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लेह और कारगिल में इंटरनेट 'शटडाउन', तीन घंटे ब्लैकआउट... आखिर क्या है माजरा?
Ladakh protest: लद्दाख में आज सन्नाटा पसरा है। यहां दो घंटे का मौन मार्च और तीन घंटे का ब्लैकआउट है। साथ ही इंटरनेट सेवाएं भी बंद हैं।
Ladakh protest: लद्दाख की शांत वादियां आज फिर से सन्नाटे में डूबी हैं, लेकिन यह सन्नाटा सिर्फ दुख का नहीं, बल्कि एक सशक्त संदेश का प्रतीक है। आज, 18 अक्टूबर शनिवार को पूरा लद्दाख दो घंटे के मौन प्रदर्शन (साइलेंट प्रोटेस्ट) और तीन घंटे के ब्लैकआउट है। इसी के साथ इंटरनेट सेवाएं भी पूरी तरह से बंद कर दी गई है। अब आप यही सोच रहे होंगे कि आखिर ये सब क्यों? तो आपको बता दें कि यह साइलेंट प्रोटेस्ट 24 सितंबर को हुए विरोध प्रदर्शनों में मारे गए चार लोगों और घायल नागरिकों के प्रति एकजुटता की प्रतीक में है। यह प्रदर्शन भले ही शांतिपूर्ण हो, लेकिन इसके पीछे की आवाज बेहद गूंजदार है और वह है न्याय, सुरक्षा और पहचान की मांग।
प्रशासन सख्त, इंटरनेट सेवाएं बंद
लेह प्रशासन ने प्रदर्शन से पहले हालात को नियंत्रित रखने के लिए BNS की धारा 163 लागू कर दी है, जिसके तहत चार या उससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई है। साथ ही, लेह और कारगिल में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं।
मुख्य सचिव पवन कोटवाल ने कहा कि लद्दाख धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा है और किसी भी कीमत पर शांति भंग नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने साफ कहा, “किसी को भी कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
सरकार के फैसले का स्वागत, पर विरोध जारी
गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी.एस. चौहान की अध्यक्षता में न्यायिक जांच की घोषणा की है। हालांकि, लद्दाख के प्रतिनिधियों ने इसे “स्वागत योग्य, लेकिन अधूरा कदम” बताया। एपेक्स बॉडी ऑफ लद्दाख (ABL) के सह-अध्यक्ष Chering Dorjay ने कहा, “सरकार ने सही दिशा में कदम बढ़ाया है, लेकिन हमारी तय कार्यक्रम के अनुसार विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।”
वहीं KDA नेता सज्जाद कारगिली ने कहा कि केवल जांच से न्याय पूरा नहीं होता। उन्होंने मांग की कि सभी हिरासत में लिए गए लोगों को, जिनमें सोनम वांगचुक भी शामिल हैं, उन्हें रिहा किया जाए। पीड़ित परिवारों को मुआवजा और चिकित्सा सहायता मिले और लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा प्रदान की जाए।
बिना नारे, बिना शोर के मौन मार्च
ABL ने घोषणा की थी कि लेह में नमग्याल चौक से शांति स्तूप तक दो घंटे का मौन मार्च आयोजित होगा, जिसमें सभी प्रतिभागी काले आर्मबैंड पहनकर शामिल होंगे। यह प्रदर्शन किसी भाषण या नारेबाजी के बिना होगा। साथ ही, शाम 6 बजे से तीन घंटे का ब्लैकआउट रखा गया है ताकि दुनिया को यह संदेश दिया जा सके कि लद्दाख शांत है, लेकिन एकजुट और सचेत है।
तीन महीने तक नहीं बजेगी शहनाई
लद्दाख के प्रतिनिधियों ने जनता से अपील की है कि वे अगले तीन महीनों तक किसी भी शादी या समारोह में संगीत का इस्तेमाल न करें। यह फैसला मृतकों के प्रति सम्मान और सामूहिक शोक की भावना को दर्शाने के लिए लिया गया है।
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