बिहार में तेजस्वी सरकार! जब भी 60 प्रतिशत से ज्यादा मतदान, तब-तब लालू परिवार की सरकार

Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और उनके गठबंधन के लिए 60 प्रतिशत से अधिक मतदान शुभ संकेत है। जो उनके लिए बिहार की सत्ता की राह दोबारा से आसान करते दिखाई दे रहे है।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 7 Nov 2025 7:20 AM IST
Bihar Assembly Elections 2025 (Photo: Social Media)
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Bihar Assembly Elections 2025: बिहार की चुनावी राजनीति में मतदान प्रतिशत का एक गहरा और दिलचस्प कनेक्शन लालू प्रसाद यादव और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सत्ता में आने से जुड़ा रहा है। साल 1990 से लेकर 2020 तक के विधानसभा चुनावों के आंकड़ों के विश्लेषण से तथ्य सामने आता है। जब-जब राज्य में 60 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है, तब-तब लालू यादव और बाद में राबड़ी देवी के नेतृत्व वाली आरजेडी की सरकार बनी है। यह आकस्मिक संयोग वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में तेजस्वी यादव के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है।

60 से अधिक मतदान और सत्ता में वापसी

लालू प्रसाद यादव पहली बार 1990 में 62.04 प्रतिशत के सबसे उच्च मतदान प्रतिशत के साथ बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। वह चुनाव कांग्रेस के पतन की शुरुआत और जनता दल (RJD) के उदय का प्रतीक बना था। इसके बाद 1995 के विधानसभा चुनाव में लालू यादव सत्ता बचाने में कामयाब रहे, तब भी मतदान प्रतिशत 61.8 प्रतिशत रहा था। वर्ष 2000 में बिहार विभाजन की दहलीज पर था, उस समय भी मतदाताओं ने 62.5 प्रतिशत का उत्साह दिखाया और परिणाम स्वरूप राबड़ी देवी के नेतृत्व में आरजेडी गठबंधन की सरकार बनवाई थी। इस ट्रेंड में बड़ा बदलाव 2005 के चुनावों के साथ आया था।

चुनाव में 60 प्रतिशत से ज्यादा मतदान

1990 में 62.04 प्रतिशत मतदान के साथ लालू प्रसाद यादव और जनता दल की सरकार बनी थी।

1995 में 61.8 प्रतिशत मतदान के साथ लालू यादव और जनता दल की दोबारा सरकार बनी थी।

2000 में 62.5 प्रतिशत मतदान के साथ राबड़ी देवी व आरजेडी की तीसरी बार सरकार बनी थी।

सत्ता परिवर्तन और कम मतदान का दौर

तब फरवरी 2005 में हुए चुनाव में कोई भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। उसी साल अक्टूबर 2005 में हुए चुनाव में 45.85 प्रतिशत मतदान हुआ। इस निम्न मतदान ने लालू-राबड़ी की सत्ता को खत्म कर दिया था। तब नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन को सत्ता में आया था। इसके बाद 2010 में मतदान प्रतिशत 52.1 प्रतिशत रहा था। 2015 में बढ़कर 55.9 प्रतिशत तक पहुंच गया था, ये दोनों ही आंकड़े 60 प्रतिशत के जादुई आंकड़े को पार नहीं कर पाए थे। इन दोनों ही चुनावों में आरजेडी विपक्ष में रही या गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद मुख्यमंत्री का पद हासिल नहीं कर पाई थी।

विधानसभा चुनाव में 60 प्रतिशत से कम मतदान

2005 में 45.85 प्रतिशत मतदान के साथ नीतीश कुमार और एनडीए सरकार बनी थी।

2010 में 52.1 प्रतिशत मतदान से नीतीश कुमार और एनडीए की सरकार बनी थी।

2015 में 55.9 प्रतिशत मतदान से नीतीश कुमार व महागठबंधन की सरकार बनी थी

2020 में 57.29 प्रतिशत मतदान से नीतीश कुमार और एनडीए की सरकार बनी थी।

तेजस्वी यादव के लिए उम्मीद की किरण

उसके बाद 2020 के चुनाव में मतदान 57.29 प्रतिशत रहा था। तब आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी सरकार नहीं बना पाई। बिहार के चुनावी इतिहास के ये आंकड़े उच्च मतदाता भागीदारी आमतौर पर सत्ता विरोधी लहर (Anti-Incumbency) और बदलाव का संकेत दे रहे है। जिसका फायदा आरजेडी को मिला है। बिहार में पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। जिसमें 64.66 प्रतिशत वोट पड़े है। इस पैटर्न को देखते हुए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और उनके गठबंधन के लिए 60 प्रतिशत से अधिक मतदान शुभ संकेत है। जो उनके लिए बिहार की सत्ता की राह दोबारा से आसान कर सकता है।

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