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Health Alert News: समोसे और मीठे गुलाब जामुन पर सख्ती: भारतीय स्नैक्स में वसा, तेल और शक्कर की जानकारी देना अनिवार्य

Health Alert News: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देशभर के सभी केंद्रीय सरकारी संस्थानों, जिनमें AIIMS नागपुर जैसे प्रमुख अस्पताल भी शामिल हैं, को निर्देश दिया है कि वे कैफेटेरियाओं और सार्वजनिक स्थलों पर “तेल और शक्कर बोर्ड” लगाएं।

Admin 2
Published on: 15 July 2025 6:03 PM IST
The Union Health Ministry has Tightened its Grip on Hospital Cafeteria Samosas and Sweet Gulab Jamun
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The Union Health Ministry has Tightened its Grip on Hospital Cafeteria Samosas and Sweet Gulab Jamun

Health Alert News: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देशभर के सभी केंद्रीय सरकारी संस्थानों, जिनमें AIIMS नागपुर जैसे प्रमुख अस्पताल भी शामिल हैं, को निर्देश दिया है कि वे कैफेटेरियाओं और सार्वजनिक स्थलों पर “तेल और शक्कर बोर्ड” लगाएं। इन पोस्टरों पर समोसे, पकौड़े, जलेबी और गुलाब जामुन जैसे लोकप्रिय भारतीय स्नैक्स में छिपे वसा (फैट), तेल और शक्कर की मात्रा की जानकारी दी जाएगी, ताकि लोगों में छिपी हुई कैलोरी के प्रति जागरूकता बढ़े और वे स्वस्थ भोजन विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित हों।

भोजन में पारदर्शिता को बढ़ावा

इस पहल का उद्देश्य आम जनता को उन लोकप्रिय स्नैक्स के पोषण मूल्य के बारे में शिक्षित करना है, जिनका सेवन अक्सर बिना सोचे-समझे किया जाता है, जबकि उनमें अस्वस्थ फैट और शक्कर की मात्रा अधिक होती है। भारत में अब पारंपरिक घर के बने खाने की तुलना में प्रोसेस्ड और झटपट मिलने वाले स्नैक्स की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में मंत्रालय का मानना है कि यह पहल लोगों को सोच-समझकर खानपान चुनने की दिशा में एक ठोस कदम होगी।

यह अभियान मोटापा, डायबिटीज और हृदय रोगों जैसी गैर-संचारी बीमारियों (NCDs) की बढ़ती समस्या को रोकने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में 60% से अधिक मौतें इन्हीं बीमारियों से होती हैं।

इन सूचना बोर्ड्स को अस्पतालों की कैंटीनों, सरकारी कार्यालयों के भोजनालयों और सार्वजनिक संस्थानों जैसी अधिक भीड़भाड़ वाली जगहों पर लगाया जाएगा। उदाहरण के तौर पर, एक सामान्य समोसे में 10 ग्राम वसा और 200 कैलोरी, जबकि एक गुलाब जामुन में 15 ग्राम शक्कर बताई जा सकती है। मंत्रालय ने संस्थानों को यह भी सुझाव दिया है कि वे बेक्ड स्नैक्स या फलों पर आधारित विकल्प भी शामिल करें, ताकि लोगों को स्वस्थ विकल्प मिल सकें।

इसका महत्व: बढ़ता एनसीडी संकट

भारत मोटापे और गैर-संचारी बीमारियों की तेज़ी से बढ़ती समस्या से जूझ रहा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5, 2019-21) के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में 24% से अधिक वयस्क मोटापे का शिकार हैं, और डायबिटीज की राष्ट्रीय दर 11.4% तक पहुंच चुकी है। इसके पीछे बैठे रहने की जीवनशैली और कैलोरी युक्त स्नैक्स का बढ़ता चलन प्रमुख कारण हैं।

यह पहल कैंसर, डायबिटीज, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS) के तहत की जा रही है, जिसमें जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से रोकथाम पर जोर दिया गया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. जे.पी. नड्डा ने प्रेस वार्ता में कहा “यह एक स्वास्थ्य-सचेत समाज के निर्माण की दिशा में कदम है। जब लोगों को पोषण संबंधी जानकारी आसानी से उपलब्ध होगी, तो वे बेहतर विकल्प चुनने के लिए प्रेरित होंगे, बिना इस डर के कि उनकी पसंद छिन जाएगी।”

चुनौतियाँ और आलोचनाएं: हर पहलू के दो पहलू

छोटे स्तर के भोजन विक्रेताओं और कैंटीन संचालकों ने इस कदम को लेकर चिंता जताई है। उनके अनुसार, घर पर बने या छोटे बैच में तैयार किए गए व्यंजनों की सटीक पोषण जानकारी जुटाना कठिन हो सकता है। कुछ का कहना है कि इस प्रकार की पारदर्शिता से उनके व्यापार को नुकसान पहुंच सकता है।

इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों या कम साक्षरता वाले इलाकों में इस तरह की जानकारी का प्रभाव सीमित हो सकता है, क्योंकि वहां के लोगों में पोषण संबंधी जागरूकता कम हो सकती है। आलोचकों का सुझाव है कि सरकार को इस पहल के साथ-साथ शैक्षिक अभियान या सामुदायिक कार्यक्रम भी चलाने चाहिए, ताकि इसका अधिकतम असर हो सके।

हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि वह इस पहल के प्रभाव पर एक वर्ष तक निगरानी रखेगा। यदि यह सफल होती है, तो इसे निजी संस्थानों और व्यावसायिक खाद्य केंद्रों तक भी विस्तारित किया जाएगा। कुछ AIIMS अस्पतालों में पायलट प्रोग्राम पहले ही चलाया जा चुका है, जिसमें 30% लोगों ने बताया कि उन्होंने बोर्ड देखने के बाद अपने स्नैक्स के विकल्प पर दोबारा विचार किया।

तैलीय समोसे और मीठे गुलाब जामुन अब केवल स्वाद की चीज़ नहीं रहे — अब वे स्वास्थ्य की चेतावनी भी हैं। कैलोरी, फैट और शक्कर की जानकारी देने वाली यह पहल लोगों को अपनी खाद्य आदतों में बदलाव करने की प्रेरणा दे सकती है। यदि इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो यह स्वस्थ भारत की दिशा में एक प्रभावशाली कदम साबित हो सकता है।

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