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चीन में PM मोदी की अहम यात्रा, पुतिन-जिनपिंग से मुलाकात, आर्थिक और सीमा विवाद पर होगी चर्चा
शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पीएम मोदी शनिवार को चीन पहुंचे।
सात साल के लंबे अंतराल के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को चीन के तियानजिन पहुंचे। यहां वह शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इस सम्मेलन की मेजबानी के दौरान, भारत और चीन के बीच आर्थिक रिश्तों को लेकर महत्वपूर्ण वार्ता होने की उम्मीद है। खास बात यह है कि, अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारतीय सामान पर 50 फीसदी टैरिफ बढ़ा दिया है, जिससे इस यात्रा का महत्व और भी बढ़ गया है। पीएम मोदी ने चीन जाने से पहले जापान का दो दिवसीय दौरा किया था, जहां उन्होंने वैश्विक आर्थिक स्थिरता के लिए भारत और चीन के सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस यात्रा के दौरान, पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रविवार को एक महत्वपूर्ण बैठक होगी। इस बैठक में दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों के साथ-साथ, भारत-चीन सीमा विवाद, खासकर पूर्वी लद्दाख में सीमा संघर्ष के बाद के मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है। यह बैठक वैश्विक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत और चीन के रिश्ते 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद से तनावपूर्ण रहे हैं। हालांकि, 2021 में कजान में दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद स्थिति में सुधार आया था, और दोनों देशों के बीच गतिरोध में भी कुछ राहत आई थी।
प्रधानमंत्री मोदी के अगले कदम
एससीओ शिखर सम्मेलन में, पीएम मोदी पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद और विशेषकर पहलगाम हमले जैसे मुद्दों पर भी अपनी स्थिति रख सकते हैं। इसके साथ ही, वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात करेंगे। भारतीय प्रधानमंत्री के इस दौरे से पहले, चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत में दौरा किया था, जिसमें सीमा विवाद पर शांति बनाए रखने, सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने, और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानों की बहाली पर सहमति बनी थी।
चीन-भारत के रिश्ते
भारत और चीन के रिश्ते 2020 के बाद से तनावपूर्ण रहे हैं। गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष के बाद, दोनों देशों ने अपनी सेनाओं को पीछे हटाने की प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद कजान में हुई मोदी और जिनपिंग की मुलाकात ने रिश्तों में सुधार लाने में मदद की। दोनों देशों ने कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें सैन्य टकराव से बचने के उपाय और सीमाओं पर शांति बनाए रखने के लिए विशेष प्रोटोकॉल शामिल हैं।
भविष्य की दिशा
भारत और चीन के रिश्ते अब भी नाजुक हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से दोनों देशों के बीच संवाद बढ़ा है। भारत-चीन व्यापार और सीमा विवाद पर दोनों देशों के बीच निरंतर वार्ता की प्रक्रिया जारी है। आगामी शिखर सम्मेलन और मोदी-जिनपिंग की बैठक से उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के रिश्तों में और अधिक सुधार हो, जिससे वैश्विक मंच पर दोनों देशों का प्रभाव और मजबूत हो सके।
2019 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत का दौरा किया था, और उसके एक साल बाद 2020 में सीमा विवाद के कारण रिश्तों में खटास आई। 2021 में हुई कजान मुलाकात के बाद, दोनों देशों ने तनाव कम करने की दिशा में कई कदम उठाए थे।
इस यात्रा से पहले, चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत का दौरा किया था और दोनों देशों ने सीमा विवाद पर शांति बनाए रखने और व्यापार को पुनर्जीवित करने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए। अब प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा और शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के रिश्तों की दिशा तय हो सकती है, जिसमें सीमा व्यापार और आतंकवाद पर भी चर्चा हो सकती है।
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