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कर्नाटक में कांग्रेस का 'मास्टरस्ट्रोक':1 लाख से ज़्यादा परिवारों को मिला ज़मीन का मालिकाना हक़, क्या अब बदलेगा सियासी गणित?
Rahul Gandhi Karnataka Visit: राहुल गांधी आज कर्नाटक के विजयनगर में समर्पण संकल्प रैली में पहुंचे।
राहुल गांधी (फोटो- सोशल मीडिया)
Rahul Gandhi Karnataka Visit: कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के दौरान जनता से किए गए वादों को निभाते हुए कांग्रेस सरकार ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। पार्टी ने दावा किया है कि उन्होंने चुनाव के वक्त दी गई 5 गारंटियों से बढ़कर अब 6 गारंटियां पूरी कर दी हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण 'भूमि अधिकार' योजना के तहत 1 लाख से अधिक परिवारों को उनकी ज़मीन का मालिकाना हक़ देना शामिल है। यह कदम राज्य के भविष्य के लिए एक मील का पत्थर साबित हो रहा है, खासकर गरीबों, दलितों और आदिवासियों के लिए, जिन्हें इससे सीधा लाभ मिल रहा है। कांग्रेस नेताओं के अनुसार, यह योजना कर्नाटक के करोड़ों परिवारों के जीवन में बड़ा बदलाव लाएगी। पार्टी का मानना है कि ज़मीन का मालिकाना हक़ हर नागरिक का बुनियादी अधिकार है, और इसी सिद्धांत पर चलते हुए सरकार ने भूमिहीन परिवारों को सशक्त करने का निर्णय लिया है।
5 से बढ़कर 6 गारंटियां: कैसे बदली तस्वीर?
विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने मतदाताओं को लुभाने के लिए 5 प्रमुख 'गारंटियों' का वादा किया था। इनमें गृहलक्ष्मी योजना (महिलाओं को 2,000 रुपये प्रति माह), गृह ज्योति (200 यूनिट मुफ्त बिजली), अन्न भाग्य योजना (10 किलोग्राम अनाज), शक्ति योजना (महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा), और युवा निधि (बेरोजगार युवाओं को वित्तीय सहायता) शामिल थीं। इन 5 गारंटियों को पूरा करने के बाद, अब सरकार ने भूमिहीन परिवारों को मालिकाना हक देने की पहल को अपनी 'छठी गारंटी' के रूप में पेश किया है। इस योजना के तहत, 1 लाख से ज़्यादा परिवारों को, जो वर्षों से अपनी ज़मीन पर रह रहे थे लेकिन कानूनी मालिकाना हक़ से वंचित थे, उन्हें अब अपनी भूमि का वैधानिक अधिकार मिल गया है। यह कदम विशेष रूप से ग्रामीण और वंचित समुदायों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि ज़मीन का मालिकाना हक़ उन्हें आर्थिक सुरक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा प्रदान करता है।
गरीबों, दलितों और आदिवासियों को सीधा लाभ
कर्नाटक सरकार का यह फैसला उन लाखों गरीब, दलित और आदिवासी परिवारों के लिए वरदान साबित हो रहा है, जो दशकों से अपनी ज़मीन पर खेती कर रहे थे या रह रहे थे, लेकिन उनके पास कोई कानूनी दस्तावेज़ नहीं था। मालिकाना हक़ मिलने से अब वे अपनी ज़मीन पर ऋण ले सकेंगे, उसे बेच सकेंगे या उस पर निर्माण कार्य कर सकेंगे, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार आएगा। यह कदम सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है, जो हाशिए पर पड़े समुदायों को मुख्यधारा में लाने में मदद करेगा। कांग्रेस पार्टी ने इस पहल को 'बुनियादी अधिकार' की बहाली बताया है, जिससे हर नागरिक को सम्मान के साथ जीने का अवसर मिलेगा। यह योजना राज्य के कृषि क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दे सकती है, क्योंकि किसान अब अपनी ज़मीन को अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे और निवेश के लिए प्रोत्साहित होंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि कर्नाटक सरकार की यह 'छठी गारंटी' आने वाले समय में राज्य की राजनीति और जनता के मूड को किस हद तक प्रभावित करती है।
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