शेविंग मत कराना! सावन और पुरूषों की दाढ़ी के बीच छुपा है साइंस का गहरा राज, जानकर हो जायेंगे हैरान

Sawan 2025: सावन में दाढ़ी न बनवाने की मान्यता सदियों से चली आ रही है। क्या ये सिर्फ एक मान्यता है या इसके पीछे छिपा है कोई राज, चलिए जानते हैं।

Sonal Verma
Published on: 23 July 2025 12:59 PM IST
शेविंग मत कराना! सावन और पुरूषों की दाढ़ी के बीच छुपा है साइंस का गहरा राज, जानकर हो जायेंगे हैरान
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Sawan 2025: रिझिम बारिश की फुहार, हरे भरे पेड़- पौधे और खिलखिलाता प्रकृति, कुछ ऐसा ही मनोरम दृष्य होता है सावन का। सावन का महीना भारतीय संस्कृति में भगवान शिव का पवित्र महीना माना जाता है। आज लोग पूरे भक्ति भाव से सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri 2025) मना रहे हैं। मान्यता है कि सावन की शिवरात्रि को शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं साथ ही भक्तों की मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। शिव भक्ति से ओतप्रोत ये समय बरसात का होता है, लिहाजा कृषि और समृद्धि का भी इससे सीधा रिश्ता होता है। धार्मिक तौर पर लोग इस महीने में कई बातों का निषेध करते हैं, जिसमें एक ये भी है कि वो दाढ़ी नहीं बनवाते। आपने अक्सर देखा होगा कि हमारे बड़े-बुजुर्ग सावन में बाल या दाढ़ी कटवाने के लिए मना करते हैं। जब उनसे ये पूंछो कि सावन में बाल या दाढ़ी क्यों नहीं कटवाना चाहिए तो ज्यादातर ये ही सुनने को मिलता है कि हमारे पूर्वज ऐसा किया करते थे तो हम भी करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है, हमारे पूर्वज ऐसा क्यूं कहते थे? बहुत से लोग सावन के पूरे 30 दिन दाढ़ी नहीं बनावाते, बाल नहीं कटवाते, इसे बढ़ने देते हैं। ये सिर्फ एक मान्यता नहीं बल्कि इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी छुपा हैं जिसके कुछ वैज्ञानिक पहलू भी हैं और इन वैज्ञानिक कारणों को साइंस भी जस्टिफाई करता है।

तो इसलिए नहीं बनवाते दाढ़ी

हमारे पूर्वजों को समय और विज्ञान की काफी गहरी समझ थी। जिसके आधार पर वह अपना जीवन जीते थे। पुराने समय में जब आधुनिक सैनिटाइजेशन और शेविंग उपकरण उपलब्ध नहीं हुआ करते थे, उस समय बारिश के मौसम में शेविंग से इंफेक्शन का खतरा हो सकता था क्योंकि सावन में बारिश के कारण नमी और फंगस का खतरा बढ़ जाता है। दाढ़ी बनाने से त्वचा पर छोटे कट या घाव हो सकते हैं, जिससे संक्रमण (जैसे रिंगवर्म, फोड़े) का जोखिम बढ़ सकता है। नमी भरी हवा के कारण रेजर से शेविंग करने पर त्वचा में जलन या रैशेज होने की आशंका रहती है। शायद इसी वजह से प्राचीन काल में लोग इस मौसम में शेविंग से बचते थे ताकि त्वचा संबंधी समस्याओं से बचा जा सके। लोगों ने इन समस्याओं से बचने के लिए सावन में दाढ़ी बनवाना कम कर दिया और लोगों की इस आदत ने धीरे-धीरे एक परंपरा का रूप धारण कर लिया।

क्या कहता है आयुर्वेद?

आयुर्वेद की माने तो सावन (वर्षा ऋतु) में शरीर की पाचन अग्नि (मेटाबॉलिज्म) कमजोर होती है और शरीर संवेदनशील रहता है। इस दौरान बाल कटवाने जैसे अनावश्यक शारीरिक परिवर्तनों से बचने की सलाह दी जाती है।

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