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दुनिया के सबसे बड़े संगठन RSS के सरसंघचालक मोहन भागवत का आज जन्मदिन, जानिए उनकी शानदार यात्रा
Mohan Bhagwat Birthday: मोहन भागवत का 75वां जन्मदिन, RSS के सरसंघचालक ने संगठन विस्तार, समरसता और राष्ट्र निर्माण में किया उल्लेखनीय योगदान। जानिए उनकी प्रेरणादायक यात्रा और विचारधारा।
Mohan Bhagwat Birthday: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत गुरुवार को 75 साल के हो गए। मोहन भागवत का जन्म 11 सितंबर 1950 को महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में हुआ था। वे पिछले 16 वर्षों से संघ के मार्गदर्शक और दार्शनिक के रूप में संघ की बागडोर संभाल रहे हैं। वे संघ के तीसरे सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले प्रमुख हैं। उनसे पहले माधुकर दत्तात्रेय देवरस (बालासाहेब) और एम. एस. गोलवलकर (गुरुजी) ने संघ का नेतृत्व किया था। बालासाहेब ने करीब 20 साल तक संघ का संचालन किया, जबकि गोलवलकर ने 32 साल से ज्यादा समय तक संघ की कमान संभाली।
मोहन भागवत का संघ के प्रति योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने करीब 50 साल पहले संघ के प्रचारक के रूप में काम करना शुरू किया था। मार्च 2009 में वे संघ के सरसंघचालक बने और तब से लेकर अब तक संघ की कार्यशैली, विचारधारा और राष्ट्र निर्माण की दिशा में मजबूत नेतृत्व प्रदान किया। 11 सितंबर का दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन 1993 में मोहन भागवत ने सरकार्यवाह के रूप में अपनी भूमिका शुरू की थी, जिससे संघ को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने की दिशा में कार्य आरंभ हुआ था।
संगठन विस्तार और सशक्तिकरण
मोहन भागवत ने सरसंघचालक पद संभालने के बाद संघ के विस्तार पर विशेष ध्यान दिया। 2009 तक संघ की करीब 40,000 शाखाएं थीं, जो अब बढ़कर 60,000 से अधिक हो चुकी हैं। यह संघ के कार्यकर्ताओं की मेहनत और संगठनात्मक क्षमता का परिणाम है। भागवत जी के नेतृत्व में संघ ने केवल शाखाओं का विस्तार ही नहीं किया, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों में अपनी स्वीकार्यता भी बढ़ाई। वे हमेशा इस बात पर जोर देते हैं कि समाज को जाति–भेद, ऊँच–नीच और भौतिक असमानताओं से ऊपर उठना होगा। उनके अनुसार, "एक भारत श्रेष्ठ भारत" तभी संभव है जब हर वर्ग को समान सम्मान और अवसर मिले।
समरसता और सामाजिक एकजुटता पर बल
मोहन भागवत ने समरसता को संघ की मूल धारा बताया है। उन्होंने हमेशा समाज में समानता की आवश्यकता को स्पष्ट किया। उनका मानना है कि भारतीय समाज तभी प्रगति कर सकता है जब हर वर्ग को समान अवसर मिले और समाज में एकजुटता हो। उनका आदर्श वाक्य "एक भारत श्रेष्ठ भारत" इस दिशा में समाज को प्रेरित करता है।
विचारधारा और आधुनिकता का संतुलन
मोहन भागवत ने परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया है। उनका कहना है कि विज्ञान, तकनीक और नवाचार अपनाते हुए भी भारत अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ा रह सकता है। उनके अनुसार, “विकास वही स्थायी है जो परंपरा से जुड़ा रहे और समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चले।”
राष्ट्र निर्माण में योगदान
भागवत जी के नेतृत्व में संघ ने केवल वैचारिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक स्तर पर भी राष्ट्र निर्माण के लिए कई कार्य किए हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्राम विकास, पर्यावरण और आत्मनिर्भर भारत जैसे क्षेत्रों में संघ और उसके सहयोगी संगठनों ने उल्लेखनीय योगदान दिया है। कोरोना महामारी के दौरान भी संघ के स्वयंसेवकों ने समाज सेवा का व्यापक कार्य किया।
चुनौतियाँ और समाधान
भागवत जी ने स्वीकार किया कि बदलते समय के साथ नई चुनौतियाँ सामने आ रही हैं, जैसे, वैश्वीकरण का दबाव, सांस्कृतिक पहचान का क्षरण और सामाजिक असमानताएँ। उनका मानना है कि इन चुनौतियों का समाधान भारतीय जीवन मूल्य, परिवार आधारित समाज व्यवस्था और आत्मनिर्भरता में निहित है।
“मोहन भागवत जी ने वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र से प्रेरित होकर समता-समरसता और बंधुत्व की भावना को सशक्त करने में अपना पूरा जीवन समर्पित किया है।”
— Narendra Modi (@narendramodi) September 11, 2025
मां भारती की सेवा में सदैव तत्पर मोहन जी के 75वें जन्मदिन के विशेष अवसर पर मैंने उनके प्रेरक व्यक्तित्व को लेकर अपनी भावनाएं रखी हैं। मैं…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मोहन भागवत के नेतृत्व और उनके योगदान की सराहना की है। उन्होंने कहा कि अगर हमें व्याप्त समस्याओं का समाधान करना है और 100 साल की तैयारी करनी है, तो संगठन और समाज को मिलकर मोहन भागवत जी से प्रेरणा लेनी चाहिए। उनके विचार और नेतृत्व ने न केवल संघ को सशक्त किया, बल्कि पूरे राष्ट्र को एक नई दिशा दी है।
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