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इतना वीभत्स! दूर के चाचा और भाई ने ही नाबालिग के साथ किया गैंगरेप, दरिंदगी की सारी हदें पार
Puri gang rape relatives: ओडिशा में 16 साल की नाबालिग के साथ रिश्तेदारों ने की दरिंदगी। इस जघन्य अपराध ने ओडिशा की कानून व्यवस्था पर उठाए गंभीर सवाल।
Puri gang rape relatives: ओडिशा के पुरी के चंदनपुर इलाके में 22 अक्टूबर की रात कुछ ऐसा हुआ, जिसने पूरे ओडिशा को झकझोर दिया। देवी काली के विसर्जन की रोशनी में जहां लोग भक्ति और उत्सव में डूबे थे, वहीं एक मासूम की जिंदगी अंधेरे में डूब गई। 16 साल की नाबालिग लड़की के साथ उसके ही दूर के रिश्तेदारों ने ऐसा घिनौना काम किया जिसने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया।
भक्ति की रात बनी खौफ की रात
उस रात पीड़िता का परिवार देवी काली की मूर्तियों के विसर्जन जुलूस को देखने गया था। घर पर सिर्फ दो बहनें थीं। बड़ी 16 साल की और छोटी, जो अभी बच्ची ही थी। इसी दौरान रिश्ते में लगने वाले चाचा और भाई घर में घुसे और उन्होंने वह दरिंदगी की जो शब्दों में बयान करना मुश्किल है। जब परिवार लौटा, तो मासूम ने अपनी मां के गले लगकर रोते हुए सब कुछ बता दिया। एक पल में त्योहार की खुशी मातम में बदल गई।
गांव का दबाव और टूटी हिम्मत
स्थानीय लोगों के मुताबिक, परिवार पहले तो शिकायत दर्ज कराने से हिचकिचा रहा था। गांव के दबाव और रिश्तेदारी की शर्म के कारण मां-बेटी चुप रहीं। लेकिन जब हालात असहनीय हो गए, तो आखिरकार शुक्रवार को पीड़िता अपनी मां के साथ चंदनपुर थाने पहुंची और पूरी आपबीती सुनाई। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मामला दर्ज किया और दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया। दोनों दिहाड़ी मजदूर बताए जा रहे हैं, जिनसे पूछताछ जारी है।
राजनीति में उठी हलचल
इस घटना ने ओडिशा की सियासत में भी तूफान मचा दिया है। विपक्षी दल बीजू जनता दल (BJD) ने राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा। पार्टी ने कहा कि यह सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि ओडिशा में कानून व्यवस्था की विफलता का जीता-जागता सबूत है।
बीजद का आरोप है कि राज्य में अब अपराधियों में कानून का कोई डर नहीं बचा है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 16 महीनों में 5,000 से अधिक महिलाओं के साथ रेप की घटनाएं दर्ज की गई हैं जो सरकार की लापरवाही और महिलाओं की सुरक्षा के प्रति असंवेदनशीलता को दर्शाता है।
इंसाफ की उम्मीद या एक और आंकड़ा?
अब सवाल उठता है कि क्या इस मासूम को न्याय मिलेगा या वह भी आंकड़ों में एक और केस नंबर बनकर रह जाएगी? हर बार की तरह पुलिस जांच, बयान और राजनीति के शोर के बीच क्या किसी बेटी की चीख फिर दब जाएगी? पुरी की इस घटना ने एक बार फिर दिखा दिया है कि समाज और सिस्टम दोनों को अब सिर्फ कानून नहीं, बल्किसंवेदनशीलता की भी जरूरत है। क्योंकि जब “रिश्ते” ही शिकारी बन जाएं, तो फिर कोई लड़की अपने घर में भी कैसे सुरक्षित रह सकती है?
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