Indian Air Force Power: भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत की वायु रक्षा प्रणाली बनी सुरक्षा की ढाल

Indian Air Force Power: S-400 त्रायम्फ, रूस द्वारा निर्मित एक लॉन्ग रेंज, मल्टी-लेयर एयर और मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जिसे हालिया सैन्य तनावों के जवाब में पूर्ण रूप से सक्रिय किया गया है।

Neel Mani Lal
Published on: 8 May 2025 5:23 PM IST
Indian Air Force S-400 Missile System Power Full Information
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Indian Air Force S-400 Missile System Power Full Information

Indian Air Force S-400 Missile System: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य टकराव के बाद जब तनाव अपने चरम पर पहुँच गया है, ऐसे में भारत की उन्नत वायु रक्षा प्रणाली राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रही है। विशेष रूप से S-400 त्रायम्फ की सक्रियता से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत ने किसी भी हवाई खतरे से निपटने के लिए मजबूत तैयारी कर रखी है, खासकर भारतीय वायुसेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान द्वारा प्रतिशोध की चेतावनियों के बाद।

S-400 त्रायम्फ: दुनिया की सबसे उन्नत प्रणाली

S-400 त्रायम्फ, रूस द्वारा निर्मित एक लॉन्ग रेंज, मल्टी-लेयर एयर और मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जिसे हालिया सैन्य तनावों के जवाब में पूर्ण रूप से सक्रिय किया गया है। नाटो में SA-21 ग्राउलर के नाम से पहचाना जाने वाला यह सिस्टम दुनिया के सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों में से एक है, जो 400 किलोमीटर की दूरी और 30 किलोमीटर की ऊँचाई तक लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, 7–8 मई की रात इस प्रणाली का प्रभावी रूप से उपयोग किया गया, जिसमें भारत के उत्तर और पश्चिम क्षेत्रों में श्रीनगर, जम्मू, अमृतसर जैसे स्थानों की ओर आए ड्रोन और मिसाइलों को सफलतापूर्वक निष्क्रिय किया गया।


ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत द्वारा लॉन्च की गई SCALP क्रूज मिसाइलों को पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली पहचान नहीं सकी—यह दिखाता है कि भारत की वायु श्रेष्ठता बनाए रखने में S-400 की भूमिका कितनी अहम रही है।

मल्टी-लेयर वायु रक्षा नेटवर्क

भारत की वायु सुरक्षा केवल S-400 तक सीमित नहीं है। भारत ने स्वदेशी और अंतरराष्ट्रीय तकनीकों को मिलाकर एक विस्तृत बहु-स्तरीय रक्षा प्रणाली तैनात की है:

  • आकाश मिसाइल प्रणाली: DRDO द्वारा विकसित सतह से हवा में मार करने वाली प्रणाली, जो 30 किमी तक की दूरी पर विमानों और मिसाइलों को निशाना बना सकती है।
  • बराक-8: भारत और इज़रायल की साझेदारी से विकसित मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली प्रणाली, जो लड़ाकू विमानों, ड्रोन और क्रूज मिसाइलों जैसे हवाई खतरों से निपट सकती है।
  • SAMAR प्रणाली: भारतीय वायुसेना द्वारा विकसित Surface-to-Air Missile for Assured Retaliation (SAMAR) प्रणाली, जो हालिया परीक्षणों में सफल रही है और निम्न-ऊँचाई के खतरों से निपटने की क्षमता प्रदान करती है।
  • उन्नत रडार प्रणाली: DRDO द्वारा विकसित देशी रडार सिस्टम, जिन्हें राफेल, सुखोई-30 MKI और AWACS जैसे प्लेटफॉर्म पर सॉफ्टवेयर-डिफाइंड रेडियो (SDR) नेटवर्क्स के साथ एकीकृत किया गया है, जिससे रीयल-टाइम खतरों की पहचान और समन्वय संभव हो सका है।
  • ड्रोन-रोधी तकनीकें: भारत ने SWARM ड्रोन, एंटी-ड्रोन जैमर, और DRDO की D-4 काउंटर-ड्रोन प्रणाली तैनात की है, ताकि आधुनिक युद्ध में तेजी से बढ़ते मानवरहित हवाई खतरों को रोका जा सके।

यह पूरा नेटवर्क, डिफेंस साइबर एजेंसी (DCA) जैसी विशेष इकाइयों से सहयोग पाकर समूचे भारत में हवाई सुरक्षा कवच प्रदान करता है और किसी भी घुसपैठ पर त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करता है।


वैश्विक प्रभाव

भारत-पाकिस्तान संघर्ष ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है, खासकर जब पाकिस्तान द्वारा चीन निर्मित हथियारों के उपयोग के कारण चीनी रक्षा कंपनियों के शेयरों में उछाल देखा गया। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि संघर्ष आगे बढ़ता है, तो यह चीनी हवाई तकनीक की क्षमता की परीक्षा बन सकता है, जिसमें भारत के S-400 और राफेल लड़ाकू विमान, पाकिस्तान के J-10C और PL-15 मिसाइल सिस्टम के खिलाफ खड़े होंगे।

अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों ने तनाव कम करने की अपील की है, लेकिन भारत का सशक्त वायु सुरक्षा रुख यह दर्शाता है कि वह अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

निष्कर्ष

जहाँ दोनों देशों में सतर्कता उच्चतम स्तर पर है, भारत की वायु रक्षा प्रणाली एक अहम ढाल के रूप में खड़ी है, जो यह सुनिश्चित करती है कि भारत किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है—चाहे वह पारंपरिक युद्ध हो या परमाणु जोखिम वाला संघर्ष क्षेत्र।

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