दुकानदारों के लिए सरदर्द बना 'नया GST', इस चीज का सता रहा डर, क्या 22 सितंबर से होंगे दाम कम?

सरकार ने GST स्लैब घटाया, 22 सितंबर से तेल, साबुन, टीवी और गाड़ियों की कीमतों में बदलाव, दुकानदारों को पुराने स्टॉक पर चुनौती।

Harsh Srivastava
Published on: 7 Sept 2025 7:08 PM IST
दुकानदारों के लिए सरदर्द बना नया GST, इस चीज का सता रहा डर, क्या 22 सितंबर से होंगे दाम कम?
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GST effect on retailers: देश में महंगाई की मार झेल रही जनता के लिए सरकार ने दिवाली से पहले एक बड़ा ऐलान किया है। जीएसटी काउंसिल की हाल ही में हुई बैठक में रोजमर्रा की जरूरतों से लेकर कार-बाइक तक पर लगने वाले जीएसटी स्लैब को 4 से घटाकर सिर्फ 2 कर दिया गया है। 12% और 28% के स्लैब को हटा दिया गया है, और अब सिर्फ 5% और 18% के स्लैब ही रहेंगे। यह एक क्रांतिकारी कदम है, जिसका सीधा असर तेल, साबुन, शैंपू, दूध, मक्खन, घी से लेकर टीवी, फ्रिज, एसी और गाड़ियों की कीमतों पर पड़ेगा। ये सभी चीजें अब सस्ती हो जाएंगी। नई दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होने वाली हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इस तारीख से ग्राहकों को सच में सस्ता सामान मिलना शुरू हो जाएगा?

पुराने स्टॉक का बोझ: दुकानदारों की सबसे बड़ी चुनौती

सरकार ने तो जीएसटी दरों में कटौती का ऐलान कर दिया है, लेकिन खुदरा दुकानदारों के सामने एक बड़ी चुनौती है - पुराना स्टॉक। आजतक की टीम ने जब दुकानदारों से बात की, तो यह समस्या खुलकर सामने आई। नोएडा में किराना दुकान चलाने वाले तेजपाल सिंह ने बताया कि उनके पास तो पुराने रेट का माल भरा पड़ा है, जिसे वे धीरे-धीरे बेचते हैं। जब तक उन्हें कंपनियों से नए रेट पर माल नहीं मिलेगा, तब तक वे पुराने माल को घाटा सहकर कैसे बेचेंगे? उन्होंने कहा कि यह तभी संभव होगा जब पीछे से जीएसटी कम होकर आएगा, तभी वे भी सामान को सस्ता कर पाएंगे। फिलहाल जो माल स्टॉक में है, उसे वे पुराने रेट पर ही बेचेंगे।

व्यापारी कितने तैयार हैं?

चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर की है। सीटीआई के चेयरमैन बृजेश गोयल का कहना है कि सरकार चाहती है कि इस कटौती का सीधा फायदा आम जनता तक पहुंचे, लेकिन सवाल यह है कि व्यापारी और दुकानदार इसके लिए कितने तैयार हैं? उन्होंने कहा कि हजारों टन पुराना स्टॉक अभी भी दुकानों और गोदामों में भरा पड़ा है। ऐसे में दुकानदारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे पुराने माल पर दाम कैसे घटाएं और ग्राहकों को इसका फायदा कैसे दें। 22 सितंबर से पहले खरीदा गया माल पुरानी दरों पर ही टैग और दाम के साथ होगा। उसे नए दाम पर बेचने के लिए कंपनियों, डिस्ट्रीब्यूटर्स और दुकानदारों के बीच आपसी तालमेल जरूरी होगा।

बोझ कम करने के लिए समाधान

बृजेश गोयल ने इस समस्या को हल करने के लिए कुछ तरीकों का सुझाव भी दिया है। उन्होंने कहा कि कंपनियां पुराने स्टॉक के लिए डीलरों को क्रेडिट नोट दे सकती हैं। इसका मतलब है कि अगर किसी डीलर ने पुरानी दरों पर सामान खरीदा है और अब उसकी कीमत घट गई है, तो कंपनी उसे बराबर का क्रेडिट देगी, जिससे डीलर को नुकसान नहीं होगा। यह एक व्यावहारिक तरीका है, जिससे ग्राहकों को भी फायदा मिलेगा।

इसके अलावा, उन्होंने बताया कि रिलायंस और डीमार्ट जैसी बड़ी कंपनियों के पास तो उन्नत तकनीकी सिस्टम हैं, वे अपने बिलिंग सॉफ्टवेयर को तुरंत अपडेट कर सकते हैं। लेकिन छोटे दुकानदारों और मोहल्ले की दुकानों के लिए यह बदलाव करना मुश्किल होगा, क्योंकि उनके पास ऐसी तकनीक नहीं है। गोयल ने कहा कि कंपनियों को साबुन, शैंपू और टूथपेस्ट जैसे उत्पादों पर नई एमआरपी वाले स्टीकर लगाने पड़ सकते हैं। या फिर वे कीमत घटाने की जगह, प्रोडक्ट की पैकेजिंग का वजन बढ़ा सकती हैं, ताकि ग्राहक को लगे कि उन्हें उसी कीमत में ज्यादा सामान मिल रहा है।

कुल मिलाकर, सरकार का यह फैसला सराहनीय है, लेकिन इसे जमीनी स्तर पर लागू करना छोटे व्यापारियों और दुकानदारों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होने वाला है। पुराने स्टॉक को नए रेट पर बेचना उनके लिए घाटे का सौदा हो सकता है। अब देखना यह होगा कि सरकार, कंपनियां और दुकानदार मिलकर इस चुनौती का सामना कैसे करते हैं, ताकि दिवाली से पहले आम जनता को सच में महंगाई से राहत मिल सके।

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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