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सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में CJI पर उठे सवालों को किया खारिज!, कहा- मुख्य न्यायाधीश केवल डाकघर नहीं!
Justice Yashwant Verma Case: सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की सिफारिश पर कपिल सिब्बल के सवालों का खारिज किया।
Justice Yashwant Verma Case: सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की सिफारिश को चुनौती देने वाली अर्जी पर सुनवाई जारी रही। इस दौरान, जस्टिस वर्मा के वकील कपिल सिब्बल ने आंतरिक कमेटी की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाए, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया।
कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के किसी न्यायाधीश के खिलाफ आंतरिक जांच के आधार पर महाभियोग की सिफारिश करने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। उन्होंने पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी की जांच पर भी सवाल उठाए, जिसके तहत जस्टिस वर्मा को कैश कांड में दोषी पाया गया था। इसी रिपोर्ट के आधार पर पूर्व चीफ जस्टिस ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को महाभियोग की सिफारिश की थी।
सुप्रीम कोर्ट का जवाब
कपिल सिब्बल के तर्कों पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सख्त जवाब दिया। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कहा, "1999 में इन-हाउस जांच की व्यवस्था बनाई गई थी, और उस व्यवस्था के तहत ही कार्रवाई की जाती है। चीफ जस्टिस सिर्फ एक अधिकारी नहीं हैं, उनकी देश के प्रति जिम्मेदारी भी है। अगर चीफ जस्टिस को किसी मामले में गड़बड़ी का आभास होता है, तो वह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सूचित कर सकते हैं।" सुप्रीम कोर्ट का यह जवाब दिखाता है कि न्यायपालिका के अंदर की जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही की अहमियत है।
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