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‘मुसलमानों के घर-मस्जिद तोड़ते हैं...’, तालिबान विदेश मंत्री से मिलने के बाद मौलाना ने रोया रोना
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह उन लोगों का प्रचार है जो अफगानिस्तान को पसंद नहीं करते। उन्होंने कहा कि इसे फैलाया गया है, लेकिन इसमें कोई सच्चाई नहीं है।
जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के कर्ता धर्ता मौलाना अरशद मदनी ने प्रेस वार्ता में किसी महिला पत्रकार को न बुलाने को लेकर आज सफाई पेश की। मदनी ने कहा उनकी तरफ से ऐसी कोई मनाही नहीं की गई थी। अगर कोई महिला पत्रकार प्रेस कांफ्रेंस में आतीं तो भी कोई बात नहीं थी।
उन्होंने अपनी बात को रखते हुये कहा, हम थे यहां, लेकिन हमसे किसी महिला पत्रकार ने नहीं कहा कि वह यहां आना चाहतीं हैं। अगर वह कहतीं तो हम उनको जरूर बुलाते, हमारी तरफ से कोई मनाही नहीं थी।
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि कुछ लोग अफगानिस्तान के खिलाफ जो प्रचार चला रहे हैं, वह पूरी तरह प्रोपेगंडा है और उसकी कोई सच्चाई नहीं है। उनका कहना था, यह उन्हीं लोगों का प्रोपेगैंडा है जिन्हें अफगानिस्तान पसंद नहीं। उन्होंने यह गलत प्रचार फैला दिया, लेकिन इसमें कोई हकीकत नहीं है।
उन्होंने आगे बताया कि उनकी बातचीत में भारत और अफगानिस्तान के साझा इतिहास और उन बुजुर्गों की भूमिका पर भी चर्चा हुई, जिन्होंने अंग्रेजी शासन के खिलाफ खड़े होकर वहां स्थानीय हुकूमत कायम की थी।
मौलाना मदनी ने कहा, हमारे बीच का यह इतिहास ही वह आधार है जिसपर तालिबान के विदेश मंत्री की यात्रा और हमारी बातचीत टिकी हुई है। हमारी एक कीमती तारीख़ है यह तालीमी इतिहास भी है और भारत की आज़ादी से जुड़ा भी है, और उनकी मौजूदगी इन दोनों तारीखों से जुड़ती है।
गृह मंत्री के ‘मुसलमानों की घुसपैठ’ संबंधी बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कड़ा खंडन किया। मदनी ने कहा, “गृह मंत्री झूठ बोल रहे हैं। भारत में आबादी बढ़ी है, तो उनकी आबादी भी बढ़ी इसमें घुसपैठ कहां से आ गई? मुसलमानों को मारते, उनके घर और मस्जिदें तोड़ते हो क्या मुसलमान पागल होंगे कि वे अपना देश छोड़कर यहां आ जाएँ? यह तर्क संहारक और बेबुनियाद है। चाहे जो भी व्यक्ति ऐसा कहे, वह गलत बोल रहा है।
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