24 घंटे PM के साथ रहने वाली SPG: करोड़ों में नहीं, इतनी मिलती है सैलरी, कैसे करते है PM की सुरक्षा, क्या क्या मिलती है सुविधाएं

SPG commandos salary: PM मोदी की सुरक्षा में 24 घंटे तैनात SPG कमांडो की सैलरी, ट्रेनिंग और काम करने का तरीका जानकर चौंक जाएंगे! करोड़ों में नहीं इतनी मिलती है तनख्वाह, क्यों PM से मिलने से पहले लेनी पड़ती है SPG की इजाजत? पढ़ें 'अदृश्य परछाईं' की पूरी कहानी।

Harsh Srivastava
Published on: 15 Jun 2025 8:00 AM IST (Updated on: 15 Jun 2025 8:00 AM IST)
SPG commandos salary
X

 SPG commandos salary

SPG commandos salary: देश के प्रधानमंत्री का पद सिर्फ सत्ता का नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और खतरे का दूसरा नाम भी होता है। भारत जैसे लोकतांत्रिक और विविधता से भरे देश में, जहां एक तरफ करोड़ों लोग अपने नेता से मिलने की तमन्ना रखते हैं, वहीं दूसरी तरफ इसी नेता की जान पर हर वक्त खतरे के बादल मंडराते रहते हैं। प्रधानमंत्री की हर मुस्कान, हर कदम और हर संवाद के पीछे जो सबसे मजबूत परछाईं होती है, वो है SPG, यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप। ये वो बल है, जो हर पल प्रधानमंत्री के आगे, पीछे, दाएं-बाएं दीवार बनकर खड़ा रहता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनकी ट्रेनिंग कैसी होती है? इनकी सैलरी कितनी होती है? और प्रधानमंत्री से मिलने से पहले SPG की इजाजत क्यों लेनी पड़ती है? चलिए, आज आपको इस ‘अदृश्य परछाईं’ की पूरी कहानी सुनाते हैं।

PM के चारों ओर नजर न आने वाली एक अदृश्य दीवार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब किसी सभा में जाते हैं या किसी विदेशी दौरे पर निकलते हैं तो कैमरे में उनकी मुस्कान और सुरक्षा घेरे में कुछ सुरक्षाकर्मी जरूर दिखते हैं। लेकिन जो नजर नहीं आता, वो है SPG का पूरा नेटवर्क। प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ उन कुछ जवानों पर नहीं होती जो कैमरे में दिख जाते हैं, बल्कि उसके पीछे एक पूरा खुफिया नेटवर्क, सैकड़ों स्पेशल कमांडो और टेक्निकल यूनिट काम करती है। SPG के जवानों को सिर्फ बंदूक चलाना ही नहीं आता, बल्कि वो ‘थ्रेट एनालिसिस’, ‘काउंटर-स्नाइपिंग’, ‘एक्सप्लोसिव डिटेक्शन’, ‘डॉग स्क्वॉड इंटिग्रेशन’, ‘डिजिटल सर्विलांस’, और ‘साइबर सिक्योरिटी’ तक में माहिर होते हैं। इनके लिए प्रधानमंत्री की सुरक्षा सिर्फ एक ‘ड्यूटी’ नहीं, बल्कि ‘मिशन’ होती है। SPG के जवान प्रधानमंत्री की हाव-भाव, चाल-ढाल से लेकर उनके खाने-पीने तक पर नजर रखते हैं। PM की प्लेट में जो खाना परोसा जाता है, वो भी SPG की जांच के बाद ही आता है।

कितनी मिलती है सैलरी SPG कमांडो को?

अब आते हैं उस सवाल पर जो सबसे ज्यादा लोगों के मन में रहता है — आखिर 24 घंटे प्रधानमंत्री के साथ रहने वाले SPG कमांडो को कितनी सैलरी मिलती है? क्या वे करोड़पति होते हैं? जवाब है — नहीं, SPG कमांडो करोड़पति नहीं होते, लेकिन उनकी तनख्वाह आम सुरक्षाबलों से काफी ज्यादा होती है। SPG के जवानों की सैलरी उनके रैंक और अनुभव पर निर्भर करती है। एक SPG कांस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर जनरल तक की सैलरी अलग-अलग होती है। औसतन देखा जाए तो एक SPG कमांडो की सैलरी 80 हजार रुपये से लेकर 2.5 लाख रुपये प्रति महीना तक होती है। वरिष्ठ अधिकारियों की तनख्वाह इससे भी ज्यादा हो सकती है। इसके अलावा इन्हें खास भत्ते, रिस्क एलाउंस, और विदेश यात्राओं पर विशेष सुविधाएं भी मिलती हैं। SPG जवानों को सिर्फ पैसे से नहीं बल्कि सम्मान और प्रतिष्ठा से भी बड़ा इनाम मिलता है। पूरे देश में ये गिनती के उन चंद लोगों में होते हैं, जिन्हें देश के सबसे ताकतवर शख्स की जान की रक्षा करने का जिम्मा सौंपा गया है। उनका चयन भी आसान नहीं होता। सेना, BSF, CRPF, CISF जैसे बलों के चुने हुए अधिकारियों और जवानों को ही SPG के लिए चुना जाता है। इसके बाद होती है कड़ी ट्रेनिंग, जो उन्हें आम सुरक्षा बलों से अलग बनाती है।

