प्रशांत किशोर ने समेटा बोरिया-बिस्तर! PM मोदी के बिहार आते ही सबका खेल खत्म, NDA का बढ़ा जोश

पीएम मोदी की बिहार रैलियों ने बदला सियासी समीकरण, एनडीए में उत्साह तो जन सुराज की लय टूटी। प्रशांत किशोर पर बढ़ा दबाव।

Shivam Srivastava
Published on: 24 Oct 2025 3:29 PM IST (Updated on: 24 Oct 2025 4:41 PM IST)
प्रशांत किशोर ने समेटा बोरिया-बिस्तर! PM मोदी के बिहार आते ही सबका खेल खत्म, NDA का बढ़ा जोश
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बिहार की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे ने जहां एनडीए खेमे में नया जोश भर दिया है, वहीं प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का असर फीका पड़ता दिख रहा है। पीएम मोदी के आगमन के साथ ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि “पीके का खेल अब खत्म हो सकता है।

PM मोदी का बिहार दौरा से समस्तीपुर से बेगूसराय तक उत्साह का माहौल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बिहार के समस्तीपुर और बेगूसराय में जनसभाओं को संबोधित किया। उन्होंने सबसे पहले समस्तीपुर के कर्पूरी ग्राम पहुंचकर भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर को पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद मोदी ने समस्तीपुर की रैली में एनडीए के चुनाव प्रचार का औपचारिक आगाज किया। मोदी ने कहा, “लोकतंत्र के महापर्व का बिगुल बज चुका है, पूरा बिहार कह रहा है फिर एक बार एनडीए सरकार, फिर एक बार सुशासन सरकार। बिहार जंगलराज वालों को दूर रखेगा।”

प्रधानमंत्री ने बिहार की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी सरकार कर्पूरी ठाकुर की प्रेरणा से वंचितों और गरीबों के हित में काम कर रही है। उन्होंने बताया कि एनडीए सरकार ने सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया और अनुसूचित जाति व जनजाति के आरक्षण को 10 साल के लिए आगे बढ़ाया।

पीएम मोदी ने विपक्ष पर भी तीखा प्रहार करते हुए कहा, “जो लोग हजारों करोड़ के घोटालों में जमानत पर हैं, वे अब जननायक की उपाधि तक की चोरी कर रहे हैं। बिहार ऐसे लोगों का अपमान कभी नहीं सहेगा।”

जन सुराज की रणनीति पर सवाल

इसी बीच प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज को लेकर नए राजनीतिक समीकरण बनते दिख रहे हैं। जन सुराज ने उम्मीदवारों के चयन में स्थानीय लोकप्रियता और जातीय समीकरणों को ध्यान में रखा है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की एंट्री के बाद राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि PK का प्रभाव अब सीमित रह सकता है।

2020 के विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर जीत का अंतर बहुत कम था, वहां जन सुराज ने खास फोकस किया है। मुजफ्फरपुर, दरभंगा, गोपालगंज, प्राणपुर और आरा जैसी सीटों पर जन सुराज ने प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें दरभंगा से पूर्व डीजी आर.के. मिश्रा और गोपालगंज से डॉ. शशि शेखर जैसे नामी चेहरे शामिल हैं।

हालांकि, संगठनात्मक मजबूती की कमी अब भी जन सुराज के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। ग्राउंड नेटवर्क की कमजोरी और सीमित प्रचार संसाधनों के कारण पार्टी का असर सीमित दायरे तक सिमटता दिख रहा है।

चुनावी समीकरण पर जन सुराज का संभावित असर

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार की करीब 83 सीटों पर जीत का अंतर 5 प्रतिशत से कम रहा है। ऐसे में अगर जन सुराज को 5 प्रतिशत भी वोट शेयर मिलता है, तो वह कई सीटों पर परिणाम बदल सकता है।

हालांकि अब पीएम मोदी के दौरे और एनडीए के प्रचार के उभार के बाद जन सुराज का वोट बैंक बिखरता दिख रहा है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, जन सुराज पहले निर्दलीयों और छोटी पार्टियों का वोट काट रही थी, लेकिन अब मोदी फैक्टर के कारण एंटी-एनडीए वोट फिर से महागठबंधन के पक्ष में लौट सकता है।

चिराग मॉडल’ की चर्चा, लेकिन जोश एनडीए के पाले में

चुनाव विश्लेषक का कहना है कि प्रशांत किशोर लगातार जेडीयू को टारगेट कर रहे हैं। उनकी रणनीति कुछ वैसी ही लगती है जैसी पिछली बार चिराग पासवान ने अपनाई थी। हालांकि, इस बार हालात अलग हैं मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने मैदान में पूरी ताकत झोंक दी है, और रैलियों में उमड़ती भीड़ इसका संकेत दे रही है कि बिहार में एनडीए का जोश चरम पर है।

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