ज़हर बना मुफ्त का कफ सिरप! खुल गया मासूमों की मौत का राज़, ड्रग कंट्रोलर के बयान से मची सनसनी

राजस्थान में मुफ्त बांटे जाने वाले कफ सिरप से बच्चों की मौतों का मामला सामने आया। सीकर, भरतपुर और जयपुर में मासूमों की तबीयत बिगड़ी, ड्रग कंट्रोलर ने जांच शुरू की और उपयोग पर रोक लगाई। सरकारी लापरवाही और कंपनी की गुणवत्ता पर सवाल उठे।

Harsh Srivastava
Published on: 1 Oct 2025 7:38 PM IST
ज़हर बना मुफ्त का कफ सिरप! खुल गया मासूमों की मौत का राज़, ड्रग कंट्रोलर के बयान से मची सनसनी
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Rajasthan cough syrup incident update: राजस्थान में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त में बंटने वाला एक कफ सिरप (डेक्स्ट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप) अब बच्चों की जिंदगी पर खतरा बनकर टूट पड़ा है। यह आम आदमी से जुड़ी वो खबर है, जिस पर तुरंत ध्यान देना ज़रूरी है, क्योंकि जिस मुफ्त दवा से जनता को आरोग्य मिलने की उम्मीद है, वही अब मासूमों की जान लीलने का दावा कर रही है। दावा है कि इसी सरकारी सिरप को पीने के बाद सीकर में 5 साल के नित्यांश की जान चली गई, वहीं भरतपुर में 4 साल के गगन की तबीयत इतनी बिगड़ गई कि उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। जयपुर में भी 2 साल की एक बच्ची की हालत बिगड़ने की खबर है।

भरतपुर: 4 साल के गगन की तबीयत बिगड़ी, डॉक्टर ने पिया तो...

भरतपुर के बयाना ब्लॉक स्थित सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से 4 साल के गगन को खांसी के इलाज के नाम पर डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप दिया गया था। सरकारी हेल्थ सेंटर, जहाँ 'आरोग्यमं परम धनम' लिखा होता है, वहीं से दिए गए इस सिरप को पीकर मासूम गगन की तबीयत इतनी बिगड़ गई कि उसे बेहोशी आ गई और उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी।

डॉक्टर की हालत भी बिगड़ी: दावा है कि जब परिवार वालों की शिकायत पर सामुदायिक स्वास्थ्य प्रभारी डॉ. ताराचंद योगी ने खुद उसी सिरप को पिया, तो उनकी भी तबीयत खराब हो गई। यह घटना इस बात की पुष्टि करती है कि दवा में गंभीर गड़बड़ी थी।

सीकर: 5 साल के नित्यांश की मौत

भरतपुर का मामला इकलौता नहीं है। सीकर के खोरी ब्राह्मणान गांव में 5 साल के नित्यांश के परिवार पर तो आसमान ही टूट पड़ा है। दावा है कि सरकारी हेल्थ सेंटर से मिले कफ सिरप को पीने के बाद नित्यांश की जान चली गई। बच्चे को मामूली खांसी के लिए दवा दी गई थी, लेकिन वह सरकारी सेंटर से मिले कफ सिरप को पीकर सांस तक नहीं ले पाया। तीसरी दर्दनाक खबर जयपुर के सांगानेर से आई, जहाँ सरकारी स्वास्थ्य केंद्र से दिए गए कफ सीरप की वजह से 2 साल की बच्ची की भी हालत बिगड़ गई।

जिस कंपनी को पहले किया बैन, उसी को दोबारा काम क्यों?

राजस्थान सरकार ने इस पूरे मामले पर तीन सदस्यों की कमेटी बना दी है और इस कंपनी की खांसी वाली दवा पर पाबंदी लगा दी है। लेकिन यहाँ सबसे बड़ा सवाल और सबसे बड़ी चूक सामने आई है। स्वास्थ्य विभाग जो बात नहीं बता रहा, वह यह है कि यह दवा के. संस फार्मा नाम की कंपनी की तरफ से बनाकर सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर दी जा रही है।

सरकारी दस्तावेज का खुलासा: 5 अक्टूबर 2023 का राजस्थान का ही सरकारी कागज यह कहता है कि इसी के. संस फार्मा की बनाई खांसी की दवा से लेकर दूसरी दवा गुणवत्ता के पैमाने पर खरी नहीं उतरती हैं और इनका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।

टेंडर कैसे मिला?

सवाल यह है कि जब सरकारी दस्तावेज में कंपनी की दवाओं की गुणवत्ता खराब बताई गई थी, तब उसी के. संस फार्मा ने दूसरे नाम से कफ सिरप बनाकर दोबारा राजस्थान में टेंडर कैसे हासिल कर लिया? और उसकी बनाई हुई यह जानलेवा दवा राजस्थान के हेल्थ सेंटर में बंटने लगी, जिसकी वजह से आज बच्चों की जिंदगी खतरे में पड़ गई है।

ड्रग कंट्रोलर का बयान और जाँच का दावा

राजस्थान के ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने इस गंभीर मुद्दे पर बयान दिया है।

उपयोग पर रोक: उन्होंने कहा कि डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सीरप के उपयोग पर रोक लगा दी गई है।

सैंपल भेजे: उन्होंने स्वीकार किया कि भरतपुर और सीकर जिले के साथ ही कुछ और जिलों से ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसके बाद दवा के सैंपल तुरंत उठाकर जांच के लिए भेज दिए गए हैं।

जाँच तो अब हो जाएगी, लेकिन सवाल यह है कि जून 2024 से यह दवा मुफ्त बांटी जा रही थी, तो पहले इसकी गुणवत्ता की जाँच क्यों नहीं की गई? क्या सरकारी अधिकारी जानबूझकर उस कंपनी को काम दे रहे थे जिसकी गुणवत्ता पर पहले भी सवाल उठ चुके थे? अब यह देखना होगा कि कमेटी की जाँच में कौन-कौन से अधिकारी और किस कंपनी की लापरवाही सामने आती है।

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Harsh Srivastava

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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