Amit Shah record breaker: अमित शाह बना रहे हैं नया इतिहास, कश्मीर पर होने वाला है सबसे बड़ा ऐलान?

Amit Shah record breaker: 5 अगस्त को गृह मंत्री अमित शाह बना सकते हैं नया इतिहास। क्या जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा मिलेगा या होगा कोई और बड़ा ऐलान? जानिए पूरी कहानी।

Harsh Srivastava
Published on: 4 Aug 2025 6:36 PM IST
Amit Shah record breaker: अमित शाह बना रहे हैं नया इतिहास, कश्मीर पर होने वाला है सबसे बड़ा ऐलान?
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Amit Shah record breaker: छह साल पहले 5 अगस्त 2019 को जब संसद में अमित शाह ने ज़ोरदार आवाज़ में धारा 370 को खत्म करने की घोषणा की थी तब देश के नक्शे से जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा मिटा और लद्दाख अलग हुआ। आज 5 अगस्त 2025 को वही अमित शाह एक और ऐतिहासिक मोड़ पर खड़े हैं। लेकिन इस बार सवाल यह नहीं कि अधिकार छीने जाएंगे बल्कि यह कि क्या वापस किए जाएंगे?।

गृह मंत्री बनने का 'रिकॉर्ड ब्रेकर' दिन

अमित शाह आज लालकृष्ण आडवाणी का रिकॉर्ड तोड़कर देश के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले गृह मंत्री बन गए हैं। आडवाणी 6 साल 64 दिन इस पद पर रहे थे और आज अमित शाह इस आंकड़े को पार कर गए। लेकिन राजनीति में सिर्फ समय नहीं फैसले मायने रखते हैं। और लगता है कि शाह इस ऐतिहासिक दिन को सिर्फ रिकॉर्ड तक सीमित नहीं रखना चाहते।

5 अगस्त को फिर हलचल क्यों? राष्ट्रपति से अलग-अलग क्यों मिले मोदी और शाह?

रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अलग-अलग मुलाकात की। राजनीतिक गलियारों में इस मुलाकात को लेकर चर्चाओं का तूफान चल पड़ा। क्या कोई बड़ा बिल आने वाला है? क्या संसद में ऐतिहासिक घोषणा की तैयारी है? और क्या जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा लौटाने का वक्त आ गया है? यह वही तारीख है जब छह साल पहले इतिहास बदला था और अब अफवाहों की गूंज है कि इतिहास फिर बदलेगा पर इस बार जोड़ने की दिशा में।

क्या जम्मू-कश्मीर को फिर मिलेगा राज्य का दर्जा?

2019 में जब धारा 370 हटी थी तब संसद में वादा किया गया था कि उचित समय पर जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी 2023 में राज्य बहाली के लिए केंद्र को निर्देश दिए थे। अब लगता है कि वो 'उचित समय' आ गया है। सूत्रों से खबरें आ रही हैं कि केंद्र सरकार राज्य पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन के जरिए जम्मू-कश्मीर को फिर राज्य बनाने की प्रक्रिया शुरू करने वाली है। इसके लिए संसद की मंजूरी और फिर राष्ट्रपति की सहमति जरूरी होगी। और जब राष्ट्रपति से एक ही दिन में पीएम और गृहमंत्री अलग-अलग मिलते हैं तो ये संकेत मामूली नहीं होते।

अफवाह या योजना? क्या जम्मू और कश्मीर दो अलग राज्य बनेंगे?

अब चर्चा सिर्फ राज्य दर्जे की नहीं बल्कि विभाजन की भी है। अफवाहों के बाज़ार में एक और सनसनी फैली है कि केंद्र सरकार कश्मीर और जम्मू को अलग-अलग राज्य बनाने की तैयारी में है। यह खबर सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई और खासतौर पर @AartiTikoo जैसी कश्मीरी पत्रकारों ने इसे "डिक्सन प्लान" का पुनर्जागरण बतायाएक धार्मिक आधार पर बंटवारे की साजिश। ऐसी किसी भी योजना को लेकर सुरक्षा रणनीति और भारत की अखंडता से जुड़े सवाल उठने लगे हैं। क्या यह कदम पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष लाभ देगा? क्या यह भारत की बहुलतावादी नींव को हिला देगा?

जम्मू की नाराजगी और कश्मीरी राजनीति की दिक्कतें

यह भी सच है कि जम्मू के हिंदू बहुल क्षेत्र में लंबे समय से यह भावना रही है कि कश्मीर के मुस्लिम नेतृत्व ने उन्हें हाशिए पर रखा। जम्मू के लोग क्षेत्रीय असंतुलन सत्ता में भागीदारी और संसाधनों के असमान वितरण का मुद्दा उठाते रहे हैं। 2024 के विधानसभा चुनावों में भी यह मुद्दा उठाया गया और नेशनल कॉन्फ्रेंस की जीत के बावजूद जम्मू से विरोध के स्वर तेज हुए। केंद्र सरकार अगर इस दिशा में कोई कदम उठाती है तो उसे सांस्कृतिक सामाजिक और राजनीतिक रूप से बेहद नाजुक संतुलन बनाकर चलना होगा।

शाह का अब तक का ट्रैक रिकॉर्ड: फैसले जो भारत को हिला गए

अमित शाह का गृह मंत्री के रूप में कार्यकाल सिर्फ जम्मू-कश्मीर तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने देशभर में ऐसी नीतियां चलाईं जिन्होंने दशकों पुराने ढांचे को पलट दिया-

धारा 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर को एकीकृत भारत का हिस्सा बनाने का ऐतिहासिक फैसला

AFSPA में ढील खासकर उत्तर-पूर्वी राज्यों में जिससे दशकों बाद शांति लौटी

बोडो समझौता जिससे असम के उग्रवादियों को मुख्यधारा में लाया गया

नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन प्रहार जिससे 70% घटनाएं कम हुईं

भारतीय दंड संहिता का कायाकल्प जिससे अंग्रेजी राज के कानूनों को हटाया गया

CAA का लागू होना जिससे पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिली

इन सभी निर्णयों की जड़ में एक समान पैटर्न है - स्पष्टता,दृढ़ता और साहस

अब अगर जम्मू-कश्मीर पर फिर से कोई फैसला आता है तो अमित शाह का ट्रैक रिकॉर्ड साफ कहता है वो सिर्फ घोषणा नहीं करते उसे लागू भी करते हैं।

क्या फिर से लिखेगा 5 अगस्त नया इतिहास?

आज जब पूरा देश शाह के 'रिकॉर्ड ब्रेकर' दिन को देख रहा है और राष्ट्रपति भवन में कुछ बड़ा पक रहा है तो इस सवाल की गूंज तेज है क्या 5 अगस्त 2025 एक और ऐतिहासिक दिन बनने जा रहा है? जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा देना एक भावनात्मक और राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक हो सकता है। लेकिन अगर इसके साथ जम्मू और कश्मीर को अलग करने की योजना है तो यह एक बहस का विस्फोट भी है। भारत की राजनीति में हर बड़ा कदम एक झंझावात लेकर आता है और इस बार झंझावात का केंद्र फिर वही है, कश्मीर और उस नक्शे को संभालते अमित शाह।

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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