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Operation Sindoor: पाकिस्तान के 9 ठिकानों को तबाह करने वाली रणनीति के पीछे है एक महिला! जानें कौन हैं वो और जंग में क्या रही उनकी भूमिका
Operation Sindoor ke Piche Kaun: स ऑपरेशन की पूरी रणनीति, इंटेलिजेंस समन्वय और हमले की लाइव ब्रीफिंग जिस अधिकारी के हाथ में थी, वो कोई और नहीं, बल्कि भारतीय थलसेना की शेरदिल अधिकारी कर्नल...
Operation Sindoor Mastermind
Operation Sindoor Mastermind: बीती रात जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, तब पूरा देश गर्व से झूम उठा। भारत ने न सिर्फ दुश्मन के 9 प्रमुख आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया, बल्कि दुनिया को भी यह सख्त संदेश दे दिया कि अगर भारत की संप्रभुता से कोई खिलवाड़ करेगा, तो जवाब पत्थर से नहीं, फौलाद से दिया जाएगा। लेकिन इस पूरे सैन्य प्रहार के शोर और गूंज के बीच एक नाम ऐसा है जो अब धीरे-धीरे सुर्खियों में आ रहा है कर्नल सोफिया कुरैशी। इस ऑपरेशन की पूरी रणनीति, इंटेलिजेंस समन्वय और हमले की लाइव ब्रीफिंग जिस अधिकारी के हाथ में थी, वो कोई और नहीं, बल्कि भारतीय थलसेना की शेरदिल अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी थीं।
कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की उन चुनिंदा महिला अधिकारियों में से एक हैं जिन्होंने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सैन्य मंचों पर भी भारत का परचम लहराया है। वर्ष 2016 में वो उस समय देशभर की सुर्खियों में आई थीं, जब उन्हें पहली भारतीय महिला के रूप में संयुक्त राष्ट्र के सैन्य अभ्यास “एक्सरसाइज फोर्स 18” में भारतीय दल का नेतृत्व करने का गौरव प्राप्त हुआ था। यह अभ्यास थाईलैंड में हुआ था और इसमें 18 देशों की सेनाएं शामिल थीं। कर्नल सोफिया ने अपनी स्कूली पढ़ाई भोपाल से की और फिर एनसीसी के जरिए सेना में आने की प्रेरणा ली। उन्होंने ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (OTA), चेन्नई से प्रशिक्षण प्राप्त किया और सेना की सिग्नल कोर में शामिल हुईं। अपने तकनीकी और सामरिक कौशल के लिए वो हमेशा जानी जाती रही हैं। वो एक इंटेलिजेंस और ऑपरेशन्स एक्सपर्ट मानी जाती हैं, जिन्हें सीमाई इलाकों में कई संवेदनशील मिशनों की कमान दी जा चुकी है।
ऑपरेशन सिंदूर में उनकी भूमिका
सूत्रों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने से पहले भारतीय सेना ने महीनों तक इंटेलिजेंस इनपुट इकट्ठा किए थे। इन सभी इनपुट्स को संकलित कर विश्लेषण करने और उस पर आधारित सटीक हमला योजना बनाने का जिम्मा कर्नल सोफिया कुरैशी के नेतृत्व में बनी एक स्पेशल स्ट्रैटजिक टीम को सौंपा गया था। बताया जा रहा है कि जब ऑपरेशन की अंतिम ब्रीफिंग हो रही थी यानि फाइनल ग्रीन सिग्नल देने का क्षण तब भारतीय सेना के वॉर रूम में कर्नल सोफिया खुद टैक्टिकल स्क्रीन पर ड्रोन, सैटेलाइट और जमीनी रिपोर्ट्स के जरिए हर गतिविधि पर नजर रख रही थीं। उन्होंने न सिर्फ फोर्स डिप्लॉयमेंट तय किया बल्कि एलओसी पार करने वाली स्पेशल यूनिट्स को रियल टाइम निर्देश भी दिए। इस दौरान सेना के आला अफसरों को जो ऑपरेशन लाइव फीड के साथ अपडेट्स मिल रहे थे, वो कर्नल सोफिया द्वारा ही संचालित थे।
एक सच्ची लीडर, जो मैदान में भी उतरी
हालांकि वो मुख्यालय से ऑपरेशन कंट्रोल कर रही थीं, लेकिन सूत्र बताते हैं कि उन्होंने शुरुआती सर्विलांस और इंटेलिजेंस कलेक्शन के लिए सीमा क्षेत्र में खुद भी कई हफ्ते बिताए थे। उनकी टीम के कई सदस्य गुप्त वेश में सीमा पार के नज़दीकी इलाकों में सक्रिय रहे, जिसका पूरा संचालन उन्होंने ही किया।यानी ये सिर्फ डेस्क पर बैठी महिला अधिकारी की कहानी नहीं है ये एक ऐसी योद्धा की गाथा है जो पहले ज़मीन से जमीनी सच्चाई लाती है और फिर उसे रणनीति में बदल देती है।
सेना में महिलाओं की नई पहचान
कर्नल सोफिया कुरैशी आज उस भारत की पहचान हैं जहाँ महिला अधिकारी अब सिर्फ मैडल्स तक सीमित नहीं, बल्कि दुश्मन की आँख में आँख डालकर जवाब देने वाले ऑपरेशन्स की अगुवाई भी कर रही हैं। उनकी अगुवाई में अंजाम दिए गए इस सैन्य प्रहार ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय सेना में जेंडर नहीं, केवल काबिलियत बोलती है।
ऑपरेशन सिंदूर भले ही सामरिक रूप से पाकिस्तान के लिए एक झटका हो, लेकिन भारत के लिए यह एक और प्रतीक बनकर उभरा है कठोर फैसलों में अब भारतीय बेटियां भी मोर्चा संभाल रही हैं।और इस बार मोर्चे पर थीं कर्नल सोफिया कुरैशी, जिनके फैसलों और नेतृत्व ने ना सिर्फ 9 ठिकानों को नेस्तनाबूद किया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि भारत अब सिर्फ जवाब नहीं देता, जवाब तय वक्त, तय जगह और तय अंदाज़ में देता है।
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