PM से मिलना है? पहले SPG से इजाजत लेनी पड़ेगी

प्रधानमंत्री से मिलने की चाहत तो हर किसी के मन में होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी आम व्यक्ति या यहां तक कि किसी सांसद या मंत्री को भी प्रधानमंत्री से मिलने से पहले SPG की इजाजत लेनी पड़ती है? जी हां, प्रधानमंत्री से किसी भी मुलाकात के लिए पहले पूरी जांच होती है। SPG की ‘वेटिंग टीम’ पहले व्यक्ति की पृष्ठभूमि की पूरी जांच करती है — उसका आपराधिक रिकॉर्ड, साइबर इतिहास, उसके रिश्तेदारों के बारे में जानकारी — सबकुछ खंगाला जाता है। फिर तय होता है कि वह व्यक्ति प्रधानमंत्री से मिल सकता है या नहीं। यहां तक कि अगर कोई पत्रकार भी प्रधानमंत्री से इंटरव्यू लेने जाए तो SPG उसके कैमरे, लैपटॉप, माइक तक को स्कैन करती है। कई बार तो गुप्तचर एजेंसियां उस व्यक्ति के पिछले बयान और सोशल मीडिया एक्टिविटी तक खंगालती हैं। प्रधानमंत्री के लिए जो कार इस्तेमाल होती है — वो BMW 7 सीरीज सिक्योरिटी एडिशन या रेंज रोवर सेंटिनल होती है, जो पूरी तरह बुलेटप्रूफ और बमप्रूफ होती है। इस कार के रूट प्लान से लेकर हर मोड़ पर SPG पहले से मौजूद रहती है। रास्ते में किसी संदिग्ध गतिविधि की खबर मिलते ही SPG अलर्ट मोड में चली जाती है।

SPG में शामिल होना आसान नहीं, देशभर से चुने जाते हैं बेहतरीन जवान

SPG का गठन 1985 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद किया गया था। उस समय भारत सरकार को यह एहसास हुआ कि देश के प्रधानमंत्री को सुरक्षा देने के लिए एक विशेष बल होना चाहिए, जो सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके परिवार की रक्षा करे। तभी से SPG काम कर रही है और वक्त के साथ इसकी ताकत और तकनीक लगातार बढ़ी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 2019 में संसद ने SPG संशोधन बिल पास किया, जिसके तहत अब SPG सुरक्षा सिर्फ वर्तमान प्रधानमंत्री को ही दी जाती है। पहले यह पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवारों को भी मिलती थी, लेकिन अब सिर्फ मौजूदा प्रधानमंत्री को ही SPG का कवच मिलता है। SPG में शामिल होने के लिए जवानों को पहले से ही सेना या अर्धसैनिक बलों में काम कर चुके होना चाहिए। उसके बाद होती है ‘ब्रेन पर्फॉर्मेंस टेस्ट’, ‘फिजिकल एंड्योरेंस टेस्ट’, ‘साइकोलॉजिकल टेस्ट’ और अंत में होती है SPG की कठिन ट्रेनिंग, जिसमें उन्हें हर संभावित खतरे से निपटने के लिए तैयार किया जाता है। कई बार ये जवान छह-छह महीने तक अपने घर भी नहीं जा पाते क्योंकि उनकी ड्यूटी प्रधानमंत्री के हर कदम पर तैनात रहती है।

कैसी होती है SPG की जिंदगी?

SPG में शामिल होने के बाद जवानों की जिंदगी आम पुलिस या सेना से बिल्कुल अलग हो जाती है। उनके पास न तो कोई पब्लिक प्रोफाइल होती है, न ही सोशल मीडिया अकाउंट। वे गुमनाम रहते हैं। उनका परिवार भी कई बार नहीं जानता कि वे किस मिशन पर हैं। उनकी दुनिया सिर्फ प्रधानमंत्री और उनकी सुरक्षा होती है। प्रधानमंत्री अगर विदेश दौरे पर जा रहे हैं तो SPG की टीमें पहले ही उस देश में जाकर वहां की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेती हैं। कभी-कभी तो SPG के जवानों को ‘फेस चेंज टेक्निक’ यानी वेश बदलने की ट्रेनिंग भी दी जाती है ताकि जरूरत पड़ने पर वे किसी संदिग्ध को ट्रैक कर सकें।

क्यों SPG है ‘अल्टीमेट सिक्योरिटी कवच’?

SPG सिर्फ एक बल नहीं, बल्कि भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा का ‘अल्टीमेट कवच’ है। इसकी ट्रेनिंग, तकनीक, अनुशासन और समर्पण का स्तर इतना ऊंचा है कि दुनिया के कई विकसित देश भी भारत की SPG मॉडल से सीख लेते हैं। अमेरिका की सीक्रेट सर्विस और रूस की FSO जैसी सुरक्षा एजेंसियां भी SPG की तारीफ कर चुकी हैं। हर बार जब आप प्रधानमंत्री को मुस्कुराते हुए टीवी पर देखते हैं, तो समझ लीजिए कि उस मुस्कान के पीछे SPG का पसीना और उसकी अदृश्य परछाईं काम कर रही होती है। SPG के बिना प्रधानमंत्री की एक भी सांस सुरक्षित नहीं मानी जाती। अब अगली बार जब आप प्रधानमंत्री को किसी बड़ी सभा में देखेंगे, तो याद रखिए — जो नजर नहीं आ रहे, वही सबसे ज्यादा जरूरी हैं।

1 / 6
Your Score0/ 6
Harsh Srivastava

Harsh Srivastava

Mail ID - [email protected]

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!