TRENDING TAGS :
Bihar voter list: 65 लाख वोटर कैसे हुए लापता? SC ने चुनाव आयोग को दिया 3 दिन का अल्टीमेटम
Bihar voter list: देश की राजनीति में एक ऐसा धमाका हुआ है जिसने बिहार ही नहीं पूरे देश को हिला दिया है। क्या आप सोच सकते हैं आप कि एक राज्य में अचानक 65 लाख वोटर गायब कर दिए जाएं?
Bihar voter list: देश की राजनीति में एक ऐसा धमाका हुआ है जिसने बिहार ही नहीं पूरे देश को हिला दिया है। क्या सोच सकते हैं आप कि एक राज्य में अचानक 65 लाख वोटर गायब कर दिए जाएं? जी हां ये कोई अफवाह नहीं बल्कि एक आधिकारिक मसौदा सूची की सच्चाई है जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में बहस हो रही है। सवाल बड़ा है, ये 65 लाख लोग कौन हैं? और क्या वाकई लोकतंत्र से उनका नाम मिटा दिया गया?।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्देश तीन दिन में दो जवाब
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंचजस्टिस सूर्यकांत जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंहने निर्वाचन आयोग को साफ निर्देश दिया कि वो 65 लाख हटाए गए मतदाताओं का पूरा विवरण 9 अगस्त तक कोर्ट में पेश करे। कोर्ट ने ये भी कहा कि इस लिस्ट की एक कॉपी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) को भी दी जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे। अब हर किसी के मन में यही सवाल हैक्या ये लोग वाकई मृत हैं? या फिर पलायन कर गए हैं? या फिर यह कोई सोची-समझी रणनीति है? कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अब यह जांच का विषय है और हर प्रभावित व्यक्ति से संपर्क करके सच्चाई सामने लाई जाएगी।
ADR का आरोप जानबूझकर छुपाई गई जानकारी?
ADR ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर कर कहा कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में जिन लोगों के नाम हटाए गए हैं उनके पीछे का कारण सार्वजनिक किया जाए। संगठन की मांग है कि यह बताया जाए कि कौन मृत है कौन स्थायी रूप से स्थानांतरित हुआ है और किसका नाम क्यों काटा गया है। ADR की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में आरोप लगाया कि 75% वोटरों ने जरूरी दस्तावेज नहीं दिए फिर भी बीएलओ की सिफारिश पर उनके नाम काटे या जोड़े गए। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक दलों को यह मसौदा पहले ही सौंपा जा चुका है लेकिन आम जनता इससे अनजान है।
EC की सफाई और कोर्ट का रुख पारदर्शिता होगी या पर्देदारी?
निर्वाचन आयोग की ओर से कहा गया कि यह अभी सिर्फ ड्राफ्ट लिस्ट है और नाम हटाने के कारण बाद में बताए जाएंगे। इस पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसा नहीं चलेगा। पीठ ने कहा कि हर एक मतदाता तक पहुंचना जरूरी है ताकि यह भरोसा कायम रहे कि लोकतंत्र में हर आवाज गिनी जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से कहा "आप शनिवार तक जवाब दाखिल करें और प्रशांत भूषण को यह जानकारी देखने दें फिर हम तय करेंगे कि क्या छिपाया जा रहा है और क्या सामने लाया जाएगा।"
12 और 13 अगस्त को फिर से होगी सुनवाई फैसले की घड़ी नजदीक
सुप्रीम कोर्ट अब इस पूरे मामले पर 12 और 13 अगस्त को फिर सुनवाई करेगा। कोर्ट ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि अगर यह साबित होता है कि इतने बड़े पैमाने पर लोगों के नाम जानबूझकर हटाए गए हैं तो वह तुरंत हस्तक्षेप करेगा। इस पूरे घटनाक्रम ने चुनावी पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या वाकई 65 लाख लोगों की चुप्पी उनकी मर्जी है या उन्हें इस प्रक्रिया से बाहर करने का प्रयास किया गया है?।
जनता के मन में उबाल लोकतंत्र पर सवाल
बिहार जैसे बड़े और राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में अगर 65 लाख वोटर अचानक गायब हो जाएं तो यह सिर्फ आंकड़ा नहीं बल्कि लोकतंत्र के भविष्य पर सवालिया निशान है। अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर हैं जहां आने वाले दिनों में यह तय होगा कि भारत का चुनावी सिस्टम पारदर्शी रहेगा या सियासत की चालों में उलझ जाएगा।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!