हस्तक्षेप के बिना पूरी तरह ऑटोमेटिक तरीके से खतरे को पहचान कर उसे निष्क्रिय किया जो यह साबित करता है कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा अब AI समर्थित स्मार्ट वॉरफेयर के युग में प्रवेश कर चुकी है।

क्या है S-400 की खासियत

एक और दिलचस्प पहलू यह है कि S-400 किसी क्षेत्र विशेष को "नो-फ्लाई ज़ोन" घोषित कर देता है। इसका अर्थ यह है कि उस क्षेत्र में कोई भी हवाई वस्तु—चाहे वह कितनी भी तेज़, स्टील्थ या ऊँचाई पर हो बिना भारतीय अनुमति के प्रवेश नहीं कर सकती। पाकिस्तान या चीन यदि हवाई घुसपैठ की सोच भी रहे थे, तो आज के इस प्रहार ने उन्हें स्पष्ट संकेत दे दिया है कि भारत अब रक्षात्मक नहीं, सक्रिय रणनीति अपनाने लगा है। दुनियाभर के सैन्य विश्लेषकों की नजरें अब भारत पर हैं। अमेरिका, जिसने पहले इस डील पर CAATSA नामक प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी थी, आज चुप है। चीन, जो खुद S-400 खरीद चुका है, जानता है कि यह प्रणाली कितनी प्रभावशाली है और अब जब भारत के पास भी यह है, तो ताकत का संतुलन एशिया में निश्चित ही बदल चुका है।

भारत अब हाईब्रिड वॉर और साइबर युद्धों के लिए भी तैयार

इस कार्रवाई का मनोवैज्ञानिक प्रभाव दुश्मनों पर उससे कहीं अधिक गहरा है जितना कोई बम गिराने से होता। यह एक संकेत है कि भारत अब हाईब्रिड वॉर और साइबर युद्धों के युग में न केवल तैयार है, बल्कि नेतृत्व करने की क्षमता रखता है। आज जब देश अपनी सुरक्षा को लेकर पहले से कहीं अधिक सजग है—Pahalgam हमले की भयावहता अभी ताजा है, और पूर्वी लद्दाख में तनाव लगातार बना हुआ है तो S-400 की पहली फायरिंग हमें यह दिलासा देती है कि हम सिर्फ ताकतवर नहीं, बल्कि सतर्क भी हैं। इस तरह S-400 का पहला 'एक्शन' न सिर्फ एक सफल तकनीकी प्रदर्शन था, बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी भारत अब न केवल सीमाओं पर हमला रोक सकता है, बल्कि ज़रूरत पड़ी तो हवा में ही दुश्मन को खत्म कर सकता है।

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Harsh Srivastava

News Cordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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