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'देश का मालिक या बंधा हुआ कर्मचारी?' जानिए प्रधानमंत्री की सैलरी, सुविधाएं और वो बातें जो PM होते हुए भी नहीं कर सकते!
Prime Minister Salary in India: भारत जैसे विशाल देश का प्रधानमंत्री होना जितना सम्मान की बात है, उतना ही बड़ी जिम्मेदारी भी है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो इंसान पूरे देश का बजट बनाता है, जो हजारों करोड़ की योजनाएं पास करता है, जिसकी एक बात से शेयर बाजार ऊपर-नीचे हो जाता है... वो खुद कितनी सैलरी लेता है? उसकी सुविधाएं कैसी होती हैं?
Prime Minister Salary in India
Prime Minister Salary in India: दिल्ली की सड़कों पर जब लाल बत्ती वाली कार निकले और उसके चारों तरफ काले-सफेद कपड़े में NSG या SPG कमांडो दिखें तो हर किसी के मन में एक ही सवाल उठता है — क्या यही देश का सबसे ताकतवर इंसान है? क्या वाकई प्रधानमंत्री की जिंदगी किसी राजा से कम होती है? सत्ता का शिखर, देश के करोड़ों लोगों की उम्मीदें, दुनिया भर में सम्मान और देश चलाने का अधिकार... लेकिन क्या वाकई प्रधानमंत्री उतने ‘आज़ाद’ होते हैं जितना आम लोग सोचते हैं?
भारत जैसे विशाल देश का प्रधानमंत्री होना जितना सम्मान की बात है, उतना ही बड़ी जिम्मेदारी भी है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो इंसान पूरे देश का बजट बनाता है, जो हजारों करोड़ की योजनाएं पास करता है, जिसकी एक बात से शेयर बाजार ऊपर-नीचे हो जाता है... वो खुद कितनी सैलरी लेता है? उसकी सुविधाएं कैसी होती हैं? और सबसे दिलचस्प बात—क्या प्रधानमंत्री को भी कुछ करने से रोका जाता है? आज हम आपको प्रधानमंत्री की जिंदगी से जुड़े उन्हीं अनसुने पहलुओं की सैर पर लेकर चलेंगे, जिनके बारे में जानकर आप चौंक जाएंगे।
प्रधानमंत्री की सैलरी—सिर्फ उतनी, जितनी एक MNC कंपनी में मैनेजर की होती है
अगर आप सोचते हैं कि भारत का प्रधानमंत्री करोड़ों में सैलरी लेता होगा तो आप पूरी तरह गलत हैं। पीएम मोदी को हर महीने जो सैलरी मिलती है, वो सुनकर आप हैरान हो जाएंगे। भारत के प्रधानमंत्री की बेसिक सैलरी सिर्फ 2 लाख रुपए प्रति महीना है। इस सैलरी में कुछ अलाउंसेस मिलाकर कुल रकम करीब 2.80 लाख रुपए महीना बनती है। जी हां! सिर्फ ढाई लाख रुपए! आज के दौर में किसी बड़े कॉर्पोरेट कंपनी में मिड-लेवल मैनेजर की सैलरी भी इससे कहीं ज्यादा होती है। तो फिर सवाल उठता है—क्या प्रधानमंत्री बनने में कोई फायदा है? फायदे हैं... और वो फायदे हैं, जिनका कोई मूल्य नहीं लगाया जा सकता। सुविधाओं की लंबी फेहरिस्त—जहां कदम-कदम पर विशेषाधिकार मिलते हैं
प्रधानमंत्री की सैलरी भले ही मामूली हो, लेकिन सुविधाएं ऐसी मिलती हैं, जो देश के किसी और नागरिक को नहीं मिलतीं। सबसे पहले बात करते हैं रहने की जगह की। प्रधानमंत्री का आधिकारिक निवास 7, लोक कल्याण मार्ग (पहले रेस कोर्स रोड) है। ये सिर्फ एक घर नहीं, बल्कि पूरा एक किला है। इसमें कई बंगले, ऑफिस, मीटिंग रूम, गार्डन, हैलीपैड और स्पेशल सुरक्षा इंतजाम हैं। यहां सिर्फ प्रधानमंत्री ही नहीं, बल्कि उनकी सुरक्षा टीम, उनका स्टाफ और उनकी जरूरी व्यवस्थाएं रहती हैं।
सिर्फ घर ही क्यों, प्रधानमंत्री के पास खासतौर पर तैयार की गई BMW 7 Series हाई-सिक्योरिटी कार होती है। इस कार में बम प्रूफ बॉडी, गैस अटैक से बचाने वाला सिस्टम, गोली रुकवाने वाली विंडो और टायर पंचर होने के बाद भी चलने की क्षमता होती है। सफर करना हो तो प्रधानमंत्री के लिए खास विमान होता है—'एयर इंडिया वन'। यह विमान बोइंग 777 का हाई-सेक्योरिटी वर्जन है, जिसमें मिसाइल अटैक से बचाने वाला सिस्टम, वर्ल्ड क्लास किचन, मेडिकल सेंटर और मीटिंग रूम होते हैं। इसके अलावा भारत के हर राज्य और बड़े शहरों में प्रधानमंत्री के लिए खास वीआईपी गेस्ट हाउस बने हुए हैं। जहां भी जाएं, फाइव स्टार से भी ऊपर की सुविधाएं मिलती हैं।
