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संसद में उठा तूफान अब होगा शांत? ऑपरेशन सिंदूर पर 16 घंटे की चर्चा तय, SIR पर नहीं होगी कोई बात
Parliament monsoon session 2025: संसद के मानसून सत्र में अब टकराव की जगह चर्चा होगी। ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा और राज्यसभा में 16 घंटे की विशेष बहस तय की गई है, जबकि बिहार SIR मुद्दे पर अभी भी चुप्पी है।
Parliament monsoon session 2025: मानसून सत्र का हाल अब तक किसी सियासी अखाड़े से कम नहीं रहा है। संसद के गलियारे नारों तख्तियों और टकराव से गूंजते रहे। विपक्ष का आरोप सरकार का जवाब और दोनों के बीच जनता के सवाललेकिन चर्चा कहीं नहीं। अब इस गतिरोध को तोड़ने की कोशिश हुई है। शुक्रवार को संसद के भीतर एक अहम बैठक हुई जो संसद के भविष्य का रुख तय करने वाली मानी जा रही है।
जब संसद में नहीं गूंजे तर्क तब हुई सर्वदलीय बैठक
सत्र की शुरुआत से ही संसद की कार्यवाही बार-बार बाधित हो रही थी। कभी विपक्ष के नारे कभी सरकार की चुप्पी और कभी मुद्दों से बचने की कोशिशों ने लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत को ठप कर दिया था। ऐसे में शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई जिसमें नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू समेत तमाम प्रमुख नेता मौजूद रहे। बैठक का उद्देश्य था। सत्र को फिर से सुचारू रूप से चलाना। और अच्छी बात यह रही कि इस पर सहमति बन गई।
अब संसद में बजेगी मुद्दों की घंटी, ऑपरेशन सिंदूर पर होगी सीधी बात
सर्वदलीय बैठक के बाद यह तय हुआ कि सोमवार से संसद की कार्यवाही नियमित रूप से चलेगी और उसी दिन से शुरू होगी बहुप्रतीक्षित चर्चा‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर। यह वही ऑपरेशन है जो हाल के महीनों में भारत की सैन्य और कूटनीतिक ताकत का प्रतीक बनकर उभरा है। विपक्ष की लंबे समय से यह मांग थी कि इस मुद्दे पर नियम 193 के बजाय स्पेशल डिस्कशन हो। अब सरकार ने यह मांग मान ली है। खास बात ये है कि इस चर्चा को सिर्फ औपचारिकता नहीं बल्कि गहराई देने के लिए लोकसभा और राज्यसभा दोनों में 16-16 घंटे की विस्तृत बहस की योजना है। यानी पहली बार ऐसा होगा कि एक सैन्य ऑपरेशन पर संसद इतनी लंबी और विशिष्ट चर्चा करेगी।
SIR पर चुप्पी लेकिन चर्चा की उम्मीद बाकी
हालांकि इस ऑल पार्टी मीटिंग में बिहार के एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) पर कोई चर्चा नहीं हुई। विपक्ष लगातार इस मुद्दे को उठाता रहा है खासकर तब जब आरोप लगे कि मतदाता सूची में गड़बड़ियां की जा रही हैं। लेकिन सरकार का स्पष्ट रुख है कि यह चुनाव आयोग से जुड़ा मामला है और इस पर संसद में चर्चा नहीं की जा सकती। फिर भी राजनीतिक हलकों में यह माना जा रहा है कि अब जब संसद नियमित चलेगी तो विपक्ष इस मुद्दे को नियमों के तहत फिर से उठाने की कोशिश करेगा।
राहुल और खड़गे की सक्रियता से विपक्ष को मिली संजीवनी
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की संसदीय कार्यमंत्रियों के साथ मुलाकात ने माहौल को सकारात्मक दिशा दी। विपक्ष की एकजुटता और सरकार की रणनीतिक लचीलापन ने मिलकर यह रास्ता निकाला कि संसद अब शांतिपूर्वक चल सकेगी। विपक्ष को एक बड़ी जीत इस बात से भी मिली है कि ऑपरेशन सिंदूर पर ‘नियम 193’ के बजाय ‘विशेष चर्चा’ होगी जिसका अर्थ हैविस्तृत वक्तव्य सवाल-जवाब और सरकार की जवाबदेही।
सियासत से हटकर अब होगी बहस देश की ताकत पर
अब तक संसद में सिर्फ विरोध और हंगामे की तस्वीरें छाई रहीं। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि सोमवार से संसद में देश के असली मुद्देसैन्य नीति विदेश नीति राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिपर खुलकर बात होगी। ऑपरेशन सिंदूर जो भारत की सैन्य प्रतिष्ठा को नई ऊंचाई पर ले गया अब संसद की नज़र से भी गुजरेगा। यह चर्चा सिर्फ एक सैन्य ऑपरेशन तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि यह तय करेगी कि भारत अपने पड़ोसियों और वैश्विक कूटनीति में कैसे आगे बढ़ रहा है।
क्या अब सचमुच बदलेगा मानसून सत्र का मिजाज?
सर्वदलीय बैठक से उपजी यह सहमति एक उम्मीद की तरह हैशायद अब संसद में सिर्फ हंगामा नहीं संवाद भी होगा। जनता ने जिन प्रतिनिधियों को दिल्ली भेजा है वे अब उनकी आवाज़ बनेंगे। सोमवार को संसद में जब ऑपरेशन सिंदूर की चर्चा शुरू होगी तो देश की जनता भी देखेगी कि कौन राष्ट्रहित की बात करता है और कौन सिर्फ राजनीति कर रहा है।
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