ट्रंप की 'टैरिफ हेकड़ी' का भारत देगा करारा जवाब! चीन और रूस के साथ मिलकर बनेगा नया 'एशियाई पावर हाउस'?

Trump India tariff: अमेरिका के टैरिफ हमले पर भारत देगा करारा जवाब! ट्रंप की धमकियों के बीच भारत, चीन और रूस मिलकर बना सकते हैं नया एशियाई पावर हाउस, जो वैश्विक आर्थिक संतुलन को हिला सकता है।

Harsh Srivastava
Published on: 7 Aug 2025 4:04 PM IST
ट्रंप की टैरिफ हेकड़ी का भारत देगा करारा जवाब! चीन और रूस के साथ मिलकर बनेगा नया एशियाई पावर हाउस?
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Trump India tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 फीसदी का भारी-भरकम टैरिफ लगाने के फैसले ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। ट्रंप का यह 'व्यापारिक हमला' सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि एक बड़ा भू-राजनीतिक दांव माना जा रहा है। उनके इस फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़ा ऐतराज जताया है और अब भारत एक बड़े और सख्त जवाब की तैयारी में जुट गया है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि ट्रंप की इस 'हेकड़ी' को तोड़ने के लिए भारत क्या कदम उठाएगा?

इन सबके बीच एक बेहद दिलचस्प और रणनीतिक संभावना सामने आ रही है भारत रूस और चीन के साथ मिलकर एक ऐसी 'तिकड़ी' बना सकता है जो न केवल अमेरिका को करारा जवाब देगी बल्कि वैश्विक व्यापार और सत्ता के समीकरणों को भी हमेशा के लिए बदल देगी। यह तिकड़ी अगर सच हो गई तो अमेरिका और यूरोप के दबदबे को बहुत बड़ा झटका लग सकता है।

ट्रंप का 'टैरिफ बम' और भारत का कड़ा रुख

ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारत पर 50% टैरिफ की घोषणा करके एक बार फिर अपनी व्यापारिक नीतियों की आक्रामकता दिखाई है। इस फैसले के पीछे मुख्य कारण भारत द्वारा रूस से तेल खरीदना बताया गया है। ट्रंप ने भारत पर यह आरोप भी लगाया है कि वह रूस से सस्ता तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध का फायदा उठा रहा है। इस 'एकतरफा' फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत और कड़े शब्दों में आपत्ति जताई है। भारत का कहना है कि यह अमेरिका का दोहरा रवैया है क्योंकि पश्चिमी देश खुद भी रूस से व्यापार जारी रखे हुए हैं। भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगा और अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी के दबाव में नहीं आएगा।

रूस चीन और भारत क्या बनेगा नया पावरहाउस?

ट्रंप की धमकियों के बीच रूस भारत और चीन के बीच संबंधों को मजबूत करने की बात एक बार फिर सामने आई है। इस साल की शुरुआत में रूसी विदेश मंत्री ने इस 'त्रिकोण' को फिर से जिंदा करने का विचार पेश किया था। अगर ये तीनों देश एक साथ आते हैं तो यह अमेरिका के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं होगा। इन तीनों देशों का साथ आना एक ऐसे 'एशियाई पावरहाउस' को जन्म दे सकता है जो दुनिया के समीकरणों को पूरी तरह से बदल देगा। इसका सबसे बड़ा असर डॉलर की मोनोपॉली पर पड़ेगा। भारत रूस और चीन तीनों ही अपनी-अपनी मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देने पर जोर दे रहे हैं। अगर यह तिकड़ी मिलकर एक नए पेमेंट सिस्टम पर काम करती है तो इससे डॉलर को सीधे-सीधे चुनौती मिलेगी और अमेरिका का वैश्विक आर्थिक वर्चस्व हिल जाएगा।

डोवाल रूस में पीएम मोदी चीन की यात्रा पर

भारत ने इस संभावित तिकड़ी पर काम करना शुरू भी कर दिया है जिसके संकेत मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रमों से मिल रहे हैं। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोवाल इस समय रूस में हैं। उनकी यह यात्रा रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। माना जा रहा है कि उनके एजेंडे में ट्रंप का टैरिफ दांव सबसे ऊपर है। इसके अलावा वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा की जमीन भी तैयार कर रहे हैं। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस महीने चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं जहां वह शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) समिट में हिस्सा लेंगे। गलवान घाटी संघर्ष के बाद यह प्रधानमंत्री की पहली चीन यात्रा होगी जो खुद में बहुत बड़ा संदेश देती है। इस यात्रा से भारत और चीन के बीच नए साझेदारियों को नया आयाम मिल सकता है। यह भी गौर करने लायक है कि चीन और भारत दोनों ही रूस से तेल के सबसे बड़े खरीदार हैं और दोनों ही ट्रंप की धमकियों के सामने झुकने को तैयार नहीं हैं।

अमेरिका-नाटो को कैसे मिलेगी चुनौती?

अगर यह तिकड़ी हकीकत बनती है तो यह सैन्य और आर्थिक दोनों ही मोर्चों पर अमेरिका और नाटो के लिए एक मजबूत काउंटर बन सकती है। रूस के पास विश्व स्तरीय सैन्य तकनीक है भारत के पास तकनीकी प्रतिभा और मानव संसाधन की कमी नहीं है वहीं चीन की विनिर्माण क्षमता बेजोड़ है। इन तीनों के गठजोड़ से एक नया ट्रेड नेटवर्क भी बन सकता है जिससे कच्चे माल निर्माण और तकनीक का साझा इस्तेमाल कर ये देश वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अपनी पकड़ मजबूत कर सकते हैं। यह तिकड़ी वैश्विक सप्लाई चेन को भी पूरी तरह से बदल सकती है जो अब तक अमेरिका के नियंत्रण में मानी जाती थी।

यह कहना गलत नहीं होगा कि ट्रंप के टैरिफ ने भारत को एक चौराहे पर ला खड़ा किया है। अब देखना यह है कि भारत इस चुनौती का सामना कैसे करता है। क्या वह अमेरिका से अकेले लड़ेगा या फिर चीन और रूस के साथ मिलकर एक ऐसा मजबूत गठबंधन बनाएगा जो न सिर्फ ट्रंप को जवाब देगा बल्कि एक नई वैश्विक व्यवस्था की नींव भी रखेगा।

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News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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