SPG सुरक्षा—पीएम के आसपास हर वक्त दिखने वाले वो ‘अदृश्य रक्षक’
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में SPG (Special Protection Group) तैनात होती है। इनकी ट्रेनिंग किसी भी आम फोर्स से अलग होती है। ये सिर्फ सुरक्षा ही नहीं देते, बल्कि हर मूवमेंट का बारीकी से अध्ययन करते हैं। कहां जाना है, कैसे जाना है, कौन मिलेगा, किस रास्ते से जाना सुरक्षित है—ये सब प्लान SPG बनाती है। प्रधानमंत्री के साथ उनकी सुरक्षा में चूक का सवाल ही नहीं उठता।
प्रधानमंत्री बनने के बाद जिंदगी पर लग जाती हैं कई बंदिशें
अब सबसे दिलचस्प बात आती है—प्रधानमंत्री भले ही देश के सबसे बड़े पद पर हो, लेकिन उनकी जिंदगी पूरी तरह ‘फ्री’ नहीं होती। प्रधानमंत्री बनने के बाद कई चीजों पर रोक लग जाती है, जो आम आदमी के लिए सामान्य होती हैं। जैसे: फिल्म देखने का मन किया? थिएटर नहीं जा सकते। प्रधानमंत्री अगर मूवी देखना चाहते हैं तो उनके लिए विशेष व्यवस्था करनी पड़ती है। पूरा थिएटर खाली कराया जाता है, सुरक्षा टीम तैनात होती है और कई बार सुरक्षा कारणों से प्रधानमंत्री को पब्लिक शो से मना कर दिया जाता है।
सड़क पर ऐसे ही घूमने का मन किया? असंभव! प्रधानमंत्री अगर सड़क पर आम लोगों की तरह घूमना चाहें तो पूरा शहर हिल जाता है। कई किलोमीटर सड़कें बंद करनी पड़ती हैं, सुरक्षा व्यवस्था करनी पड़ती है। इसलिए प्रधानमंत्री के लिए बिना पूर्व जानकारी के कहीं जाना मना होता है। फोन कॉल्स—24x7 मॉनिटरिंग। प्रधानमंत्री के कॉल्स और इंटरनेट गतिविधियां भी गोपनीयता में रखी जाती हैं और खुफिया एजेंसियों द्वारा निगरानी में रहती हैं। किसी अनजान नंबर से बात करना या अनजान मेल खोलना प्रधानमंत्री के लिए भी खतरनाक माना जाता है। विदेश यात्राएं—फूल प्रोटोकॉल, लेकिन समय से पहले किसी को बताना मना। पीएम की विदेश यात्राओं की जानकारी अंतिम समय तक गुप्त रखी जाती है। इसके पीछे सुरक्षा कारण होते हैं। फ्रीडम ऑफ स्पीच? बिलकुल नहीं। प्रधानमंत्री पद पर बैठने के बाद कोई भी बयान बहुत सोच-समझकर देना पड़ता है। क्योंकि एक शब्द से कूटनीतिक संकट खड़ा हो सकता है।
प्रधानमंत्री की जिंदगी—शानो-शौकत से ज्यादा ‘कर्तव्य’ की कहानी
अगर आप सोचते हैं कि प्रधानमंत्री की जिंदगी सिर्फ ऐशोआराम और शान-ओ-शौकत की होती है तो आप पूरी तरह गलत हैं। इस पद पर आने के बाद व्यक्ति अपनी निजता खो बैठता है। परिवार से समय निकालना मुश्किल हो जाता है। हर वक्त देश, विदेश, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, राजनीति और जनता की समस्याएं दिमाग में घूमती रहती हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद दोस्त कम और आलोचक ज्यादा हो जाते हैं। हर फैसला जांचा जाता है, हर कदम पर सवाल उठते हैं। छुट्टियां लेना तो लगभग नामुमकिन सा हो जाता है।
फिर क्यों बनते हैं लोग प्रधानमंत्री?
इतनी बंदिशें, इतनी जिम्मेदारियां और फिर भी देश का प्रधानमंत्री बनने के लिए लोग क्यों आगे आते हैं? वजह सिर्फ एक—‘सेवा’। देश के लिए कुछ करने का जज़्बा। इतिहास गवाह है कि जवाहरलाल नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक, जिसने भी इस कुर्सी को संभाला, वो सिर्फ सत्ता के लिए नहीं बल्कि देश के भविष्य को गढ़ने के लिए आगे आया। क्योंकि इस कुर्सी पर बैठकर आप करोड़ों लोगों के जीवन को बदल सकते हैं, नीतियां बना सकते हैं, दुनिया भर में भारत का झंडा ऊंचा कर सकते हैं। तो अगली बार जब आप प्रधानमंत्री को टीवी पर देखें तो सिर्फ ‘लाल बत्ती’ और ‘SPG कमांडो’ मत देखिए—उस शख्स के सिर पर देश की 140 करोड़ उम्मीदों का बोझ भी देखिए। प्रधानमंत्री की जिंदगी दिखने में भले ही रॉयल लगे, लेकिन असल में वो जिम्मेदारियों से जकड़ी हुई एक तपस्या है—एक ऐसी तपस्या, जिसे निभाने के लिए ताकत से ज्यादा ‘त्याग’ चाहिए। यही वजह है कि प्रधानमंत्री सिर्फ पद नहीं, बल्कि एक ‘संघर्ष’ का नाम है।
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